मधुबनी ।
‘पग-पग पोखरी माछ मखान, मधुर बोल मुस्की मुख पान’ के लिए प्रसिद्ध
मिथिलांचल का मधुबनी एक बार फिर से संपूर्ण मिथिलांचल को मछली खिलाने के
लिए तैयार हो रहा है।
राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र का 72 हेचरी
शुरू हो गया है। इसमें सर्वाधिक 21 हेचरी मधुबनी क्षेत्र में है। एक हेचरी
में 10 मिलियन मत्स्य बीज का उत्पादन होगा। मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के
लिए विभाग द्वारा जिले के 20 हेक्टेयर में पैंगेसियस नामक विदेशी मछली का
उत्पादन किया जायेगा।
ज्ञातव्य हो कि पैंगेसियस मछली का उत्पादन 20 हजार किलोग्राम प्रति
हेक्टेयर होगा, जबकि देसी मछली रोहू, कातल, बुआरी आदि का उत्पादन मात्र 5
हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होना है। पैंगेसियस नामक विदेशी मछली के
पालन के लिए विभाग किसानों को 40 फीसदी अनुदान भी देगा। जिले के वैसे खेत व
चौर जिसमें साल के दो- तीन माह को छोड़कर सालों भर पानी लगा रहता है, आद्र
भूमि वाले जलकरों को विकसित कर उसमें मत्स्य पालन किया जायेगा। विभाग
द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए 28 किसानों को हैदराबाद ले जाकर
प्रशिक्षण दिलाया गया है।
उप मत्स्य निदेशक दरभंगा एसके श्रीवास्तव ने बताया है कि मधुबनी जिले की
मछली शीघ्र ही संपूर्ण मिथिलांचल के लोग खा सकेंगे। उन्होंने बताया कि
सरकार द्वारा मधुबनी जिले में मत्स्य जागरूकता केन्द्र की स्थापना के लिए
30 लाख रुपये आवंटित किये गये हैं। जल्द ही इस जागरूकता केन्द्र का निर्माण
कार्य प्रारंभ होगा। इसके अलावे राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड हैदराबाद के
सहयोग से यहां खुदरा मत्स्य बिक्री केन्द्र की स्थापना की जायेगी जिसपर 50
लाख से 1 करोड़ की लागत आयेगी। इसमें 90 प्रतिशत केन्द्र सरकार व 10
प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी। जिले के मत्स्य उत्पादक किसान अपनी मछली को
इस बिक्री केन्द्र पर ले जाकर बेच सकेंगे।
उन्होंने बताया कि राम पट्टी स्थित मत्स्य विकास निगम की बंद पड़ी हेचरी को भी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से चालू करने की योजना है।
‘पग-पग पोखरी माछ मखान, मधुर बोल मुस्की मुख पान’ के लिए प्रसिद्ध
मिथिलांचल का मधुबनी एक बार फिर से संपूर्ण मिथिलांचल को मछली खिलाने के
लिए तैयार हो रहा है।
राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र का 72 हेचरी
शुरू हो गया है। इसमें सर्वाधिक 21 हेचरी मधुबनी क्षेत्र में है। एक हेचरी
में 10 मिलियन मत्स्य बीज का उत्पादन होगा। मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के
लिए विभाग द्वारा जिले के 20 हेक्टेयर में पैंगेसियस नामक विदेशी मछली का
उत्पादन किया जायेगा।
ज्ञातव्य हो कि पैंगेसियस मछली का उत्पादन 20 हजार किलोग्राम प्रति
हेक्टेयर होगा, जबकि देसी मछली रोहू, कातल, बुआरी आदि का उत्पादन मात्र 5
हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होना है। पैंगेसियस नामक विदेशी मछली के
पालन के लिए विभाग किसानों को 40 फीसदी अनुदान भी देगा। जिले के वैसे खेत व
चौर जिसमें साल के दो- तीन माह को छोड़कर सालों भर पानी लगा रहता है, आद्र
भूमि वाले जलकरों को विकसित कर उसमें मत्स्य पालन किया जायेगा। विभाग
द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए 28 किसानों को हैदराबाद ले जाकर
प्रशिक्षण दिलाया गया है।
उप मत्स्य निदेशक दरभंगा एसके श्रीवास्तव ने बताया है कि मधुबनी जिले की
मछली शीघ्र ही संपूर्ण मिथिलांचल के लोग खा सकेंगे। उन्होंने बताया कि
सरकार द्वारा मधुबनी जिले में मत्स्य जागरूकता केन्द्र की स्थापना के लिए
30 लाख रुपये आवंटित किये गये हैं। जल्द ही इस जागरूकता केन्द्र का निर्माण
कार्य प्रारंभ होगा। इसके अलावे राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड हैदराबाद के
सहयोग से यहां खुदरा मत्स्य बिक्री केन्द्र की स्थापना की जायेगी जिसपर 50
लाख से 1 करोड़ की लागत आयेगी। इसमें 90 प्रतिशत केन्द्र सरकार व 10
प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी। जिले के मत्स्य उत्पादक किसान अपनी मछली को
इस बिक्री केन्द्र पर ले जाकर बेच सकेंगे।
उन्होंने बताया कि राम पट्टी स्थित मत्स्य विकास निगम की बंद पड़ी हेचरी को भी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से चालू करने की योजना है।