इलाहाबाद।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोयडा एक्सटेंशन में आने वाले पतवाड़ी और देवला गांव
के जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। इस तरह से अब यूपी सरकार करीब 1455
एकड़ भूमि किसानों को वापस करेगी। अरिहंत, सुंदरम, निराला स्टेट, पटेल नीयो
टाउन, आम्रपाली जैसे बिल्डरों के यहां प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
आदेश
न्यायमूर्ति अमिताव लाला तथा न्यायमूर्ति अशोक श्रीवास्तव की खंडपीठ ने
पटवारी गांव के किसानों की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया। पटवारी गांव में
कई नामचीन बिल्डरों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं और अब उनमें फ्लैट बुक कराने
वालों की मुश्किलें शुरू हो गई हैं जबकि किसान अपनी जमीन वापस पाकर खुश
हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले शाहबेरी गांव में हुए अधिग्रहण को
रद्द किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा में किया
गए जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया था। साथ ही निर्देश दिया था कि ‘लूटे
गए’ किसानों को पूरी 156 हेक्टेयर जमीन लौटाई जाए। इस मामले में जमीन लेने
वाली अथॉरिटी पर 10 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था।
सुप्रीम
कोर्ट ने अपने इस फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मई में दिए गए निर्णय
पर मुहर लगाई थी। इसके तहत विकास के नाम पर किसानों की जमीन लेकर बिल्डरों
को देने का आदेश रद्द किया था। यह मामला ग्रेटर नोएडा में खेती की जमीन के
अधिग्रहण से संबंधित है। इसे ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी
ने औद्योगिक इस्तेमाल के लिए लिया था। लेकिन बाद में निजी बिल्डरों को बेच
दिया गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोयडा एक्सटेंशन में आने वाले पतवाड़ी और देवला गांव
के जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। इस तरह से अब यूपी सरकार करीब 1455
एकड़ भूमि किसानों को वापस करेगी। अरिहंत, सुंदरम, निराला स्टेट, पटेल नीयो
टाउन, आम्रपाली जैसे बिल्डरों के यहां प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
आदेश
न्यायमूर्ति अमिताव लाला तथा न्यायमूर्ति अशोक श्रीवास्तव की खंडपीठ ने
पटवारी गांव के किसानों की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया। पटवारी गांव में
कई नामचीन बिल्डरों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं और अब उनमें फ्लैट बुक कराने
वालों की मुश्किलें शुरू हो गई हैं जबकि किसान अपनी जमीन वापस पाकर खुश
हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले शाहबेरी गांव में हुए अधिग्रहण को
रद्द किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार द्वारा ग्रेटर नोएडा में किया
गए जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया था। साथ ही निर्देश दिया था कि ‘लूटे
गए’ किसानों को पूरी 156 हेक्टेयर जमीन लौटाई जाए। इस मामले में जमीन लेने
वाली अथॉरिटी पर 10 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था।
सुप्रीम
कोर्ट ने अपने इस फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मई में दिए गए निर्णय
पर मुहर लगाई थी। इसके तहत विकास के नाम पर किसानों की जमीन लेकर बिल्डरों
को देने का आदेश रद्द किया था। यह मामला ग्रेटर नोएडा में खेती की जमीन के
अधिग्रहण से संबंधित है। इसे ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी
ने औद्योगिक इस्तेमाल के लिए लिया था। लेकिन बाद में निजी बिल्डरों को बेच
दिया गया।