नई दिल्ली। कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि उनका मंत्रालय
प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के मद्देनजर खाद्यान्नों के निर्यात पर
जोर नहीं दे रहा है।
पवार का यह बयान ऐसे समय आया है जब खाद्य मंत्री के वी थामस ने कहा है
कि उनका मंत्रालय खाद्यान्नों के रिकार्ड उत्पादन और भंडारण समस्या की वजह
से गेहूं और चावल के सीमित मात्रा में निर्यात के खिलाफ नहीं है। उल्लेखनीय
है कि गेहूं और गैर बासमती चावल के निर्यात पर क्रमश: फरवरी, 2007 और
अप्रैल, 2008 से प्रतिबंध लगा हुआ है।
खाद्यान्नों की निर्यात नीति के बारे में पूछे जाने पर पवार ने
संवाददाताओं से कहा कि हम खाद्यान्नों का निर्यात करने देने पर जोर देने की
स्थिति में नहीं हैं क्योंकि हम प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
विधेयक का इंतजार कर रहे हैं जिसके संसद में पेश होने की संभावना है। खाद्य
मंत्रालय ने 30 लाख टन गेहूं और बासमती चावल के निर्यात के लिए एक
प्रस्ताव आगे बढ़ाया था। इस प्रस्ताव पर मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह
[ईजीओएम] द्वारा 11 जुलाई की बैठक में विचार किए जाने की संभावना है।
पवार ने आगे कहा कि खाद्यान्नों के निर्यात पर नीति खाद्य सुरक्षा
विधेयक के खाद्यान्नों की मात्रा और कीमत पर निर्भर करेगी। राष्ट्रीय खाद्य
सुरक्षा विधेयक के मसौदे पर आगामी ईजीओएम की बैठक में चर्चा की जाएगी।
इसका उद्देश्य गरीबों को सब्सिडी वाले अनाज का कानूनी हक प्रदान करना है।
खाद्य मंत्रालय ने प्रस्तावित विधेयक के तहत देश की 75 प्रतिशत आबादी को
इसके दायरे में लेने का सुझाव दिया है। इस विधेयक के बाद खाद्यान्नों की
मांग 6.5 करोड़ टन होने की उम्मीद की जा रही है।
मौजूदा समय में सरकारी खाद्यान्न गोदाम अनाजों से अटे पड़े हैं, जिनमें
करीब 6.5 करोड़ टन अनाज हैं, जबकि देश के पास भंडारण की क्षमता छह करोड़ 22.3
लाख टन की ही है। यह पूछने पर सामान्य मानसून से कम बरसात का कृषि उत्पादन
पर कोई प्रभाव होगा, पवार ने कहा कि इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगा
क्योंकि खरीफ सत्र में बुवाई का काम अगस्त के तीसरे सप्ताह तक चलता है।
उन्होंने कहा कि अगर जुलाई में बरसात ठीक होती है, तो कृषि उत्पादन में
कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जून के महीने में देश में मानसूनी
बरसात महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ भागों को छोड़कर 11
प्रतिशत अधिक है। कृषि मंत्रालय ने 2011-12 के फसल वर्ष में कुल खाद्यान्न
उत्पादन 24.5 करोड़ टन होने का अनुमान तय किया है, जो पिछले वर्ष 23 करोड़
58.8 लाख टन था।