जयपुर।
जयपुर के मास्टर प्लान-2025 पर चर्चा व सुझाव के लिए गुरुवार को जेडीए में
हुई बैठक में जिले के जनप्रतिनिधियों ने प्लान के मसौदे को गंभीर गलतियों
वाला दस्तावेज बताते हुए अफसरों को कोसा। जेडीए ने शहरी व ग्रामीण
क्षेत्रों के लिए दो अलग-अलग बैठकें की थीं, लेकिन मास्टर प्लान में
जनप्रतिनिधियों की ज्यादा रुचि होने से पहली ही बैठक इतनी लंबी खिंच गई कि
दूसरी बैठक के जनप्रतिनिधि भी उसी में शामिल हो गए।
जेडीए कमिश्नर कुलदीप रांका की मौजूदगी में सांसद व विधायकों ने आरोप लगाया
कि जयपुर के भविष्य को तय करने वाला मास्टर प्लान एक महत्वपूर्ण दस्तावेज
है, लेकिन जेडीए अधिकारियों ने मौके पर जाए बिना ही इसका मसौदा तैयार कर
दिया। इसमें शहरी क्षेत्र के भू उपयोग के लिए कोई पैरामीटर तय नहीं किए गए।
किसानों की जमीन पर पार्क और उद्योगपतियों की जमीन को कामर्शियल एरिया
दर्शाया गया है। संस्थाओं को कौड़ियों में आवंटित जमीन के आसपास के क्षेत्र
को कामर्शियल कर दिया गया, जिससे उनकी कीमत कई गुना बढ़ गई। यही नहीं 44
किलोमीटर में फैले पृथ्वीराज नगर का इसमें जिक्र तक नहीं किया गया। पानी की
कमी पूरी करने का कोई उपाय नहीं है। बैठक के दौरान अतिरिक्त मुख्य नगर
नियोजक पी अरविंद मास्टर प्लान के बारे में बार-बार समझाते रहे, लेकिन
जनप्रतिनिधि सहमत नहीं हुए।
बैठक दुबारा बुलाने की मांग
बैठक में सांसद किरोड़ीलाल मीणा व लालचंद कटारिया और विधायक कालीचरण सराफ,
राजपालसिंह, मोहनलाल गुप्ता, प्रतापसिंह, गंगादेवी, गोपाल मीणा व अशोक
परनामी शामिल हुए। बैठक के पश्चात जनप्रतिनिधियों ने मास्टर प्लान पर चर्चा
के लिए एक और सामूहिक बैठक बुलाने की मांग पर जेडीए कमिश्नर को पत्र दिया,
जबकि किरोड़ीलाल मीणा ने स्वायत्त शासन मंत्री की अध्यक्षता में बैठक रखने
की मांग की है, जिसमें सभी मंत्रियों को भी बुलाए जाने को कहा है।
अथॉरिटी में रखे जाएंगे सुझाव
जेडीए के टाउन प्लानिंग डायरेक्टर एचएस संचेती का कहना है कि मास्टर प्लान
के लिए शुरू से सुझाव मांगे जा रहे हैं। इसके लिए सामान्यतया एक माह का समय
दिया जाता है। जो आपत्तियां व सुझाव मिलेंगे, उन पर अध्ययन करके ऑथोरिटी
की बैठक में रख दिए जाएंगे।
जयपुर के मास्टर प्लान-2025 पर चर्चा व सुझाव के लिए गुरुवार को जेडीए में
हुई बैठक में जिले के जनप्रतिनिधियों ने प्लान के मसौदे को गंभीर गलतियों
वाला दस्तावेज बताते हुए अफसरों को कोसा। जेडीए ने शहरी व ग्रामीण
क्षेत्रों के लिए दो अलग-अलग बैठकें की थीं, लेकिन मास्टर प्लान में
जनप्रतिनिधियों की ज्यादा रुचि होने से पहली ही बैठक इतनी लंबी खिंच गई कि
दूसरी बैठक के जनप्रतिनिधि भी उसी में शामिल हो गए।
जेडीए कमिश्नर कुलदीप रांका की मौजूदगी में सांसद व विधायकों ने आरोप लगाया
कि जयपुर के भविष्य को तय करने वाला मास्टर प्लान एक महत्वपूर्ण दस्तावेज
है, लेकिन जेडीए अधिकारियों ने मौके पर जाए बिना ही इसका मसौदा तैयार कर
दिया। इसमें शहरी क्षेत्र के भू उपयोग के लिए कोई पैरामीटर तय नहीं किए गए।
किसानों की जमीन पर पार्क और उद्योगपतियों की जमीन को कामर्शियल एरिया
दर्शाया गया है। संस्थाओं को कौड़ियों में आवंटित जमीन के आसपास के क्षेत्र
को कामर्शियल कर दिया गया, जिससे उनकी कीमत कई गुना बढ़ गई। यही नहीं 44
किलोमीटर में फैले पृथ्वीराज नगर का इसमें जिक्र तक नहीं किया गया। पानी की
कमी पूरी करने का कोई उपाय नहीं है। बैठक के दौरान अतिरिक्त मुख्य नगर
नियोजक पी अरविंद मास्टर प्लान के बारे में बार-बार समझाते रहे, लेकिन
जनप्रतिनिधि सहमत नहीं हुए।
बैठक दुबारा बुलाने की मांग
बैठक में सांसद किरोड़ीलाल मीणा व लालचंद कटारिया और विधायक कालीचरण सराफ,
राजपालसिंह, मोहनलाल गुप्ता, प्रतापसिंह, गंगादेवी, गोपाल मीणा व अशोक
परनामी शामिल हुए। बैठक के पश्चात जनप्रतिनिधियों ने मास्टर प्लान पर चर्चा
के लिए एक और सामूहिक बैठक बुलाने की मांग पर जेडीए कमिश्नर को पत्र दिया,
जबकि किरोड़ीलाल मीणा ने स्वायत्त शासन मंत्री की अध्यक्षता में बैठक रखने
की मांग की है, जिसमें सभी मंत्रियों को भी बुलाए जाने को कहा है।
अथॉरिटी में रखे जाएंगे सुझाव
जेडीए के टाउन प्लानिंग डायरेक्टर एचएस संचेती का कहना है कि मास्टर प्लान
के लिए शुरू से सुझाव मांगे जा रहे हैं। इसके लिए सामान्यतया एक माह का समय
दिया जाता है। जो आपत्तियां व सुझाव मिलेंगे, उन पर अध्ययन करके ऑथोरिटी
की बैठक में रख दिए जाएंगे।