रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लघु धान्य फसलों की खेती करने का फैसला किया है।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यहा बताया कि छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ
मौसम में 2,200 हेक्टेयर में लघु-धान्य फसलो जैसे रागी, सावा, कोदो और
कुटकी की खेती की जाएगी। रागी के लिए पाच-पाच सौ हेक्टेयर और कोदो-कुटकी
तथा सावा की खेती के लिए दो-दो सौ हेक्टेयर के कलस्टर बनाए जा रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा राज्य में लघु-धान्य फसलों
का रकबा और उत्पादन बढ़ाने तथा इन फसलों की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी
दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य शासन के कृषि विभाग
द्वारा चालू खरीफ मौसम में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लघु-धान्य
फसलों का उत्पादन बढ़ाने, उनके प्रसंस्करण और किसानों को इन फसलों का उचित
मूल्य दिलाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई गई है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में रागी, सावा, कोदो
और कुटकी आदि लघु-धान्य फसलों के लिए अनुकूल जलवायु होने के कारण किसानों
को इन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि रागी की खेती के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर तीन
हजार रुपए तथा सावा, कोदो और कुटकी के लिए प्रति हेक्टर दो-दो हजार रुपए की
सामग्री प्रदान की जाएगी, जिसमें बीज मिनीकीट, जैविक खाद, उर्वरक, सूक्ष्म
पोषक तत्व और कीटनाशक शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में चालू खरीफ सत्र में 11 हजार हेक्टेयर
में रागी की फसल ली जाएगी। इसके लिए बस्तर, दंतेवाड़ा और काकेर जिले में
कलस्टर बनाए जा रहे हैं। सावा की खेती के लिए बस्तर में चार सौ हेक्टेयर के
दो कलस्टर बनाए जाएंगे। इसी तरह छह हजार 400 हेक्टेयर में कोदो की खेती की
जाएगी। जिसके लिए रायपुर, दुर्ग, राजनादगाव, कबीरधाम, बिलासपुर, सरगुजा,
जशपुर, कोरिया, बस्तर, दंतेवाड़ा और काकेर जिले में 32 कलस्टर चिन्हित किए
गए है।
कुटकी की प्रदर्शन फसलें 4,400 हेक्टेयर में लगाई जाएगी। इसके लिए
राजनादगाव, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, बस्तर और दंतेवाड़ा जिलो का चयन किया गया
है।