रायपुर.राज्य
सरकार ने केंद्र से खाद का कोटा पूरा नहीं मिलने का तोड़ निकाल लिया है।
वह गौशाला में बनाई जा रही ऑर्गेनिक खाद खरीद कर किसानों को बांटेगी। इससे
गौ शालाओं का आर्थिक विकास भी होगा। प्रदेश की 40 गौ शालाओं में बन रही
आर्गेनिक खाद जल्दी ही खेतों तक पहुंच जाएगी।
फिलहाल इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक गोबर से बन रही स्लरी में उपयोगी तत्वों की जांच कर रहे हैं।
राज्य सरकार का मानना है कि गौ शालाओं को करीब 5 करोड़ रुपए का आर्थिक लाभ
होगा और उनकी स्थिति सुधरेगी। किसानों को जरूरत के मुताबिक क्वालिटी युक्त
खाद मिल जाएगी। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति का क्षरण रोका जा सकेगा।
फसल उत्पादन में बढ़ोतरी की भी संभावना है। गो सेवा आयोग के पूर्व सदस्य
रमेश यदु ने दावा किया कि गोबर गैस संयंत्र से बनने वाली स्लरी मनुष्य के
लिए सुरक्षित होती है। रासायनिक खादों की वजह से मनुष्यों को होने वाली
बीमारियों से ऑर्गेनिक खाद बचा सकती है।
सीधी बात
मार्कफेड के अध्यक्ष राधाकृष्ण गुप्ता से भास्कर ने आर्गेनिक खाद के मुद्दे पर सीधी बात की।
> भास्कर – ऑर्गेनिक खाद की जरूरत क्यों पड़ी?
श्री गुप्ता – खाद की कमी की पूर्ति के लिए
> भास्कर – कब से शुरू कर रहे हैं नया सिस्टम?
श्री गुप्ता – जल्दी ही, खाद कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से बंटेगी।
> भास्कर — कर्मचारी इसके लिए दक्ष हैं?
श्री गुप्ता – हां, वे पहले से समितियों के कंप्यूटर आपरेट कर रहे हैं। नया सिस्टम समझने में वक्त नहीं लगेगा।
> भास्कर – आर्गेनिक खाद का विकल्प किसलिए?
श्री गुप्ता — गौ शालाओं के गोबर का उपयोग हो सकेगा। आसानी से खाद उपलब्ध होगी।
> भास्कर – इसका वितरण कब करेंगे?
श्री गुप्ता – कृषि मंत्री और कृषि उत्पादन आयुक्त को लिखा है। सहमति मिलते ही वितरण शुरू होगा।
फैक्ट फाइल
> लाभान्वित किसान – 8 से 10 लाख
> खाद की मांग – 6.50 लाख मीट्रिक टन
> जरूरत पूरीहोती है – 5 लाख मीट्रिक टन
> अब तक बांटते थे – यूरिया, डीएपी, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म जैविक खाद), सुपर फास्फेट, एम पीके इफको।
> इनकी होगी कमी पूरी – यूरिया व डीएपी की।
सरकार ने केंद्र से खाद का कोटा पूरा नहीं मिलने का तोड़ निकाल लिया है।
वह गौशाला में बनाई जा रही ऑर्गेनिक खाद खरीद कर किसानों को बांटेगी। इससे
गौ शालाओं का आर्थिक विकास भी होगा। प्रदेश की 40 गौ शालाओं में बन रही
आर्गेनिक खाद जल्दी ही खेतों तक पहुंच जाएगी।
फिलहाल इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक गोबर से बन रही स्लरी में उपयोगी तत्वों की जांच कर रहे हैं।
राज्य सरकार का मानना है कि गौ शालाओं को करीब 5 करोड़ रुपए का आर्थिक लाभ
होगा और उनकी स्थिति सुधरेगी। किसानों को जरूरत के मुताबिक क्वालिटी युक्त
खाद मिल जाएगी। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति का क्षरण रोका जा सकेगा।
फसल उत्पादन में बढ़ोतरी की भी संभावना है। गो सेवा आयोग के पूर्व सदस्य
रमेश यदु ने दावा किया कि गोबर गैस संयंत्र से बनने वाली स्लरी मनुष्य के
लिए सुरक्षित होती है। रासायनिक खादों की वजह से मनुष्यों को होने वाली
बीमारियों से ऑर्गेनिक खाद बचा सकती है।
सीधी बात
मार्कफेड के अध्यक्ष राधाकृष्ण गुप्ता से भास्कर ने आर्गेनिक खाद के मुद्दे पर सीधी बात की।
> भास्कर – ऑर्गेनिक खाद की जरूरत क्यों पड़ी?
श्री गुप्ता – खाद की कमी की पूर्ति के लिए
> भास्कर – कब से शुरू कर रहे हैं नया सिस्टम?
श्री गुप्ता – जल्दी ही, खाद कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से बंटेगी।
> भास्कर — कर्मचारी इसके लिए दक्ष हैं?
श्री गुप्ता – हां, वे पहले से समितियों के कंप्यूटर आपरेट कर रहे हैं। नया सिस्टम समझने में वक्त नहीं लगेगा।
> भास्कर – आर्गेनिक खाद का विकल्प किसलिए?
श्री गुप्ता — गौ शालाओं के गोबर का उपयोग हो सकेगा। आसानी से खाद उपलब्ध होगी।
> भास्कर – इसका वितरण कब करेंगे?
श्री गुप्ता – कृषि मंत्री और कृषि उत्पादन आयुक्त को लिखा है। सहमति मिलते ही वितरण शुरू होगा।
फैक्ट फाइल
> लाभान्वित किसान – 8 से 10 लाख
> खाद की मांग – 6.50 लाख मीट्रिक टन
> जरूरत पूरीहोती है – 5 लाख मीट्रिक टन
> अब तक बांटते थे – यूरिया, डीएपी, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म जैविक खाद), सुपर फास्फेट, एम पीके इफको।
> इनकी होगी कमी पूरी – यूरिया व डीएपी की।