आदिवासियों की जमीन पर दबंगों का कब्जा

भोपाल, जागरण संवाददाता, ग्वालियर। आदिवासियों को उनकी जमीन दिलाने के
लिए एकता परिषद ने फिर से आंदोलन करना शुरू कर दिया है। मुरैना व श्योपुर
जिले के छह सौ ज्यादा आदिवासियों के साथ एकता परिषद ने आयुक्त के दफ्तर पर
धरना देकर मांग रखी कि उन्हें जमीनों का कब्जा दिलाया जाए। अफसरों ने भी
इतनी संख्या में आदिवासियों की भीड़ देखकर उन्हें आश्वासन देकर मुश्किल से
पीछा छुड़ाया।

एकता परिषद के इस धरने का नेतृत्व करने स्वयं परिषद के प्रमुख पीवी
राजगोपालन पहुंचे। राजगोपालन ने कहा कि सरकार ने ही आदिवासियों को
जीवन-यापन के लिए जमीन दी, लेकिन प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत से इन जमीनों
पर दबंगों का कब्जा हो गया है। जब भी आदिवासी इन जमीनों पर कब्जे की बात
करते हैं तो उनकी सुनवाई नहीं होती है। अकेले मुरैना व श्योपुर में ही ऐसे
आदिवासी परिवारों की संख्या हजारों में है। जमीन नहीं होने की वजह से ये
सहारिया आदिवासी परिवार भूखों मरने की स्थिति में आ गए हैं। अब यदि ये
आदिवासी अपनी जमीनों की मांग अफसरों के सामने रखते हैं तो इन्हें भगा दिया
जाता है, बल्कि इनकी जमीनें दूसरे लोगों के नाम कर दी गयी हैं। इसमें
पटवारी से लेकर तहसीलदार तक शामिल हैं। श्योपुर जिले में ऐसे कई मामले
सामने आए हैं। बाद में चंबल संभाग के आयुक्त एके शिवहरे ने एकता परिषद व
आदिवासियों से उनकी मांगों का ज्ञापन लिया और केवल कार्रवाई का आश्वासन
देकर उन्हें चलता किया। उधर एकता परिषद के बैनर तले आदिवासियों ने तय किया
है कि यदि एक-दो महीने में उनकी जमीन वापस नहीं दिलाई गई तो वे फिर से लंबा
आंदोलन करने मुरैना आएंगे।

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