ज्यादा उपज की चाह में देशी धान की उपेक्षा

हेमगिर: हेमगिर अंचल में पारंपरिक देशी धान की खेती ने पूरे पश्चिम
ओड़िशा में किसी जमाने में ख्याति अर्जित की थी। लेकिन वर्तमान इस अंचल में
देशी धान की बजाय ज्यादा पैदावार के लिए सरकारी धान का धड़ल्ले से इस्तेमाल
हो रहा है। जिससे युवराज, सफेरी, कलाजीरा, दुईफूल, सम्लेश्वरी आदि देशी धान
की प्रजाति लुप्तप्राय सी होती जा रही है।

इस मामले में आश्चर्य की बात यह है कि देशी धान की प्रजाति को बचाने के
दिशा में कार्य करने के बजाय आधुनिक खेती के नाम पर ज्यादा पैदावार के लिए
सरकारी धान का प्रयोग करने पर जोर दिया जा रहा है। उपरोक्त देशी प्रजाति के
धान लगाने का यह फायदा होता था कि इस धान के लिए जैविक खाद अथवा कीटनाशक
दवा की जरूरत नहीं होती थी। लेकिन वर्तमान सरकारी धान पर जोर दिए जाने से
देशी धान प्रजाति लुप्त प्राय होने की कगार पर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *