नई दिल्ली/रायपुर। पर्यावरण मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के हसदेव-अरंड वन
क्षेत्र स्थित तारा, पारसा पूर्व और कांटे बासन में कोयला खंड विकसित करने
के लिए मंजूरी दे दी है। वन सलाहकार समिति की सिफारिशों को खारिज कर
मंत्रालय ने यह मंजूरी दी है।
पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने अपने आदेश में कहा कि वह वन सलाहकार
समिति की उन अंतिम सिफारिशों के प्रति असहमति रखते हैं, जिनमें छत्तीसगढ़
सरकार की तरफ से कोयला खंडों के लिए आए प्रस्तावों को नामंजूर कर देने की
सलाह दी गई थी। रमेश ने कहा कि उन्होंने प्रस्तावों को पहले चरण की मंजूरी
देने का फैसला किया है।
बहरहाल, मंत्री ने कहा कि दूसरे चरण की मंजूरी वनाधिकार कानून 2006 के
प्रावधानों का राज्य सरकार द्वारा पूर्ण अनुपालन करने पर निर्भर करेगी। वन
सलाहकार समिति की सिफारिशों को खारिज करने के लिए छह कारण बताते हुए
उन्होंने कहा कि ये इलाके हसदेव-अरंड वन के ‘नो गो’ [निषेध] क्षेत्रों में
नहीं हैं।
रमेश ने कहा कि जब तक खनन निर्धारित क्षेत्र तक सीमित रहे और राज्य
सरकार हसदेव-अरंड के मुख्य क्षेत्र को कोयला खनन के लिए खोलने की नई
अर्जियां नहीं दे, तब तक उनका यह मत है कि तारा, पारसा पूर्व और कांटे बासन
क्षेत्र को पर्यावरण मंजूरी दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि सिफारिशें
खारिज इसलिए की गई, क्योंकि उनका मानना है कि जिन क्षेत्रों के लिए
प्रस्ताव आए हैं, वे प्रचुर जैव-विविधता वाले हसदेव-अरंड वन क्षेत्र में
नहीं हैं।