महोबा।
उत्तर प्रदेश में महोबा जिले में सूखा पीडितों को वितरित किये जाने के लिए
मंगाये गए करीब नौ हजार से अधिक मुर्गी के चूजे बगैर आमद कराये रहस्यमय
ढंग से गायब हो जाने से पशुपालन विभाग में हडकम्प मचा है। सूत्रों के
अनुसार जिले में नौ हजार पचास मुर्गी के चूजे कुक्कुट पालन के तहत
बेरोजगारों को रोजगार देने की मंशा से मंगाये गए थे।
सूखा पीडित बुन्देलखण्ड को मदद के लिए केन्द्र सरकार द्वारा दिये गए विशेष
पैकेज की धनराशि से जिले में गठित की गई 181 समितियों में से प्रत्येक को
50-50 चूजों की आपूर्ति हैदराबाद पोल्ट्री फार्म से करायी गयी थी। उन्होंने
बताया कि एक चूजे की खरीद में साढे 19 रूपये व्यय किया गया था जबकि परिवहन
व्यय में प्रति चूजा पांच रपये की धनराशि खर्च की गयी थी।
इस प्रकार समूचे प्रकरण में वैट टैक्स सहित सवा दो लाख रपये व्यय किये गए
दर्शाये गए थे लेकिन चूजों की बात तो दूर मौके पर यहां उन समितियों का ही
कोई अता पता नहीं है जिन्हें कुक्कुट पालन योजना के तहत मुर्गी पालन के लिए
गठित किया गया था।
उत्तर प्रदेश में महोबा जिले में सूखा पीडितों को वितरित किये जाने के लिए
मंगाये गए करीब नौ हजार से अधिक मुर्गी के चूजे बगैर आमद कराये रहस्यमय
ढंग से गायब हो जाने से पशुपालन विभाग में हडकम्प मचा है। सूत्रों के
अनुसार जिले में नौ हजार पचास मुर्गी के चूजे कुक्कुट पालन के तहत
बेरोजगारों को रोजगार देने की मंशा से मंगाये गए थे।
सूखा पीडित बुन्देलखण्ड को मदद के लिए केन्द्र सरकार द्वारा दिये गए विशेष
पैकेज की धनराशि से जिले में गठित की गई 181 समितियों में से प्रत्येक को
50-50 चूजों की आपूर्ति हैदराबाद पोल्ट्री फार्म से करायी गयी थी। उन्होंने
बताया कि एक चूजे की खरीद में साढे 19 रूपये व्यय किया गया था जबकि परिवहन
व्यय में प्रति चूजा पांच रपये की धनराशि खर्च की गयी थी।
इस प्रकार समूचे प्रकरण में वैट टैक्स सहित सवा दो लाख रपये व्यय किये गए
दर्शाये गए थे लेकिन चूजों की बात तो दूर मौके पर यहां उन समितियों का ही
कोई अता पता नहीं है जिन्हें कुक्कुट पालन योजना के तहत मुर्गी पालन के लिए
गठित किया गया था।