कोरापुट लांजीगड़ स्थित वेदांत आलूमिना परियोजना संप्रसारण को लेकर हाईकोर्ट
में वेदांत की तरफ से दायर याचिका आज खारिज हो गयी है। वेदांत की तरफ से 1
से 6 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाने के लिए यानी संप्रसारण किए जाने को लेकर
हाईकोर्ट की इजाजत मांगी गयी थी, मगर वहां पर पर्यावरण मंजूरी सही न होने
की बात विपक्ष केन्द्र सरकार की तरफ से अदालत को दर्शाया गया। इसके चलते इस
मामले की सुनवाई कर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.गोपाल गौड़ एवं
न्यायाधीश विश्वनाथ महापात्र को लेकर गठित खण्डपीठ ने वेदांत की ओर से दायर
याचिका को खारिज करने के साथ-साथ पर्यावरण मंजूरी के लिए दुबारा केन्द्र
सरकार की जंगल एवं पर्यावरण मंत्रालय को आवेदन करने के लिए सलाह दिया है।
हाईकोर्ट में वेदांत संप्रसारण मामले को लेकर सुनवाई जारी थी। इस सुनवाई के
दौरान केन्द्र सरकार के वकील व वेदांत वकील की तरफ से बहस छेड़ी गयी थी,
जिसमें कंपनी के वकील ने किसी भी तरह के पर्यावरण संबन्धित खतरे को नकारते
हुए उन्हें मंजूरी देने की बात कही थी, जबकि केन्द्र सरकार के वकील ने इसका
विरोध करते हुए पर्यावरण मंजूरी को लेकर अपना पक्ष रखे एवं इस दिशा में
दुबारा केन्द्र सरकार के जंगल एवं पर्यावरण मंत्रालय से इजाजत लेने की
अहमियत पर जोर दिए। विदित हो कि लांजीगड़ में वेदांत आलूमिना के संप्रसारण
को लेकर खींचतान लगी हुई है। जिसके चलते यह मामला आखिरकार हाईकोर्ट पहुंचा।
वेदांत संप्रसारण का कार्य केन्द्र सरकार के जंगल एवं पर्यावरण विभाग के
मंजूरी के बाद ही आगे चल पाने की अटकलें लगायी जा रही हैं।
में वेदांत की तरफ से दायर याचिका आज खारिज हो गयी है। वेदांत की तरफ से 1
से 6 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाने के लिए यानी संप्रसारण किए जाने को लेकर
हाईकोर्ट की इजाजत मांगी गयी थी, मगर वहां पर पर्यावरण मंजूरी सही न होने
की बात विपक्ष केन्द्र सरकार की तरफ से अदालत को दर्शाया गया। इसके चलते इस
मामले की सुनवाई कर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.गोपाल गौड़ एवं
न्यायाधीश विश्वनाथ महापात्र को लेकर गठित खण्डपीठ ने वेदांत की ओर से दायर
याचिका को खारिज करने के साथ-साथ पर्यावरण मंजूरी के लिए दुबारा केन्द्र
सरकार की जंगल एवं पर्यावरण मंत्रालय को आवेदन करने के लिए सलाह दिया है।
हाईकोर्ट में वेदांत संप्रसारण मामले को लेकर सुनवाई जारी थी। इस सुनवाई के
दौरान केन्द्र सरकार के वकील व वेदांत वकील की तरफ से बहस छेड़ी गयी थी,
जिसमें कंपनी के वकील ने किसी भी तरह के पर्यावरण संबन्धित खतरे को नकारते
हुए उन्हें मंजूरी देने की बात कही थी, जबकि केन्द्र सरकार के वकील ने इसका
विरोध करते हुए पर्यावरण मंजूरी को लेकर अपना पक्ष रखे एवं इस दिशा में
दुबारा केन्द्र सरकार के जंगल एवं पर्यावरण मंत्रालय से इजाजत लेने की
अहमियत पर जोर दिए। विदित हो कि लांजीगड़ में वेदांत आलूमिना के संप्रसारण
को लेकर खींचतान लगी हुई है। जिसके चलते यह मामला आखिरकार हाईकोर्ट पहुंचा।
वेदांत संप्रसारण का कार्य केन्द्र सरकार के जंगल एवं पर्यावरण विभाग के
मंजूरी के बाद ही आगे चल पाने की अटकलें लगायी जा रही हैं।