जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। राजस्थान की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को
लेकर रोजी-रोटी अभियान राजस्थान की ओर से हाल ही किए सर्वे में कई चौंकाने
वाले तथ्य सामने आए हैं। संस्थान की ओर से प्रदेश के 12 जिलों में 48
स्थानों पर 952 परिवारों के किए सर्वे में पता चला है कि सरकार की सभी को
अनाज देने की घोषणा के बावजूद प्रदेश में अब भी 11.6 फीसदी परिवारों को कई
बार भूखे ही सोना पड़ता है। इसी तरह 29.87 फीसदी परिवारों केा अनाज एवं आटा
आदि पर्याप्त नहीं पड़ता।
सर्वे में सहयोग करने वाले उच्चतम न्यायालय आयुक्त के राजस्थान सलाहकार
अशोक खण्डेलवाल ने बताया कि गैर सरकारी संगठन पीयूसीएल की मदद ली गई।
सर्वे में फिलहाल सात जिलों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इसमें
जयपुर, कोटा, बीकानेर, डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद जिले शामिल
हैं। राज्य सरकार की राशन सामग्री के स्थान पर पात्र लोगों को नकदी देने की
योजना के बारे में सर्वे में लोगों ने नाखुशी जाहिर की है। इनका कहना है
कि यदि पैसा मिला तो उसका उपयोग खाद्यान्न की खरीद के बजाय अन्य कार्यो में
होगा, जबकि अनुदानित मूल्य पर मिले रहे राशन की तुलना में बाजार मूल्य पर
खाद्यान्नों की खरीद काफी कठिन होगी। उनका कहना है कि वर्तमान में
आवश्यकता 50 किलो प्रति माह खाद्यान्न उपलब्ध कराने की है।
सर्वे में पता चला है कि क्षेत्र के 90.3 फीसदी लोगों को सप्ताह में एक
बार भी फल नहीं मिलते, जबकि 76.5 फीसदी परिवार ऐसे हें जो हरी सब्जी का
उपयोग भी सप्ताह में नहीं कर पाते। दाल व खाद्य तेल का उपयोग करने वाले
परिवारों की संख्या इससे भी कम है। रिपोर्ट के अनुसार 14.4 फीसदी परिवारों
को दाल व 50.7 फीसदी परिवार को ही खाद्य तेल नसीब होता है।