नागपुर.
केंद्र सरकार बीपीएल वर्ग को मिट्टी तेल और एपीएल वर्ग को रसोई गैस पर
मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने जा रही है। सब्सिडी के बदले लाभार्थियों को
सीधे बैंक खातों से नगद राशि देने की योजना सरकार बना रही है।
इसके तहत प्रत्येक लाभार्थियों के स्मार्ट कार्ड बनाकर, उनके बैंक खातों
में यह राशि जमा की जाएगी, जिसके बाद लाभार्थी खुले बाजार से मिट्टी तेल और
रसोई गैस उठा सकेंगे। इससे मध्यस्थों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी रुकने
की संभावना है।
इस योजना के क्रियान्वयन में अभी कुछ और समय लग सकता है। सूत्रों ने बताया
कि संभवत: अगले वर्ष से यह योजना देश भर में आरंभ की जाएगी। पायलट
प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जिलों में पहले यह योजना शुरु की जाएगी।
प्रोजेक्ट में नागपुर जिले के शामिल होने की संभावना जताई गई है। सकारात्मक परिणाम दिखने पर इसे देश भर में लागू किया जाएगा।
नागपुर शहर में 64504 और ग्रामीण में 71764 बीपीएल लाभार्थी हैं। इनके लिए
प्रति माह शहर में 5129 किलोलीटर और ग्रामीण में 3980 किलोलीटर मिट्टी तेल
की मांग रहती है। इसकी तुलना में हर महीने शहर में 3156 कि.ली. और ग्रामीण
को 2760 कि.ली. मिट्टी तेल आपूर्ति की जाती है।
सरकारी राशन दुकानों में लाभार्थियों को 13 रुपए प्रति लीटर अनुसार मिट्टी
तेल मिलता है। प्रति लीटर पर सरकार लगभग 29 रुपए की सब्सिडी देती है। इस
अनुसार हर महीने शहर के बीपीएल लाभार्थी को एक लाख 48 हजार 741 रुपए और
ग्रामीण के बीपीएल लाभार्थी को एक लाख 15 हजार 420 रुपए की सब्सिडी दी जाती
है।
इसी तरह रसोई गैस धारकों को प्रति सिलेंडर पर लगभग 100 रुपए की सब्सिडी दी
जाती है। सरकार द्वारा हर महीने सब्सिडी पर लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद
इसका लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाता है।
दलाल या ठेकेदार इसका लाभ उठा लेते हैं। नागपुर सहित देश भर से लगभग समान शिकायतें केंद्र सरकार को मिली है।
न्या. वाधवा कमेटी ने इस संदर्भ में रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक वितरण
प्रणाली पर गहरी चिंता जताई है। इसलिए केंद्र सरकार ने मिट्टी तेल पर दी
जाने वाली सब्सिडी को समाप्त कर, उसे नगद के रूप में देने का निर्णय लिया
है।
सूत्रों ने बताया कि इंदिरा गांधी निराधार योजना की तर्ज पर इस योजना को
कार्यान्वित किया जाएगा। सभी लाभार्थियों के स्मार्ट कार्ड बनाये जाएंगे।
लाभार्थियों को बैंकों में खाता खोलने को कहा जाएगा। हर महीने इनके खाते
में सब्सिडी का पैसा जमा होगा।
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इससे मिट्टी तेल और रसोई गैस में होने वाली धोखाधड़ी पर रोक लगने की
संभावना जताई गई है। हालांकि जानकार इस योजना के सफल होने पर संदेह जता रहे
हैं। इतने बड़े पैमाने पर लाभार्थियों के स्मार्ट कार्ड बनाकर उन्हें सीधे
लाभ पहुंचाना असंभव बताया जा रहा है।
केंद्र सरकार बीपीएल वर्ग को मिट्टी तेल और एपीएल वर्ग को रसोई गैस पर
मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने जा रही है। सब्सिडी के बदले लाभार्थियों को
सीधे बैंक खातों से नगद राशि देने की योजना सरकार बना रही है।
इसके तहत प्रत्येक लाभार्थियों के स्मार्ट कार्ड बनाकर, उनके बैंक खातों
में यह राशि जमा की जाएगी, जिसके बाद लाभार्थी खुले बाजार से मिट्टी तेल और
रसोई गैस उठा सकेंगे। इससे मध्यस्थों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी रुकने
की संभावना है।
इस योजना के क्रियान्वयन में अभी कुछ और समय लग सकता है। सूत्रों ने बताया
कि संभवत: अगले वर्ष से यह योजना देश भर में आरंभ की जाएगी। पायलट
प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जिलों में पहले यह योजना शुरु की जाएगी।
प्रोजेक्ट में नागपुर जिले के शामिल होने की संभावना जताई गई है। सकारात्मक परिणाम दिखने पर इसे देश भर में लागू किया जाएगा।
नागपुर शहर में 64504 और ग्रामीण में 71764 बीपीएल लाभार्थी हैं। इनके लिए
प्रति माह शहर में 5129 किलोलीटर और ग्रामीण में 3980 किलोलीटर मिट्टी तेल
की मांग रहती है। इसकी तुलना में हर महीने शहर में 3156 कि.ली. और ग्रामीण
को 2760 कि.ली. मिट्टी तेल आपूर्ति की जाती है।
सरकारी राशन दुकानों में लाभार्थियों को 13 रुपए प्रति लीटर अनुसार मिट्टी
तेल मिलता है। प्रति लीटर पर सरकार लगभग 29 रुपए की सब्सिडी देती है। इस
अनुसार हर महीने शहर के बीपीएल लाभार्थी को एक लाख 48 हजार 741 रुपए और
ग्रामीण के बीपीएल लाभार्थी को एक लाख 15 हजार 420 रुपए की सब्सिडी दी जाती
है।
इसी तरह रसोई गैस धारकों को प्रति सिलेंडर पर लगभग 100 रुपए की सब्सिडी दी
जाती है। सरकार द्वारा हर महीने सब्सिडी पर लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद
इसका लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाता है।
दलाल या ठेकेदार इसका लाभ उठा लेते हैं। नागपुर सहित देश भर से लगभग समान शिकायतें केंद्र सरकार को मिली है।
न्या. वाधवा कमेटी ने इस संदर्भ में रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक वितरण
प्रणाली पर गहरी चिंता जताई है। इसलिए केंद्र सरकार ने मिट्टी तेल पर दी
जाने वाली सब्सिडी को समाप्त कर, उसे नगद के रूप में देने का निर्णय लिया
है।
सूत्रों ने बताया कि इंदिरा गांधी निराधार योजना की तर्ज पर इस योजना को
कार्यान्वित किया जाएगा। सभी लाभार्थियों के स्मार्ट कार्ड बनाये जाएंगे।
लाभार्थियों को बैंकों में खाता खोलने को कहा जाएगा। हर महीने इनके खाते
में सब्सिडी का पैसा जमा होगा।
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इससे मिट्टी तेल और रसोई गैस में होने वाली धोखाधड़ी पर रोक लगने की
संभावना जताई गई है। हालांकि जानकार इस योजना के सफल होने पर संदेह जता रहे
हैं। इतने बड़े पैमाने पर लाभार्थियों के स्मार्ट कार्ड बनाकर उन्हें सीधे
लाभ पहुंचाना असंभव बताया जा रहा है।