कराने के लिए सरकार पूरे राज्य में एक साथ सर्वे करायेगी. करीब सौ साल बाद
हो रहे इस सर्वे के आधार पर राज्य की जमीनों के नये नक्शे तैयार किये
जायेंगे. सेटेलाइट के माध्यम से होनेवाले सर्वे पर नौ करोड़ रुपये खर्च
होने का अनुमान है. दो माह के अंदर काम प्रारंभ होगा और तीन वर्षो में पूरा
कर लिया जायेगा.
कैसे होगा सर्वे
सेटेलाइट के माध्यम से जमीन की तसवीर लेकर कंप्यूटर के माध्यम से नक्शा
मिलान किया जायेगा. इसके बाद जमीन चिह्नित कर ली जायेगी. पंचायत स्तर पर
मुखिया, सरपंच व जनप्रतिनिधियों के साथ अंचलाधिकारी जमीन मालिक को उसकी
जमीन बतायेंगे. सरकार की परेशानी यह है कि अभिलेख सही नहीं होने के कारण
विवादों की संख्या बढ़ती जा रही है.
1902 में हुआ था
इसके पहले वर्ष 1902 में सर्वे शुरू होकर 1912-14 में पूरा हुआ था.1962
में जिला स्तर पर सर्वे हुआ, लेकिन पूरा नहीं हो सका. अब भी भागलपुर,
मुंगेर व पटना में क्षेत्रीय स्तर पर सर्वे जारी है.
पता चलेगा जमीन किसकी है
– सरकार की कितनी जमीन है
– कृषि योग्य व अयोग्य भूमि की होगी पहचान
– सरकार के पास जमीन का रेकॉर्ड अपडेट होगा
– भूमिहीनों को सरकारी जमीन बांटने में होगीसुविधा
– सरकारी संस्थानों और विकास कार्यो के लिए भूमिअधिग्रहण में मिलेगी मदद
– भूमि विवादों का होगा निबटारा
– सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा हटेगा