मैं क्या करूं साब, बेबस आंखों के सामने तड़प रहा है बेटा

मेहसाणा।
अपने बच्चों की जिंदगी के लिए मां अपना सबकुछ न्यौछावर कर सकती है लेकिन
इस मां की स्थिति कुछ ऐसी है, जिस पर इसका बस नहीं। और ये अपने जवान बेटे
को अपनी आंखों के सामने ही मरते हुए देखने पर मजबूर है। क्योंकि पिछले दो
वर्षो से कैंसर की समस्या से जूझ रहे बेटे के इलाज के लिए विधवा और बूढ़ी
मां के पास पैसे नहीं हैं और इसके पास अब लोगों से मदद की गुहार लगाने का
ही रास्ता बचा है।

मेहसाणा के पास सांथल गांव के
निवासी गोविंदभाई छगनजी ठाकुर को दो वर्ष पहले इलाज के लिए मेहसाणा लाया
गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे कैंसर की बीमारी होने की जानकारी दी। हालांकि
इसके साथ ही डॉक्टरों ने बताया कि इलाज द्वारा उसे ठीक किया जा सकता है,
लेकिन परिजनों के पास इतने पैसे ही नहीं थे। फिर भी उन्होंने अपना सबकुछ
बेच कर गोविंदभाई का इलाज चालू रखा।

इसी बीच
गोविंदभाई के पिता की भी मृत्यु हो गई और इसके बाद इनकी माली हालत बहुत
खराब होती चली गई और अब विधवा मां के पास कुछ नहीं बचा है। कुछ दिनों पहले
ही गोविंदभाई की तबियत बहुत बिगड़ गई, जिसे मेहसाणा के सिविल हास्पिटल में
भर्ती कराया गया, लेकिन हालत बिगड़ते देख यहां के डॉक्टरों ने गोविंदभाई को
अहमदाबाद कैंसर हास्पिटल में भर्ती कराने की सलाह दी, जिसे सुनकर बूढ़ी
मां फूट-फूटकर रोने लगी। क्योंकि अब उसके पास तो खाने तक के पैसे नहीं है
तो ऐसी स्थिति में बेटे का महंगे अस्पताल में इलाज तो बहुत दूर की बात है।
कलेजे पर पत्थर रख मां अपने बेटे को लेकर सीधे घर आ गई, जहां अब वह अपनी
आंखों के सामने ही उसे मरते हुए देखने पर मजबूर है।

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