जागरण संवाददाता, इलाहाबाद
उत्तर प्रदेश में भू अधिग्रहण से जुड़े दो और मामले इलाहाबाद उच्च न्यायालय
गए हैं। चंदौली में जेल के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण पर अदालत ने
यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश के साथ ही सरकार को तीन सप्ताह में जवाब
देने को कहा है। बुलंदशहर में औद्योगिक विकास के नाम पर जमीन अधिग्रहीत
करने के खिलाफ दायर याचिका पर एक माह में फैसला करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने चंदौली जिला कारागार के लिए राममूरत व अन्य किसानों की
कृषि भूमि के अधिग्रहण मामले में यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार से भूमि अधिग्रहण कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर तीन
सप्ताह में जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा रणविजय सिंह की पीठ ने चंदौली जिला कारागार के
लिए राममूरत व अन्य किसानों की कृषि भूमि के अधिग्रहण मामले में यथास्थिति
कायम रखने का निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया है कि कृषि भूमि पहले
पुलिस लाइंस के लिए ली गई थी और अब सरकार इन्हीं किसानों की जमीन जिला
कारागार के लिए अधिग्रहीत करने जा रही है। याचिका में 5 मार्च 2010 व 10
सितंबर 2010 को जारी अधिग्रहण की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गई है।
न्यायालय ने दोनों याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए पेश किए जाने का आदेश
दिया है। याचिका पर सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।
उधर, औद्योगिक विकास के नाम पर बुलंदशहर के सुरई दुल्हा गांव की 505.139
एकड़ जमीन अधिग्रहीत करने के खिलाफ किसान राजकुमार सिंह व 21 अन्य की
याचिका पर न्यायमूर्ति अमिताव लाला तथा अशोक श्रीवास्तव की पीठ ने राज्य
सरकार को एक माह में प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इस
मामले में भू-अधिग्रहण की अधिसूचना 12 दिसंबर 2001 को जारी की गई थी। किसान
अभी भी अपनी कृषि भूमि पर काबिज हैं और कृषि कार्य कर रहे हैं। याचियों का
कहना है कि किसानों को अभी तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है और न ही भूमि की
स्थिति में कोई परिवर्तन किया गया है। न्यायालय ने याचिका निस्तारित कर दी
है।
उत्तर प्रदेश में भू अधिग्रहण से जुड़े दो और मामले इलाहाबाद उच्च न्यायालय
गए हैं। चंदौली में जेल के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण पर अदालत ने
यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश के साथ ही सरकार को तीन सप्ताह में जवाब
देने को कहा है। बुलंदशहर में औद्योगिक विकास के नाम पर जमीन अधिग्रहीत
करने के खिलाफ दायर याचिका पर एक माह में फैसला करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने चंदौली जिला कारागार के लिए राममूरत व अन्य किसानों की
कृषि भूमि के अधिग्रहण मामले में यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार से भूमि अधिग्रहण कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर तीन
सप्ताह में जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा रणविजय सिंह की पीठ ने चंदौली जिला कारागार के
लिए राममूरत व अन्य किसानों की कृषि भूमि के अधिग्रहण मामले में यथास्थिति
कायम रखने का निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया है कि कृषि भूमि पहले
पुलिस लाइंस के लिए ली गई थी और अब सरकार इन्हीं किसानों की जमीन जिला
कारागार के लिए अधिग्रहीत करने जा रही है। याचिका में 5 मार्च 2010 व 10
सितंबर 2010 को जारी अधिग्रहण की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गई है।
न्यायालय ने दोनों याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए पेश किए जाने का आदेश
दिया है। याचिका पर सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।
उधर, औद्योगिक विकास के नाम पर बुलंदशहर के सुरई दुल्हा गांव की 505.139
एकड़ जमीन अधिग्रहीत करने के खिलाफ किसान राजकुमार सिंह व 21 अन्य की
याचिका पर न्यायमूर्ति अमिताव लाला तथा अशोक श्रीवास्तव की पीठ ने राज्य
सरकार को एक माह में प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इस
मामले में भू-अधिग्रहण की अधिसूचना 12 दिसंबर 2001 को जारी की गई थी। किसान
अभी भी अपनी कृषि भूमि पर काबिज हैं और कृषि कार्य कर रहे हैं। याचियों का
कहना है कि किसानों को अभी तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है और न ही भूमि की
स्थिति में कोई परिवर्तन किया गया है। न्यायालय ने याचिका निस्तारित कर दी
है।