नागपुर.
एक सप्ताह से आसमान में डेरा डाले बादलों के बरसने की प्रतीक्षा में
किसानों की आंखें पथरा गई हैं। यदि 24 घंटे में भारी बारिश नहीं हुई तो उन
किसानों के सामने दोबारा बुआई की नौबत आ जाएगी, जो खेतों में हल चला चुके
हैं।
जिले में 1 लाख 38 हजार 832 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की गई है। सिर्फ
29.8 प्रतिशत बुआई हुई। वास्तव में जिले में खरीफ फसल क्षेत्र 5 लाख 19
हजार 788 हेक्टेयर अपेक्षित है। इसकी तुलना में बुआई क्षेत्र को काफी कम
माना जा रहा है।
किसानों को उम्मीद थी कि जून की शुरुआत में अच्छी बारिश होगी। इसी उम्मीद
में धड़ल्ले से बुआई का काम शुरू हो गया था, लेकिन 15 जून तक बारिश नहीं
होने के बाद किसानों ने बुआई रोक दी है। जिन्होंने बोआई की है, वे अब बारिश
का इंतजार कर रहे हैं।
सबसे अधिक कपास व सोयाबीन उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। विशेषकर
काटोल, नरखेड़, कलमेश्वर, सावनेर क्षेत्र में नुकसान की आशंका जताई गई है।
फिलहाल जिले में धान 980 हेक्टेयर, सोयाबीन 79182 हेक्टेयर, कपास 42384
हेक्टेयर, सब्जी-भाजी 150 हेक्टेयर में बोआई की गई है।
मानसून की चुप्पी से बढ़ी व्याकुलता
मानसून के चुप्पी साध लेने से जिले के किसान सकते में है। इधर सोमवार को भी
आकाश मेघों से आच्छादित रहा। इन बादलों को देखकर लोगों को बारिश होने की
उम्मीद जताई लेकिन पूरा दिन बीत गया एक बूंद राहत की आसमान से नहीं बरसी।
हालांकि देर रात कुछ फुहारों ने उपराजधानी के लोगों को थोड़ी राहत जरूर
पहुंचाई। सोमवार को बादलों के कारण उपराजधानी में पूरे दिन धूप-छांव का दौर
चलता रहा। सोमवार को नागपुर का अधिकतम तापमान 31.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज
किया गया जो सामान्य से 5 डिग्री कम है।
न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सयस दर्ज किया गया जो सामान्य से 2 डिग्री कम
है। विदर्भ में सर्वाधिक 46.6 एमएम बारिश यवतमाल जिले में दर्ज की गई।
एक सप्ताह से आसमान में डेरा डाले बादलों के बरसने की प्रतीक्षा में
किसानों की आंखें पथरा गई हैं। यदि 24 घंटे में भारी बारिश नहीं हुई तो उन
किसानों के सामने दोबारा बुआई की नौबत आ जाएगी, जो खेतों में हल चला चुके
हैं।
जिले में 1 लाख 38 हजार 832 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की गई है। सिर्फ
29.8 प्रतिशत बुआई हुई। वास्तव में जिले में खरीफ फसल क्षेत्र 5 लाख 19
हजार 788 हेक्टेयर अपेक्षित है। इसकी तुलना में बुआई क्षेत्र को काफी कम
माना जा रहा है।
किसानों को उम्मीद थी कि जून की शुरुआत में अच्छी बारिश होगी। इसी उम्मीद
में धड़ल्ले से बुआई का काम शुरू हो गया था, लेकिन 15 जून तक बारिश नहीं
होने के बाद किसानों ने बुआई रोक दी है। जिन्होंने बोआई की है, वे अब बारिश
का इंतजार कर रहे हैं।
सबसे अधिक कपास व सोयाबीन उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। विशेषकर
काटोल, नरखेड़, कलमेश्वर, सावनेर क्षेत्र में नुकसान की आशंका जताई गई है।
फिलहाल जिले में धान 980 हेक्टेयर, सोयाबीन 79182 हेक्टेयर, कपास 42384
हेक्टेयर, सब्जी-भाजी 150 हेक्टेयर में बोआई की गई है।
मानसून की चुप्पी से बढ़ी व्याकुलता
मानसून के चुप्पी साध लेने से जिले के किसान सकते में है। इधर सोमवार को भी
आकाश मेघों से आच्छादित रहा। इन बादलों को देखकर लोगों को बारिश होने की
उम्मीद जताई लेकिन पूरा दिन बीत गया एक बूंद राहत की आसमान से नहीं बरसी।
हालांकि देर रात कुछ फुहारों ने उपराजधानी के लोगों को थोड़ी राहत जरूर
पहुंचाई। सोमवार को बादलों के कारण उपराजधानी में पूरे दिन धूप-छांव का दौर
चलता रहा। सोमवार को नागपुर का अधिकतम तापमान 31.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज
किया गया जो सामान्य से 5 डिग्री कम है।
न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सयस दर्ज किया गया जो सामान्य से 2 डिग्री कम
है। विदर्भ में सर्वाधिक 46.6 एमएम बारिश यवतमाल जिले में दर्ज की गई।