हजारे पक्ष ‘अप्रासंगिक मुद्दे’ उठा रहा हैः सरकार

नयी दिल्लीः लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार कर रही संयुक्त समिति में
शामिल समाज के सदस्यों द्वारा इसकी आज की बैठक का बहिष्कार करने की कडी
आलोचना करते हुए सरकार ने कहा है कि अन्ना हजारे के समर्थक मुद्दे से
‘बाहरी विषय’ उठा रहे हैं. उसने कहा कि वह हजारे पक्ष के बिना भी 30 जून तक
मसौदा तैयार कर लेगी.

समाज के सदस्यों के बहिष्कार के बीच आज हुई समिति की इस बैठक के बाद
इसके सदस्य और मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से
बातचीत में हजारे पक्ष द्वारा बैठक में शामिल नहीं होने के पीछे रामलीला
मैदान की घटना के मुद्दे को उठाने पर सवाल खडे किये. सिब्बल ने कहा कि इस
मुद्दे का विधेयक का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया से क्या संबंध हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार अन्ना हजारे पक्ष द्वारा की गयी टिप्पणियों से
स्तब्ध है. वे हमें धोखेबाज, झूठा और षड्यंत्रकारी कैसे कह सकते हैं. क्या
वे गंभीर हैं? इस तरह की बातों से लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने की
प्रक्रिया में ही विलंब होगा.

सिब्बल ने कहा कि लोकपाल विधेयक का मसौदा अपने तय समय पर तैयार होगा.
समाज के सदस्य बैठक में शामिल हों या नहीं हों, लेकिन हम लोकपाल विधेयक का
मसौदा 30 जून तक तैयार कर लेंगे. विधेयक संसद के मानसून सत्र में पेश किया
जायेगा. उन्होंने कहा, ‘‘आज की बैठक में लोकपाल विधेयक से संबंधित कई
प्रावधानों को अंतिम रूप दिया गया.’’ मंत्री ने अन्ना हजारे के नेतृत्व
वाले समाज के सदस्यों के समिति की बैठक का बहिष्कार करने की निंदा करते हुए
कहा कि हजारे पक्ष लोकपाल विधेयक से ‘असंबंधित मुद्दे’ उठा रहा है.

संयुक्त समिति के दोनों पक्षों में पिछली बैठक में ही गंभीर मतभेद
उत्पन्न हुए थे. हजारे पक्ष के आज की बैठक में शामिल नहीं होने के बाद
केंद्र की ओर से शामिल पांच मंत्रियों ने ही बैठक की. इससे इस समिति के
संयुक्त प्रारूप होने पर सवाल खडे हो गये. हजारे ने रामलीला मैदान पर बाबा
रामदेव के खिलाफ़ हुई कार्रवाई के बारे में कल यह भी कहा कि इससे
भ्रष्टाचार से निपटने के संबंध में सरकार के संदेहास्पद इरादे जाहिर होते
हैं. सिब्बल ने दावा किया कि हजारे पक्ष चाहता है कि उनकी सभी मांगों को
बिना विरोध के सरकार स्वीकार कर ले. अगर उनकी कोई मांग खारिज हो जाती है तो
हजारे तथा उनके साथी कार्यकर्ता सरकार की मंशा पर सवाल खडे करना शुरू कर
देते हैं.

उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘‘हम सरकार द्वारा सहयोग नहीं करने
के हजारे के लगाये गये सभी आरोपों को कठोरतम शब्दों में खारिज करते हैं.
भविष्य में इस तरह की भाषा सार्वजनिक रूप से नहीं कही जानी चाहिये.’’ बैठक
में शामिल नहीं होने का फ़ैसला करने के बाद समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण
ने समिति के अध्यक्ष और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को पत्र लिखकर रामदेव
पर हुई कार्रवाई और केंद्र द्वारा प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर
मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों को वस्तुनिष्ठ प्रश्नवाली की शैली में
पत्र लिखे जाने पर ऐतराज जताया. भूषणने अपने पत्र में कहा, ‘‘चार जून की
घटनाओं और समिति की बैठकों में सरकार के रुख से यह जाहिर होता है कि शायद
केंद्र भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने के प्रति गंभीर नहीं है.’’

रामदेव पर हुई कार्रवाई के बारे में पूर्व विधि मंत्री ने कहा, ‘‘शनिवार
रात रामलीला मैदान पर जो हुआ, उसने भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने के लिए
सरकार की गंभीरता के बारे में हमारे शक को और पुख्ता कर दिया है. क्या
असहाय और निहत्थे लोगों पर बर्बर कार्रवाई करना सही है? यह दर्शाता है कि
सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लोगों की आवाज को कुचल देना चाहती है.’’ समिति
की अगली बैठक में भी हजारे पक्ष के शामिल नहीं होने के आसार नजर आ रहे हैं
क्योंकि भूषण ने अपने पत्र में गांधीवादी कार्यकर्ता के पूर्व निर्धारित
कार्यक्रमों का हवाला देते हुए बैठक की तारीख बदलने का अनुरोध किया है.

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