राजीव शर्मा, अलीगढ़ : अपने जिले में सरकारी तंत्र ने मुख्यमंत्री
महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना को मजाक बनाकर रख दिया है। पंचायत सचिवों ने
बिना सत्यापन के योजना में ऐसे लोगों के नाम भेज दिए हैं, जो कतई पात्र
नहीं हैं। इनकी संख्या भी कोई एक-दो नहीं, पूरी 9894 है। इनमें 166 ऐसे लोग
भी शामिल कर लिए गए हैं, जो इस दुनिया में ही नहीं हैं। योजना के तहत
मिलने वाली पेंशन की रकम जब बैंक में पहुंची तो बैंकवालों को शक हुआ और ये
मामले पकड़े गए।
प्रदेश सरकार ने ये योजना 2010 में शुरू की थी। इसमें लाभार्थी को प्रति
माह 400 रुपये पेंशन मिलती है। योजना की शुरुआत में लक्ष्य पूरा नहीं हो
सका था। 2011 में शासन से जिले को 36505 लोगों को योजना में शामिल करने का
लक्ष्य मिला। पात्रों को तलाशने की जिम्मेदारी पंचायत सचिवों को दी गई।
पंचायत सचिवों ने बिना जांचे ऐसे लोगों के नाम शामिल कर दिए, जो इसके कतई
पात्र नहीं हैं।
बैंक ने पकड़े मामले
योजना में पेंशन की रकम सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाती है। इसके
लिए समाज कल्याण विभाग से चेक जारी होते हैं। चेक बैंकों में पहुंचे तो
खाता संख्या और खाताधारक के नाम सही नहीं मिले। इस पर बैंक वालों को शक हुआ
और उन्होंने समाज कल्याण विभाग को शिकायत भेजी। वहां से जांच हुई तो मामला
खुला।
जांच में मिले अपात्रों की स्थिति
पेंशनधारी 1010
बीपीएल 1003
मृतक 166
नौकरी 183
साधन संपन्न 3305
खेतीवाले 155
गांव में नहीं 858
दुकानदार 49
जेल 05
पागल 05
दूसरे गांव के 2572
फर्जी नाम 583
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कुल 9894
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इंसेट..
पंचायत सचिवों पर रहम
पात्रों के नाम भेजने में लापरवाही बरतने वाले पंचायत सचिवों के खिलाफ
अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि समाज कल्याण विभाग की ओर से जिला
पंचायत राज अधिकारी को लिखकर दिया चुका है।
इनका कहना है..
9894 लोग अपात्र मिले हैं। इसमें पंचायत सचिवों की लापरवाही रही है।
इसमें समाज कल्याण विभाग की कोई दोष नहीं है। पंचायत सचिवों के खिलाफ
कार्रवाई के लिए मैं शासन को लिख चुका हूं।
– विमल कुमार, अपर जिला विकास अधिकारी (समाज कल्याण)