जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली
नवनियुक्त केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण
विधेयक के मसौदे पर सार्वजनिक बहस कराने का फैसला किया है। यही नहीं जनता
की राय लेने के लिए मसौदे को अगले सप्ताह तक सार्वजनिक कर दिया जाएगा। रमेश
की प्राथमिकता सूची में भूमि अधिग्रहण सबसे ऊपर है। उनका मानना है कि
किसानों को उनकी भूमि का मुआवजा देने के साथ यह देखना भी जरूरी है कि जमीन
का अधिग्रहण किस कार्य के लिए किया जा रहा है। बुनियादी जरूरतों के लिए
अथवा गोल्फ कोर्स के लिए। इस पर विस्तृत चर्चा होनी जरूरी है।
ग्रामीण विकास मंत्री रमेश ने मंगलवार को देर रात तक अधिकारियों की बैठक कर
विभिन्न मामलों की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद
के दो सदस्यों से भी मुलाकात की। परिषद ने ही हाल में भूमि अधिग्रहण विधेयक
की सिफारिश की है। बुधवार को सुबह साढ़े आठ बजे ही बैठकों का सिलसिला फिर
चालू हो गया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भूमि अधिग्रहण
विधेयक को हर हाल में मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। इसके लिए विधेयक के
मसौदे पर सार्वजनिक बहस कराने के लिए इसे अगले सप्ताह तक मंत्रालय की
वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा।
जयराम रमेश ने यह भी स्पष्ट किया वन व पर्यावरण मंत्रालय में मेरा यही रुख
था और यहां भी यही जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को मुआवजा देने के
साथ उस भूमि पर जिन लोगों की रोजी-रोटी निर्भर है, उन पर भी विचार किया
जाना चाहिए। यह मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है। रमेश ने कहा कि यह महज भूमि
मालिकों को मुआवजा देने का मामला नहीं है। महत्वपूर्ण बात उन लोगों को
क्षतिपूर्ति देना है जिनका जीवनयापन अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन से जुड़ा
हुआ है।
नवनियुक्त केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण
विधेयक के मसौदे पर सार्वजनिक बहस कराने का फैसला किया है। यही नहीं जनता
की राय लेने के लिए मसौदे को अगले सप्ताह तक सार्वजनिक कर दिया जाएगा। रमेश
की प्राथमिकता सूची में भूमि अधिग्रहण सबसे ऊपर है। उनका मानना है कि
किसानों को उनकी भूमि का मुआवजा देने के साथ यह देखना भी जरूरी है कि जमीन
का अधिग्रहण किस कार्य के लिए किया जा रहा है। बुनियादी जरूरतों के लिए
अथवा गोल्फ कोर्स के लिए। इस पर विस्तृत चर्चा होनी जरूरी है।
ग्रामीण विकास मंत्री रमेश ने मंगलवार को देर रात तक अधिकारियों की बैठक कर
विभिन्न मामलों की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद
के दो सदस्यों से भी मुलाकात की। परिषद ने ही हाल में भूमि अधिग्रहण विधेयक
की सिफारिश की है। बुधवार को सुबह साढ़े आठ बजे ही बैठकों का सिलसिला फिर
चालू हो गया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भूमि अधिग्रहण
विधेयक को हर हाल में मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। इसके लिए विधेयक के
मसौदे पर सार्वजनिक बहस कराने के लिए इसे अगले सप्ताह तक मंत्रालय की
वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा।
जयराम रमेश ने यह भी स्पष्ट किया वन व पर्यावरण मंत्रालय में मेरा यही रुख
था और यहां भी यही जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को मुआवजा देने के
साथ उस भूमि पर जिन लोगों की रोजी-रोटी निर्भर है, उन पर भी विचार किया
जाना चाहिए। यह मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है। रमेश ने कहा कि यह महज भूमि
मालिकों को मुआवजा देने का मामला नहीं है। महत्वपूर्ण बात उन लोगों को
क्षतिपूर्ति देना है जिनका जीवनयापन अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन से जुड़ा
हुआ है।