एक मीडिया मुगल का पतन : केविन रैफर्टी

रूपर्ट मर्डोक के एक अग्रणी जीवनीकार ने कहा कि उनकी बेटी एलिजाबेथ ने एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कहा कि जेम्स और ब्रुक्स ने कंपनी का बेड़ा गर्क कर दिया है। सही और गलत के विवेक के बिना संचालित हो रहे अखबारों की जवाबदेही से बचना रूपर्ट के साथ ही जेम्स के लिए भी मुश्किल साबित हो सकता है।

रूपर्ट मर्डोक ने निश्चित ही ब्रिटिश पत्रकारिता और वैश्विक मीडिया का चेहरा बदलकर रख दिया था। 1969 में जब रूपर्ट मर्डोक ने अपना ब्रिटिश साम्राज्य स्थापित किया, तब मैं मुश्किल दौर से गुजर रहे द सन में रिपोर्टर था और ‘गर्भनिरोधक गोलियों के सवाल पर उपजे नैतिक संकट के पैने किंतु सहानुभूतिपूर्ण कवरेज के लिए’ मुझे ब्रिटिश प्रेस अवार्डस में यंग जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर घोषित किया गया था। मैंने इनामी रकम का इस्तेमाल भारत की यात्रा करने में किया।

बिजली-पानी की समस्या से जूझ रहे बिहार के गांवों में दो सप्ताह बिताने के बाद मैं दिल्ली पहुंचा। मुझे इंदिरा गांधी की एक प्रेस वार्ता में अग्रपंक्ति में बैठने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने अपनी पार्टी के उन बुजुर्गवारों को आड़े हाथों लिया था, जो माने बैठे थे कि वे उनके लिए ‘गूंगी गुड़िया’ साबित होंगी। मैंने उत्साह के साथ द सन को एक टेलीग्राम भेजा, जिसकी कमान कुछ समय पूर्व ही रूपर्ट मर्डोक ने संभाली थी। मैंने लिखा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की प्रधानमंत्री द्वारा सरकार पर अपनी पकड़ मजबूत करना यकीनन फुल-पेज स्टोरी होनी चाहिए।

मुझे कोई जवाब नहीं मिला। जब मैं लौट रहा था तो सफर के दौरान मैंने रूपर्ट मर्डोक के नए द सन की एक कॉपी खरीदी। मैं समझ गया कि इस अखबार में अब मेरा कोई काम नहीं है। भड़कीली डिजाइन, बोल्ड हेडलाइनों और पेज थ्री गल्र्स की अर्धनग्न तस्वीरों के चलते द सन का सकरुलेशन आठ लाख प्रतिदिन से बढ़कर चालीस लाख से भी अधिक हो चुका था।

पुराना द सन एक गंभीर अखबार हुआ करता था, जिसने बायफ्रा युद्ध और भुखमरी का कवरेज करने के लिए विद्रोही देशों के अंदरूनी इलाकों में अपने रिपोर्टर भेजे थे, जिसके पास विदेशी और कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ संपादक हुआ करते थे और जिसके रक्षा संवाददाताओं को गर्व हुआ करता था कि उनकी रिपोर्टिग उनके साथियों से श्रेयस्कर है।

कुछ प्रतिष्ठित टिप्पणीकारों ने यह कहते हुए रूपर्ट मर्डोक की सराहना की कि उन्होंने अखबार उद्योग को गर्त में जाने से बचाया है। द न्यूयॉर्क टाइम्स के रोजर कोहेन मानते हैं कि रूपर्ट मर्डोक की उपस्थिति अखबारों के लिए उपयोगी साबित हुई है, क्योंकि उनके कारण वे जीवंत, सशक्त, मुखर और प्रासंगिक बने हुए हैं। मडरेक की छत्रछाया में द सन निश्चित ही मुखर था और बहुधा कर्कश, संकीर्ण और पक्षपातपूर्ण भी।

द सन और न्यूज ऑफ द वर्ल्ड एक ट्रांसअटलांटिक मीडिया ग्रुप की शुरुआत भर थे, जिसका राजस्व आज 32 खरब डॉलर और मुनाफा 3.9 खरब डॉलर है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अधिग्रहण के बावजूद न्यूज इंटरनेशनल समूह में अखबारों का योगदान टेलीविजन और फिल्म से कम ही है। ब्रिटेन में न्यूज इंटरनेशनल के अखबार बीस्कायबी चैनल्स के राजस्व का महज 37 प्रतिशत हिस्सा ही उत्पादित करते हैंऔर चैनल्स घाटे में रहते हैं।

रूपर्ट मर्डोक ने इन अफवाहों को बकवास बताया था कि वे बीस्कायबी का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त करने के लिए ब्रिटिश अखबारों को तिलांजलि दे सकते हैं। मौजूदा आलोचनाओं के बाद स्काय के पूर्ण स्वामित्व के प्रयासों को मडरेक ने अभी भले ही छोड़ दिया हो, पर मामला शांत होने के बाद वे फिर इसके लिए प्रयास करेंगे।

लेकिन अगर नैतिकतापूर्ण पत्रकारिता के तकाजों को रहने भी दें तो भी कानून के उल्लंघन की संस्कृति के नित-नए खुलासों के बाद रूपर्ट मर्डोक के प्रबंधन पर सवालिया निशान लग गए हैं। समूह लगातार दावा कर रहा था कि अप्रिय स्थितियों के लिए महज एक पत्रकार कसूरवार था, लेकिन अब इस दावे की कलई खुल गई है। मडरेक पहले ऐसे मीडिया दिग्गज नहीं हैं, जिन्होंने अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल किया। फर्क केवल इतना ही है कि शीर्ष ब्रिटिश राजनेताओं की मडरेक से सांठगांठ रही है।

द सन के अभिमत की कीमत क्या थी, यह इसी से पता चलता है कि टोनी ब्लेयर रूपर्ट मर्डोक का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गए थे। डेविड कैमरॅन का भी मडरेक के अग्रणी एक्जीक्यूटिवों से मेलजोल रहा है और उन्होंने न्यूज ऑफ द वर्ल्ड के पूर्व संपादक को अपना हेड ऑफ कम्युनिकेशंस भी नियुक्त किया था।

167 वर्ष पुराने न्यूज ऑफ द वर्ल्ड को बंद करने के मडरेक के फैसले को भले ही साहसपूर्ण बताकर उनकी सराहना की गई हो, लेकिन उन्हें इससे ज्यादा नुकसान नहीं होने वाला, क्योंकि मुनाफेदार द सन जल्द ही दैनिक होने जा रहा है। रूपर्ट मर्डोक का भविष्य इस पर निर्भर है कि उनके गलत कारनामे अमेरिका में साबित हो पाते हैं या नहीं। यहां तक कि मडरेक के पैरोकार कोहेन भी स्वीकारते हैं कि मडरेक के फॉक्स न्यूज ने अमेरिकी राजनीति के ध्रुवीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

अगर राजनेता मीडिया की लगाम कसने के लिए मडरेक को एक बहाने की तरह इस्तेमाल करते हैं तो वास्तविक त्रासदी तो यही होगी। ब्रिटेन, अमेरिका और दुनिया को ऐसे मीडिया की जरूरत है, जो वास्तविक मसलों पर ध्यान केंद्रित करे और राजनेताओं से सांठगांठ करने के बजाय उन्हें ईमानदार बनाए रखने की कोशिश करे।

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