पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि संविधान
में कृषि राज्य का विषय है इसलिए चाहे वह जीएम फूड हो या बीज विधेयक का
सवाल, राज्यों को विश्वास में लिए बगैर इन्हें उन पर थोपना नहीं ठीक नहीं
होगा।
यहां के मौर्या होटल में जैविक बिहार पर आज से शुरू तीन दिवसीय
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उदघाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि संविधान में
कृषि राज्य का विषय है इसलिए चाहे वह जीएम फूड या बीज विधेयक का सवाल हो,
राज्यों को विश्वास में लिए बगैर इन्हें उन पर थोपना नहीं ठीक नहीं होगा।
नीतीश ने संकर और जीएम बीज का जिक्र करते हुए कहा इसको लेकर देश में जो
चर्चाएं चल रही हैं उनमें इन्हें लेकर आज भी लोगों के मन में आशंकाएं हैं
इसलिए इस बारे में वैज्ञानिकों को और भी काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि
जेनेटिक बदलाव प्रकृति का काम है और प्राकृतिक ढंग से इसमें कालक्रम के
अनुसार परिवर्तन स्वयं होता रहता है पर कृत्रिम ढंग से अगर ऐसा इंसान
द्वारा किया जाएगा तो उससे खतरे उत्पन्न होने की संभावना से इनकार नहीं
किया जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रस्तावित बीज विधेयक को लेकर विरोध
जताया है और पूछा है कि क्या यह किसानों के हितों को ध्यान में रखा बनाया
जा रहा है या फिर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए बना रहे हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित बीज विधेयक का उद्देश्य
किसानों को उचित मूल्य पर गुणवत्तावाली बीज उपलब्ध कराना है या बीज का
व्यापार करने वालों के हितों की रक्षा के लिए इसे बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बीटी बैगन, बीटी मक्का की बात आने पर उसका भी हमलोगों ने
विरोध किया। उन्होंने कहा कि दो साल पूर्व बिहार में बहुराष्ट्रीय कंपनी और
सरकारी हाईब्रिड मक्का बीज किसानों को लगाने के लिए आपूर्ति की गई।
नीतीश ने कहा कि सरकारी मक्का बीज से उपज तो ठीक आई पर बहुराष्ट्रीय
कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई बीज वाले मक्का पौधों की बाली में दाना नहीं आया
जिसके कारण 61 हजार एकड़ में मक्का की फसल बर्बाद हो गई और देश में कोई
कानून नहीं है जिनसे इन बीज पर हर्जाना भरने के लिए दबाव डाला जाए।
नीतीश कहा कि उक्त बीज उपलब्ध कराने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी यह कहकर
अपना पल्ला झाड़ लिया कि किसानों ने समय से पहले बीज बो दिया और ठंड के कारण
ऐसा हुआ तथा कोई मुआवजा किसानों को नहीं दिया।