वन विभाग का यह कैसा न्याय- रोहित जिंदल

पेड़ काटने पर मामूली सा जुर्माना और कोई पुलिस केस नहीं। कुछ ऐसा ही
कानून है वन विभाग का। जी हां, गत दिनों गांव मंडी कलां में कुछ लोगों ने
टाहली, सफेदा व कीकर का एक-एक पेड़ काट लकड़ी चोरी कर ली। जब गांव के कुछेक
लोगों ने इसका विरोध किया और विभाग के ही दो कर्मियों पर आरोपियों का साथ
देने का आरोप लगाया, तब जाकर वन अधिकारियों ने कुछ कार्रवाई की और वे भी
खानापूर्ति के लिए।

बताते चले कि 31 जून को मंडी कलां के तीन लोगों ने गांव के समीप से ही
विभिन्न जगहों से तीन विभिन्न तरह के पेड़ काट लिए। जब गांव के ही जरनैल
सिंह व मुदंर सिंह को इसकी भनक लगी तो उन्होंने इसका विरोध किया और मामला
उक्त क्षेत्र में तैनात दो वन विभाग के कर्मियों के पास पहुंचाया।

कोई कार्रवाई न होता देख उक्त लोगों ने सारा मामला वन रेंज अधिकारी
कुलवंत सिंह को बताया। जिस पर कार्रवाई करते हुए कुलवंत सिंह ने गांव वालों
को आरोपी मान, तीस हजार रुपये की सजा सुनाई। उक्त लोगों ने तीस हजार रुपये
करवा दिए हैं, इसकी पुष्टि वन रेंज अधिकारी ने की है। वन रेंज अधिकारी
द्वारा की इस कार्रवाई से शिकायतकर्ता नाखुश है। उनका कहना है कि लकड़ी की
कीमत काफी ज्यादा थी। न तो विभागीय अधिकारियों ने लकड़ी बरामद की और न ही
लकड़ी के दाम के बराबर का जुर्माना किया।

आरोपियों को किए उक्त जुर्माने से नाखुश शिकायतकर्ता ने सारे मामले
संबंधी सूचना एक पत्र के जरिए डिप्टी मुख्यमंत्री, सांसद, डिप्टी कमिश्नर,
जिला वन अधिकारी को भेज दी।

क्या कहते हैं शिकायतकर्ता

शिकायतकर्ता जरनैल सिंह ने कहा कि लकड़ी काफी महंगी थी, लेकिन अधिकारियों
ने मिली-भुगत के साथ महज तीस हजार रुपये का ही जुर्माना किया गया।
उन्होंने कहा कि लकड़ी की कीमत लाखों में थी, जबकि जुर्माना हजारों में।

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मामले पर अधिकारी बोले

वन रेंज अधिकारी कुलवंत सिंह ने कहा कि विभाग का कोई कर्मी आरोपियों के
साथ मिला हुआ नहीं था, वो तो कार्रवाई न होने पर गांव वालों ने उन पर आरोप
लगा दिया। सभी पेड़ की कीमत करीब तीस हजार की थी, इस लिए जुर्माना भी तीस
हजार किया गया। आरोपियों ने एकदम से जुर्माना भर दिया, जिसे मंगलवार को
विभाग के खाते में जमा करवा दिया गया है। इसलिए पुलिसिया कार्रवाई नहीं की
गई।

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