नई दिल्ली। खुद को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [आरएसएस] का मुखौटा
बताए जाने के व्यथित अन्ना हजारे ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र
लिखकर कहा है कि कांग्रेस के नेता और मंत्री उन्हें बदनाम करने के लिए झूठ
बोल रहे हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनके खिलाफ भाजपा और संघ
से साठगांठ का कोई सुबूत हो तो उसे सामने लाया जाए। प्रस्तुत है सोनिया
गांधी को अन्ना हजारे के पक्ष के मुख्य अंश:
प्रिय श्रीमती सोनिया गांधी जी
‘अन्ना हजारे बीजेपी और आरएसएस का मुखौटा है’, ऐसा झूठा आरोप लगाकर, और
मुझे बदनाम करने वाले मुद्दे उठाकर, सरकार और आपकी पार्टी के कई लोग जो
कोशिश कर रहे हैं, यह मुझे चिंता का विषय लग रहा है। 5 अप्रैल को जंतर मंतर
पर देशवासियों ने हमारे आंदोलन का जिस तरह साथ दिया था, वैसा साथ फिर से न
मिल सके, इसलिए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मुझे बदनाम करने की साजिश
रच रहे हैं।
देश का उज्ज्वल भविष्य निर्माण करने के लिए सरकार और पार्टी में जो
जिम्मेदार लोग हैं, वह सिर्फ सत्ता के लिए झूठ बोलने लगें तो यह देश के लिए
ठीक नहीं है। आपकी पार्टी के कई वरिष्ठ लोगों ने यह कहा कि अन्ना हजारे तो
बीजेपी और आर.एस.एस. के मुखौटे हैं। मेरी 73 साल की उम्र में मैं कभी भी
किसी पक्ष या पार्टी के नजदीक नहीं गया। कारण है कि..आज अधिकांश पक्ष और
पार्टियां सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता के पीछे पड़ी हैं।..गांधी जी ने
देश के विकास का जो रास्ता सुझाया उसे भूलते जा रहे हैं।
ऐसी बातों को रोकने के लिए जनशक्ति का दबाव निर्माण करके उनको सुधारने
का प्रयास करना और ग्रामीण विकास को गति देना, यही समाज और देश के भविष्य
के लिए अच्छा रास्ता है-ऐसी मेरी धारणा है। इसलिए जनशक्ति को इकट्ठा करने
का मेरा कई सालों से प्रयास रहा है।..5 अप्रैल को जंतर मंतर पर हमारा अनशन
हुआ था। उस वक्त किसी पक्ष और पार्टी के लोगों को हमने स्टेज पर आने की
अनुमति नहीं दी थी। यह पूरे देशवासियों ने देखा है। आप भी इस बात को जानती
हैं। ऐसी स्थिति में ‘अन्ना बीजेपी और आर.एस.एस. के मुखौटे हैं’ ऐसा आरोप
लगाना कहां तक सच है? ऐसा आरोप लगाकर मुझे बदनाम करने की साजिश हो रही है,
यह बात ठीक नहीं है।
..राजनीति में जिम्मेदार लोगों की जिम्मेदारी चरित्र नीति की होती है।
उनके पीछे चलने वाली जनता और समाज का ध्यान उनकी तरफ होता है। ऐसे में मेरा
संबंध बीजेपी या आर.एस.एस. के साथ जोड़ना ये बात अच्छी नहीं लगी। अगर
कांग्रेस पार्टी के पास इसके कोई ठोस सुबूत हैं, तो उन्हें सार्वजनिक करें।
..सरकार कहती है कि हम लोकपाल बिल लाने के लिए कटिबद्ध हैं। सरकार को
लोकपाल बिल लाने में रुचि होती तो सिविल सोसायटी के इन लोगों के साथ यह
दुर्व्यवहार क्यों किया गया?..एक और सवाल यह भी है कि सरकार को अगर इतनी
रुचि है तो 8 बार लोकसभा में यह बिल आकरभी पास न होने का कारण क्या
था?..मैंने देशवासियों को जंतर मंतर पर कहा था कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत के
लिए 15 अगस्त तक एक सख्त लोकपाल कानून नहीं लागू हुआ तो 16 अगस्त 2011 को
मैं फिर से जंतर मंतर पर अपना रुका हुआ अनशन शुरू करुंगा। जब तक शरीर में
प्राण है तब तक मेरा ये अनशन चलता रहेगा..।
..तो मेरी विनती है कि आपकी पार्टी के जिम्मेदार लोग कोई कारण न होते
हुए किसी का चरित्र हनन करने का ऐसा काम न करें। साथ ही सरकार के लोग
जनलोकपाल कानून के बारे में जनता को गुमराह करने की कोशिश न करें।
स्नेह सहित
के.बी. हजारे [अन्ना हजारे]