जयपुर, जागरण संवाद केन्द्र। केंद्र के समान वेतनमान देने की मांग को
लेकर बृहस्पतिवार को राजस्थान के 33 जिलों के सभी जिला अस्पताल एक साथ ठप
हो गए। अपनी मांगों को लेकर सेवारत चिकित्सक संघ से जुड़कर आंदोलन कर रहे
करीब नौ हजार चिकित्सकों के एक साथ एक दिन के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से
यह हालात पैदा हुए हैं। चिकित्सकों ने आंदोलन को और लंबा खींचने का ऐलान
किया है। जयपुर शहर के जिला स्तरीय व सेटेलाइट अस्पतालों के सेवारत डॉक्टर
सामूहिक अवकाश पर रहे। जिसके कारण जिला स्तरीय कांवटिया, सेटेलाइट में
जयपुरिया, सेठी कॉलोनी एवं बनीपार्क स्थित अस्पतालों में आने वाले मरीजों
को परेशानी का सामना करना पड़ा। आसपास के क्षेत्र से आने वाले मरीजों को
आउटडोर में डॉक्टर नदारद मिले तथा लम्बी लाइनें लगी रही।
सेवारत डॉक्टर्स वे डॉक्टर्स हैं जो राज्य सरकार के अंतर्गत कार्यरत
हैं लेकिन मेडिकल कॉलेज में काम नहीं कर रहे हैं। यानी कि जयपुर में एसएमएस
मेडिकल कॉलेज व उससे जुड़े अस्पतालों के अलावा सभी सरकारी अस्पतालों के
डॉक्टर और प्रशासनिक पदों पर तैनात सभी डॉक्टर हड़ताल पर है। अस्पताल
प्रशासन का कहना है कि निदेशालय की तरफ मेडिसन, गायनी, सर्जरी एवं नेत्र
आदि के डॉक्टर्स नियुक्त कर दिए हैं। उधर, दूसरी तरफ एसएमएस मेडिकल कॉलेज
के जुड़े अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स और सेवारत डॉक्टरों के समर्थन में
सुबह आठ से दस बजे तक कार्य का बहिष्कार किया। अखिल राजस्थान सेवारत
चिकित्सक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. जी.डी. माहेश्वरी ने बताया कि सरकार से
बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला और मजबूर होकर सामूहिक अवकाश का
निर्णय लेना पड़ा। अगर सरकार इन लोगों की मांगे नहीं मानेगी तो यह आंदोलन
और लंबा खींचा जा सकता है। चिकित्सा मंत्री एए खान उर्फ दुर्रूमियां ने कहा
कि सरकार को चिकित्सकों के हितों की चिंता है। सेवारत चिकित्सकों की
समस्याओं के प्रति भी सरकार पूरी तरह से गंभीर है। चिकित्सा मंत्री ने
अवकाश पर गए चिकित्सकों से अपील की है कि मरीजों के हित में वे काम कर
लौटें। मिल बैठ कर समस्या का हल निकाला जा सकता है।