नई दिल्ली।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जन लोकपाल आंदोलन के अगुआ गांधीवादी अन्ना हजारे को
अंदेशा है कि सरकारी एजेंसियां उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिशों में
जुट गई हैं। इसीलिए सरकार की ओर से जन लोकपाल के बारे में तरह-तरह के
भ्रामक बयान दिए जा रहे हैं।
अन्ना ने कहा, ‘अप्रैल में जंतर-मंतर पर पांच दिन और 8 जून को राजघाट का
अनशन देखने के बाद सरकार समझ गई है कि 16 अगस्त से शुरू होने वाला आंदोलन
पहले की तुलना में ज्यादा बड़ा होगा। इसलिए तरह-तरह से जनता को गुमराह करने
में जुटी है।’
भास्कर से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि 16 अगस्त से दोबारा अनशन शुरू
करने से पहले वे देश के अलग-अलग हिस्सों में सघन जागरूकता यात्रा पर जाना
चाहते हैं। लेकिन इसका कार्यक्रम तय करने में उन्हें दिक्कत आ रही है,
क्योंकि आने वाले दिनों में उन्हें कई बार अदालतों के चक्कर लगाने होंगे।
अगले महीने पहले से उनके खिलाफ महाराष्ट्र के कुछ नेताओं द्वारा दाखिल किए
मुकदमों की तारीखों में पेश होना होगा।
उन्होंने कहा, ‘ये मामले सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए दाखिल किए गए थे।’
उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें परेशान करने के लिए उनके हिंद स्वराज
ट्रस्ट की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। ‘ये सब मेरा ध्यान बंटाने व आंदोलन
को कमजोर करने की कोशिशें ही हैं।’
एनजीओ को शामिल करना गलत
सरकार ने अपने बिल के मसौदे में एनजीओ व आरडब्ल्यूए को भी शामिल किया है।
यह एक नकारात्मक कदम है क्योंकि गरीब, किसान, पिछड़ों के हक के लिए आंदोलन
करने वाली तमाम संस्थाएं भी इसके दायरे में आएंगी। लेकिन 16 अगस्त से शुरू
होने वाले आंदोलन पर इसका साफ असर दिखाई देगा। ये आंदोलन में अपनी आवाज
देकर उसे और भी सशक्त बनाएंगे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जन लोकपाल आंदोलन के अगुआ गांधीवादी अन्ना हजारे को
अंदेशा है कि सरकारी एजेंसियां उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिशों में
जुट गई हैं। इसीलिए सरकार की ओर से जन लोकपाल के बारे में तरह-तरह के
भ्रामक बयान दिए जा रहे हैं।
अन्ना ने कहा, ‘अप्रैल में जंतर-मंतर पर पांच दिन और 8 जून को राजघाट का
अनशन देखने के बाद सरकार समझ गई है कि 16 अगस्त से शुरू होने वाला आंदोलन
पहले की तुलना में ज्यादा बड़ा होगा। इसलिए तरह-तरह से जनता को गुमराह करने
में जुटी है।’
भास्कर से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि 16 अगस्त से दोबारा अनशन शुरू
करने से पहले वे देश के अलग-अलग हिस्सों में सघन जागरूकता यात्रा पर जाना
चाहते हैं। लेकिन इसका कार्यक्रम तय करने में उन्हें दिक्कत आ रही है,
क्योंकि आने वाले दिनों में उन्हें कई बार अदालतों के चक्कर लगाने होंगे।
अगले महीने पहले से उनके खिलाफ महाराष्ट्र के कुछ नेताओं द्वारा दाखिल किए
मुकदमों की तारीखों में पेश होना होगा।
उन्होंने कहा, ‘ये मामले सिर्फ मुझे परेशान करने के लिए दाखिल किए गए थे।’
उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें परेशान करने के लिए उनके हिंद स्वराज
ट्रस्ट की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। ‘ये सब मेरा ध्यान बंटाने व आंदोलन
को कमजोर करने की कोशिशें ही हैं।’
एनजीओ को शामिल करना गलत
सरकार ने अपने बिल के मसौदे में एनजीओ व आरडब्ल्यूए को भी शामिल किया है।
यह एक नकारात्मक कदम है क्योंकि गरीब, किसान, पिछड़ों के हक के लिए आंदोलन
करने वाली तमाम संस्थाएं भी इसके दायरे में आएंगी। लेकिन 16 अगस्त से शुरू
होने वाले आंदोलन पर इसका साफ असर दिखाई देगा। ये आंदोलन में अपनी आवाज
देकर उसे और भी सशक्त बनाएंगे।