जालंधर।
हलका जालंधर कैंट में पड़ते गांव रहमानपुर में पंचायती जमीन से खदेड़े गए
दलित परिवारों का जीवन मुश्किल हो गया है। रहमानपुर गांव के दो दर्जन से
ज्यादा दलित परिवार पिछले 20 वर्षो से गांव की पंचायती जमीन पर पशु बांधते आ
रहे थे। जिन्हें जिला विकास व पंचायत विभाग के अधिकारियों ने डीसी की
अनुमति से वहां से खदेड़ दिया। विभाग डिच लेकर पहुंचा था और इस कार्रवाई
में पंचायती जमीन पर सालों से लगे पेड़ भी उखाड़ फेंके। जमीन से खदेड़े गए
दलित परिवारों का कहना है कि प्रशासन ने कार्रवाई करने से पहले उन्हें इसकी
कोई सूचना भी नहीं दी गई और न ही उनका पक्ष सुना गया।
खदेड़े गए दलित परिवारों का नेतृत्व कर रहे अनुसूचित जाति वर्ग के पंच
बलदेव राज का कहना है कि गांव के जमींदारों और दलित परिवारों ने समझौते
के तहत दो छप्पड़ों का बंटवारा आपसी सहमति से कर लिया गया था। इसमें एक
छप्पड़ जमींदार वर्ग को दे दिया गया था और इस पर उन्होंने गुरुद्वारा बना
लिया है, जबकि दूसरा छप्पड़ दलित परिवारों को दिया था। अब गांव के कुछ अमीर
लोगों ने प्रशासन की मदद लेकर उनके हिस्से आई पंचायती जमीन से उन्हें
खदेड़ दिया, जबकि जमींदार वर्ग के हिस्से आई पंचायती जमीन पर उनका कब्जा
बरकरार हैं। पंच बलदेव राज ने कहा कि उन्हें उनके कब्जे पर कोई ऐतराज नहीं
है, लेकिन यह आपत्ति जरूर है कि उन्हें निशाना क्यों बनाया गया। बलदेव राज
ने आरोप लगाया कि उनका अपहरण करने वाले जमींदार को बचाने के लिए ही यह
अत्याचार करवाया गया है, ताकि इस मामले पर उनसे राजीनामा करवाया जा सके।
दूसरों को दी जा रही जमीन
गांव के दलित परिवारों ने यह भी आरोप लगाया कि उनसे जमीन छीनकर गांव की
पंचायत के कुछ पंच दूसरे लोगों को देने की तैयारी में लगे हुए हैं। इसे वे
किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। इन लोगों ने कहा कि गांव में ८क्
फीसदी आबादी दलित वर्ग की है और उन्हें पंचायती जमीन से खदेड़ा जा रहा है।
हलका जालंधर कैंट में पड़ते गांव रहमानपुर में पंचायती जमीन से खदेड़े गए
दलित परिवारों का जीवन मुश्किल हो गया है। रहमानपुर गांव के दो दर्जन से
ज्यादा दलित परिवार पिछले 20 वर्षो से गांव की पंचायती जमीन पर पशु बांधते आ
रहे थे। जिन्हें जिला विकास व पंचायत विभाग के अधिकारियों ने डीसी की
अनुमति से वहां से खदेड़ दिया। विभाग डिच लेकर पहुंचा था और इस कार्रवाई
में पंचायती जमीन पर सालों से लगे पेड़ भी उखाड़ फेंके। जमीन से खदेड़े गए
दलित परिवारों का कहना है कि प्रशासन ने कार्रवाई करने से पहले उन्हें इसकी
कोई सूचना भी नहीं दी गई और न ही उनका पक्ष सुना गया।
खदेड़े गए दलित परिवारों का नेतृत्व कर रहे अनुसूचित जाति वर्ग के पंच
बलदेव राज का कहना है कि गांव के जमींदारों और दलित परिवारों ने समझौते
के तहत दो छप्पड़ों का बंटवारा आपसी सहमति से कर लिया गया था। इसमें एक
छप्पड़ जमींदार वर्ग को दे दिया गया था और इस पर उन्होंने गुरुद्वारा बना
लिया है, जबकि दूसरा छप्पड़ दलित परिवारों को दिया था। अब गांव के कुछ अमीर
लोगों ने प्रशासन की मदद लेकर उनके हिस्से आई पंचायती जमीन से उन्हें
खदेड़ दिया, जबकि जमींदार वर्ग के हिस्से आई पंचायती जमीन पर उनका कब्जा
बरकरार हैं। पंच बलदेव राज ने कहा कि उन्हें उनके कब्जे पर कोई ऐतराज नहीं
है, लेकिन यह आपत्ति जरूर है कि उन्हें निशाना क्यों बनाया गया। बलदेव राज
ने आरोप लगाया कि उनका अपहरण करने वाले जमींदार को बचाने के लिए ही यह
अत्याचार करवाया गया है, ताकि इस मामले पर उनसे राजीनामा करवाया जा सके।
दूसरों को दी जा रही जमीन
गांव के दलित परिवारों ने यह भी आरोप लगाया कि उनसे जमीन छीनकर गांव की
पंचायत के कुछ पंच दूसरे लोगों को देने की तैयारी में लगे हुए हैं। इसे वे
किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। इन लोगों ने कहा कि गांव में ८क्
फीसदी आबादी दलित वर्ग की है और उन्हें पंचायती जमीन से खदेड़ा जा रहा है।