माया का नहले पर दहला: उत्तर प्रदेश में नई भूमि अधिग्रहण नीति लागू

लखनऊ।
भूमि अधिग्रहण और मुआवजे पर किसान आंदोलनों से चौतरफा घिरी उत्तरप्रदेश
सरकार ने गुरुवार को किसान पंचायत के साथ ही नई अधिग्रहण नीति की घोषणा की।
यह नीति तत्काल लागू भी कर दी गई है। नई नीति के अनुसार डेवलपर्स को
परियोजना के लिए चिह्नित भूमि से जुड़े कम से कम 70 प्रतिशत किसानों को
सहमत करना होगा।


 


इसके बाद आपसी सहमति के आधार पर पैकेज तैयार कर किसानों से सीधे जमीन लेनी
होगी। जिला प्रशासन का काम केवल इस प्रक्रिया को आसान बनाना होगा। यदि 70
प्रतिशत किसान सहमत नहीं होते हैं तो परियोजना पर पुनर्विचार किया जाएगा। 


क्या है नई नीति

किसान
इस नीति के अनुसार, 16 प्रतिशत विकसित भूमि ले सकते हैं। इसके साथ 23 हजार
रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से उन्हें 33 साल तक वार्षिकी मिलेगी। इस
वार्षिकी पर प्रति एकड़ प्रति वर्ष 800 रुपए की सालाना बढ़ोतरी होगी। यदि
कोई किसान वार्षिकी नहीं लेना चाहेगा तो उसे एकमुश्त 2,76,000 रुपए प्रति
एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जाएगा।


 


यदि नकद मुआवजे से एक वर्ष के भीतर प्रदेश में कहीं भी कृषि भूमि खरीदी
जाती है तो उसमें भी स्टाम्प ड्यूटी से पूरी छूट मिलेगी। साथ ही पूरी तरह
भूमिहीन हो रहे परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यतानुसार निजी क्षेत्र की
संस्था में नौकरी मिलेगी। 


किसानों की मजबूरी का पार्टियां उठा रहीं फायदा

मायावती ने नई नीति की घोषणा करते हुए कहा कि कुछ लोग केंद्र पर दबाव बनाने
के बजाय प्रदेश में अपनी राजनीति को चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। साजिश के
तहत किसानों को उकसाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने दावा करते हुए कहा कि
यह नीति केंद्र की प्रस्तावित नीति से कई गुना बेहतर व किसान हितैषी साबित
होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *