भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कभी साथ-साथ दिखते थे रामदेव और श्री श्री रविशंकर

नई दिल्‍ली.
योग गुरू स्वामी रामदेव और आध्‍यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर को ‘इंडिया
अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन को समय-समय पर नैतिक समर्थन करते हुए देखा गया है।
बाबा रामदेव इस समय भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अनशन की तैयारी में हैं। कुछ दिन
पहले अन्‍ना हजारे ने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ देशव्‍यापी जंग का ऐलान करते
हुए जंतर-मंतर पर आमरण अनशन किया तो सरकार हिल गई थी। आज बाबा के
‘सत्‍याग्रह’ को लेकर सरकार बेचैन है लेकिन इन सब के बीच यह गौर करने वाली
बात है कि कभी भ्रष्‍टाचार के खिलाफ साथ-साथ जंग लड़ने वाले रामदेव और
रविशंकर आज एक साथ नहीं दिखाई दे रहे हैं।


वैसे इंडिया अगेंस्‍ट
करप्‍शन (आईएसी) की वेबसाइट पर मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्मगुरुओं को
आंदोलन के संस्‍थापक सदस्‍य के रूप में दिखाया गया है। लेकिन इन सभी को
आंदोलन के बारे में कम ही बोलते हुए सुना गया है। उम्‍मीद की जा रही थी कि
बाबा रामदेव अपने अनगिनत कार्यकर्ताओं और प्रभावशाली रसूख वाले श्री श्री
रविशंकर के साथ लोगों को नए भारत के निर्माण में आईएसी के बैनर तले खड़े
होंगे। लेकिन आईएसी ने अन्‍ना हजारे को गांधीवादी के तौर पर पेश किया और
भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई में अन्‍ना को पहले खड़ा कर दिया। अरविंद
केजरीवाल और किरण बेदी को मिडिल क्‍लास के प्रतिनिधियों के र पर पेश किया
गया तो कानून के जानकार के तौर पर शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण
सामने आए।


पिछले दिनों रामदेव के निकट सहयोगी एस के तिजरावाला ने
कहा था कि लोग पिता मुखिया, बेटा सदस्‍य और केजरीवाल की सीट का रहस्‍य
जानना चाह रहे थे। शांति भूषण ने इसके जवाब में कहा था, ‘हमें बिल (लोकपाल)
के मसौदा के बारे में बात करना है, मसौदा समिति में योग नहीं करना है।’
मसौदा समिति में शामिल अन्‍ना हजारे और उनके सहयोगियों का कहना है कि वह
बाबा रामदेव का समर्थन करते हैं लेकिन योग गुरू के ‘सत्‍याग्रह’ से डरी
सरकार चाहती है कि भ्रष्‍टाचार के खिलाफ ‘आंदोलन’ चलाने वाले आईएसी में
दरार पड़ जाए।


आईएसी ने पिछले दिनों जब अन्‍ना हजारे को भ्रष्‍टाचार
के खिलाफ लड़ाई में आगे रखते हुए जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठाया तो उस वक्‍त
बाबा रामदेव देश के कई शहरों में घूम-घूमकर योग सिखा रहे थे। हालांकि वह
भी मंच साझा करने के लिए एक दिन के लिए अन्‍ना के साथ आए। लेकिन श्री श्री
रविशंकर जब इस आंदोलन में अन्‍ना के साथ आए तो उच्‍च मध्‍य वर्ग के बीच यह
संदेश गया कि यह आंदोलन उत्‍तर भारत से भी बाहर है।


हालांकि उस
आंदोलन के संदर्भ में रविशंकर उतने नामी चेहरों में शामिल नहीं थे लेकिन
इसके बावजूद उनका संगठन ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ आईएसी के प्रचार-प्रसार में जुटा
रहा। श्री श्री रविशंकर ने आइवरी कोस्‍ट, कोसोवो, इराक और यहां तक कि
कश्‍मीर में ‘पीस मूव्‍स’ जैसे संगठनों के साथ अपना नेटवर्क जोड़ना शुरू कर
दिया।  जब सरकार ने लोकपालपर मसौदा समिति की अधिसूचना जारी की तो रविशंकर
अमेरिका में थे।


लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने की डेडलाइन (30
जून) करीब आते ही सरकार को रामदेव के अनशन को लेकर माथापच्‍ची करनी पड़ रही
है। रामदेव को अनशन न करने के लिए मनाने के लिए एयरपोर्ट पर ही सरकार के
चार मंत्री पहुंच गए जबकि अन्‍ना के आंदोलन के वक्‍त ऐसा नहीं हुआ था लेकिन
कुछ दिनों के अनशन के बाद सरकार जरूर हिल गई थी। ऐसे में सरकार बाबा
रामदेव को सत्‍याग्रह को लेकर बेहद सचेत है।


दरअसल लोकपाल बिल
रामदेव की प्राथमिकता में नीचे है। उनके सत्‍याग्रह का मुख्‍य मकसद विदेशी
बैंकों में जमा करोड़ों रुपये के काला धन को देश में लाने का है। इस वक्‍त
श्री श्री रविशंकर जर्मनी में हैं। रविशंकर ने मसौदा समिति में शामिल सिविल
सोसायटी के पांचों सदस्‍यों को खुला समर्थन दिया था। यहां तक कि बेंगलुरू
में वो हजारे और केजरीवाल की अगुवानी करने तक पहुंचे थे। मसौदा समिति के
गठन में रामदेव को तरजीह नहीं दी गई लेकिन आज उनका आंदोलन अन्‍ना के आंदोलन
से भी बड़ा होता दिख रहा है। सरकार को भी ऐसा लग रहा है कि रामदेव का
आंदोलन अन्‍ना के आंदोलन से बड़ा हो सकता है। लेकिन उसे उम्‍मीद है कि
रामदेव से ‘निपटना’ कई लोगों के गुट (सिविल सोसायटी) से निपटने से आसान है।

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