नागपुर.
उपराजधानी में हरसाल करीब पांच हजार बच्चों की किलकारियां जन्म से पहले ही
दबा दी जाती हैं। इस कड़वे सच से सबक लेते हुए मनपा का स्वास्थ्य विभाग
गर्भ में पल रहे बच्चों की रक्षा के लिए आगे आया है। इसके लिए नए नियम बनाए
जा रहे हैं।
इसके तहत गर्भपात के लिए अब मनपा से अग्रिम अनुमति लेनी पड़ेगी। मनपा के
स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक डॉ.राजन प्रधान ने भास्कर को बताया कि नागपुर
में अवैध गर्भपात और भ्रूण लिंग परीक्षण से संबंधित सकरुलर एक महीने के
भीतर जारी हो जाएगा। नए नियम के दायरे में शहर के सभी अस्पताल, प्रसूति
गृह, नर्सिग होम और एमटीपी सेंटर होंगे।
रद्द होगा पंजीकरण
डॉ. प्रधान के अनुसार, शहर में कई सोनोग्राफी सेंटर्स में भ्रूण लिंग
परीक्षण और कई अस्पतालों में अवैध रूप से एबॉर्शन किए जाने की संभावना से
इनकार नहीं किया जा सकता। इसे रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नए नियम के
तहत काफी सख्त प्रावधान किए हैं।
डॉ. प्रधान ने कहा कि नए नियमों के अनुसार स्वास्थ्य कारणों से किए जाने
वाले गर्भपात ऑपरेशन के लिए अस्पताल प्रशासन को मनपा के स्वास्थ्य विभाग से
अग्रिम अनुमति लेनी पड़ेगी। इसी तरह इमरजेंसी में यदि कोई गर्भपात करना
पड़ा तो गर्भपात के एक घंटे के भीतर अस्पताल प्रशासन को इसकी सूचना
स्वास्थ्य विभाग को देनी पड़ेगी।
अस्पताल प्रशासन ने यदि गर्भपात की सूचना मनपा के स्वास्थ्य विभाग को नहीं
दी तो अस्पताल का पंजीकरण रद्द करने के साथ ही दोषियों पर कानूनी कार्रवाई
भी की जाएगी।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर औचक निरीक्षण के माध्यम से
शहर के सभी प्रसूति गृहों और अस्पतालों पर नजर रखेगा। उपराजधानी के
सोनोग्राफी सेंटर्स में भ्रूण लिंग परीक्षण और अस्पतालों में अवैध तरीके से
एबॉर्शन करने वालों को पकड़ने के लिए चलाया जा रहा अभियान और तेज किया
जाएगा।
इन शर्तों पर अनुमति
गर्भवती महिला की जीवन रक्षा, शारीरिक अथवा मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर
क्षति को दूर करने के लिए। गर्भ में पल रहे बच्चे के विकलांग अथवा किसी
बीमारी से पीड़ित होने का खतरा होने पर गर्भपात की अनुमति दी जाएगी।
क्या कहता है कानून
एमटीपी एक्ट 1971 के तहत गैर मान्यता प्राप्त संस्था में एबॉर्शन का मामला
पकड़े जाने पर संस्था के मालिक और डॉक्टर को 2 से 7 साल की कैद की सजा का
प्रावधान है। इसके अलावा प्रसव पूर्व भ्रूणलिंगपरीक्षण करने वाले डॉक्टर को
3 से 5 साल के कारावास अथवा 10 से 50 हजार रुपए तक के जुर्माने सेदंडित
किया जाता है।
बनेगा छापामार दस्ता
डॉ. प्रधान के मुताबिक शहर के सोनोग्राफी सेंटर्स का सप्ताह में एक बार
अवश्य निरीक्षण किया जाएगा। इसके लिए डॉक्टरों की टीम बनाई जाएगी।
अस्पतालों, प्रसूतिगृहों और सोनोग्राफी सेंटर्स के औचक निरीक्षण के लिए
मनपा के स्वास्थ्य विभाग का छापामार दस्ता भी बनाया जाएगा।
उपराजधानी में हरसाल करीब पांच हजार बच्चों की किलकारियां जन्म से पहले ही
दबा दी जाती हैं। इस कड़वे सच से सबक लेते हुए मनपा का स्वास्थ्य विभाग
गर्भ में पल रहे बच्चों की रक्षा के लिए आगे आया है। इसके लिए नए नियम बनाए
जा रहे हैं।
इसके तहत गर्भपात के लिए अब मनपा से अग्रिम अनुमति लेनी पड़ेगी। मनपा के
स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक डॉ.राजन प्रधान ने भास्कर को बताया कि नागपुर
में अवैध गर्भपात और भ्रूण लिंग परीक्षण से संबंधित सकरुलर एक महीने के
भीतर जारी हो जाएगा। नए नियम के दायरे में शहर के सभी अस्पताल, प्रसूति
गृह, नर्सिग होम और एमटीपी सेंटर होंगे।
रद्द होगा पंजीकरण
डॉ. प्रधान के अनुसार, शहर में कई सोनोग्राफी सेंटर्स में भ्रूण लिंग
परीक्षण और कई अस्पतालों में अवैध रूप से एबॉर्शन किए जाने की संभावना से
इनकार नहीं किया जा सकता। इसे रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नए नियम के
तहत काफी सख्त प्रावधान किए हैं।
डॉ. प्रधान ने कहा कि नए नियमों के अनुसार स्वास्थ्य कारणों से किए जाने
वाले गर्भपात ऑपरेशन के लिए अस्पताल प्रशासन को मनपा के स्वास्थ्य विभाग से
अग्रिम अनुमति लेनी पड़ेगी। इसी तरह इमरजेंसी में यदि कोई गर्भपात करना
पड़ा तो गर्भपात के एक घंटे के भीतर अस्पताल प्रशासन को इसकी सूचना
स्वास्थ्य विभाग को देनी पड़ेगी।
अस्पताल प्रशासन ने यदि गर्भपात की सूचना मनपा के स्वास्थ्य विभाग को नहीं
दी तो अस्पताल का पंजीकरण रद्द करने के साथ ही दोषियों पर कानूनी कार्रवाई
भी की जाएगी।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर औचक निरीक्षण के माध्यम से
शहर के सभी प्रसूति गृहों और अस्पतालों पर नजर रखेगा। उपराजधानी के
सोनोग्राफी सेंटर्स में भ्रूण लिंग परीक्षण और अस्पतालों में अवैध तरीके से
एबॉर्शन करने वालों को पकड़ने के लिए चलाया जा रहा अभियान और तेज किया
जाएगा।
इन शर्तों पर अनुमति
गर्भवती महिला की जीवन रक्षा, शारीरिक अथवा मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर
क्षति को दूर करने के लिए। गर्भ में पल रहे बच्चे के विकलांग अथवा किसी
बीमारी से पीड़ित होने का खतरा होने पर गर्भपात की अनुमति दी जाएगी।
क्या कहता है कानून
एमटीपी एक्ट 1971 के तहत गैर मान्यता प्राप्त संस्था में एबॉर्शन का मामला
पकड़े जाने पर संस्था के मालिक और डॉक्टर को 2 से 7 साल की कैद की सजा का
प्रावधान है। इसके अलावा प्रसव पूर्व भ्रूणलिंगपरीक्षण करने वाले डॉक्टर को
3 से 5 साल के कारावास अथवा 10 से 50 हजार रुपए तक के जुर्माने सेदंडित
किया जाता है।
बनेगा छापामार दस्ता
डॉ. प्रधान के मुताबिक शहर के सोनोग्राफी सेंटर्स का सप्ताह में एक बार
अवश्य निरीक्षण किया जाएगा। इसके लिए डॉक्टरों की टीम बनाई जाएगी।
अस्पतालों, प्रसूतिगृहों और सोनोग्राफी सेंटर्स के औचक निरीक्षण के लिए
मनपा के स्वास्थ्य विभाग का छापामार दस्ता भी बनाया जाएगा।