महासमुंद/रायपुर.छत्तीसगढ़
पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें अब ज्ञान देने की बजाय बच्चों को गुमराह
करने में लगी है। सरकारी स्कूल के 9वीं के छात्रों को जो जानकारियां दी जा
रही है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम बच्चों का भविष्य गढ़ने को
लेकर कितना संजीदा है।
पुस्तक में गलतियों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन हैरत की बात है यह है कि अब
तक न तो शिक्षकों ने इसकी शिकायत की और न ही माशिमं के अफसरों का ध्यान इस
ओर गया है।
निगम की किताब में प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान होने की जानकारी दी गई
है। इसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती कांगेर घाटी और कुटरु
को राष्ट्रीय उद्यान बताया गया है जबकि प्रदेश में सिर्फ तीन राष्ट्रीय
उद्यान हैं।
देशभर में अचानकमार घने जंगलों, दुर्लभ वन्य प्राणयों के लिए जाना जाता
है। हर कोई जानता है कि अचानकमार टाइगर रिजर्व बिलासपुर जिला में है।
किताब में प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान होने की जानकारी दी गई
है। इसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती कांगेर घाटी और
कुटरु को राष्ट्राीय उद्यान बताया गया है जबकि प्रदेश में सिर्फ 3
राष्र्टीय उद्यान है। कुटरु अभयारण्य है।
पेज नंबर 293 में बादलखथोल को प्रदेश का सबसे बड़ा अभयारण्य बताया गया है।
बादलखोल क्षेत्रफल के लिहाज से प्रदेश का सबसे छोटा अभयारण्य है। यह मात्र
104 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। तैमोर पिंगला प्रदेश का बससे अड़ा
अभयारण्य है। यह 604 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
इतनी सारी गलतियां
> प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान लिखे गए हैं, जबकि फिलहाल तीन
राष्ट्रीय उद्यान है। इंद्रावती कांगेर घाटी और गुरुघासीदास राष्ट्रीय
उद्यान, कुटरु अभयारण्य है।
> कांगेर घाटी को कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान लिखा गया है।
> बादलखोल को सबसे बड़ा अभ्यारण्य बताया गया है जबकि यह सबसे छोटा है।
> सरगुजा का तैमोर पिंगला अभ्यारण्य सबसे बड़ा है, जो 608.52 वर्ग किमी
में फैला है। सबसे छोटा तैमोर पिंगला है जो 104.45 वर्ग किमी में है।
> अचानकमार को सरगुजा में होना बताया गया है, जबकि वह बिलासपुर जिले में है।
पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें अब ज्ञान देने की बजाय बच्चों को गुमराह
करने में लगी है। सरकारी स्कूल के 9वीं के छात्रों को जो जानकारियां दी जा
रही है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम बच्चों का भविष्य गढ़ने को
लेकर कितना संजीदा है।
पुस्तक में गलतियों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन हैरत की बात है यह है कि अब
तक न तो शिक्षकों ने इसकी शिकायत की और न ही माशिमं के अफसरों का ध्यान इस
ओर गया है।
निगम की किताब में प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान होने की जानकारी दी गई
है। इसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती कांगेर घाटी और कुटरु
को राष्ट्रीय उद्यान बताया गया है जबकि प्रदेश में सिर्फ तीन राष्ट्रीय
उद्यान हैं।
देशभर में अचानकमार घने जंगलों, दुर्लभ वन्य प्राणयों के लिए जाना जाता
है। हर कोई जानता है कि अचानकमार टाइगर रिजर्व बिलासपुर जिला में है।
किताब में प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान होने की जानकारी दी गई
है। इसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती कांगेर घाटी और
कुटरु को राष्ट्राीय उद्यान बताया गया है जबकि प्रदेश में सिर्फ 3
राष्र्टीय उद्यान है। कुटरु अभयारण्य है।
पेज नंबर 293 में बादलखथोल को प्रदेश का सबसे बड़ा अभयारण्य बताया गया है।
बादलखोल क्षेत्रफल के लिहाज से प्रदेश का सबसे छोटा अभयारण्य है। यह मात्र
104 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। तैमोर पिंगला प्रदेश का बससे अड़ा
अभयारण्य है। यह 604 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
इतनी सारी गलतियां
> प्रदेश में चार राष्ट्रीय उद्यान लिखे गए हैं, जबकि फिलहाल तीन
राष्ट्रीय उद्यान है। इंद्रावती कांगेर घाटी और गुरुघासीदास राष्ट्रीय
उद्यान, कुटरु अभयारण्य है।
> कांगेर घाटी को कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान लिखा गया है।
> बादलखोल को सबसे बड़ा अभ्यारण्य बताया गया है जबकि यह सबसे छोटा है।
> सरगुजा का तैमोर पिंगला अभ्यारण्य सबसे बड़ा है, जो 608.52 वर्ग किमी
में फैला है। सबसे छोटा तैमोर पिंगला है जो 104.45 वर्ग किमी में है।
> अचानकमार को सरगुजा में होना बताया गया है, जबकि वह बिलासपुर जिले में है।