राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की मॉनीटरिंग फेल

मुजफ्फरपुर, कार्यालय संवाददाता : लगातार बच्चों की मौत के कारणों की जांच
को पहुंची केन्द्रीय टीम जब गांवों में रहन सहन तथा वहां जागरुकता के लिए
चलने वाले अभियान पर ध्यान दिया तो आश्चर्यजनक बात सामने आयी। ग्रामीणों
से पूछा कि हर माह ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण दिवस मनाया जाता है
क्या? जवाब मिला ना? इस तरह आशा, एएनएम के काम पर निगरानी करने वाले आशा
मॉनीटर, प्रखंड हेल्थ मैनेजर, जिला से निगरानी करने वाली जिला स्वास्थ्य
समिति के अधिकारी कब विजिट करते, माह में कितने दिन फील्ड में जाते, जिस
वाहन से जाते उसका लाक बुक अपडेट है या नहीं इस तरह के कई सवाल टीम के
सामने अबूझ पहेली बनी रही। आईएमएनसीआई का प्रशिक्षण 2007 से चल रहा। एक बैच
का आठ दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाता है। इस पर रह राउंड में करीब एक लाख
खर्च होते हैं, लेकिन इसकी जांच करायी जाए पता चलेगा कि एक आदमी दो या तीन
बैच में प्रशिक्षण ले लिया तथा एक परिवार के दो या तीन सदस्य प्रशिक्षक बने
हुए हैं। इस तरह स्कील वर्थ अटेंडेंट तथा नवजात शिशु सुरक्षा नयी पीढ़ी
स्वास्थ्य गारंटी कार्यक्रम, मुस्कान एक अभियान, ग्रामीण स्वास्थ्य व
स्वच्छता समिति, वीएचएनडी, नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम की उपलब्धि टारगेट
से पीछे है। दिल्ली से आए विशेषज्ञ चिकित्सक ने कहा कि कम्युनिटी
ट्रीटमेंट फेल है। दिल्ली से जांच को पहुंचे विशेषज्ञ चिकित्सक डा.आईपी
चौधरी ने कहा कि एनआरएचएम के तहत जो प्रशिक्षण दिये जा रहे उसकी सही
मॉनीटरिंग हो तो छोटी-छोटी बीमारी महामारी का रूप नहीं लेगी। इधर सिविल
सर्जन डा.एपी सिंह ने कहा कि उन्हें भी गांवों से शिकायत मिल रही है कि
प्रशिक्षण का लाभ जितना मिलना चाहिए उतना नहीं मिल रहा।

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