नई
दिल्ली. बाबा रामदेव और समाजसेवी अन्ना हजारे में प्रधानमंत्री को लोकपाल
बिल के दायरे में लाने को लेकर मतभेद हैं। लेकिन भास्कर डॉट कॉम के पाठकों
ने इस मुद्दे पर समाजसेवी अन्ना हजारे का समर्थन किया है और बाबा की
आलोचना करते हुए कहा है कि बाबा कभी- कभी सरकार और कांग्रेस की भाषा बोलने
लगते हैं। उनका मानना है कि प्रधानमंत्री को भी लोकपाल बिल के दायरे में
लाया जाना चाहिए। हालांकि एक वर्ग का मानना है कि बाबा और अन्ना के बीच
मतभेद पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
जयपुर के दिलीप सिंघल के
अनुसार बाबा को लोकपाल बिल के दायरे में प्रधानमंत्री को शामिल का समर्थन
करना चाहिए। उन्हें राजनीति नहीं करनी चाहिए। वे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर
लड़ रहे हैं और यह तभी खत्म होगा, जब उच्च पदों पर बैठे लोग भी इसके दायरे
में लाए जाएं। ब्रिटेन से सविता ने इस मुद्दे पर बाबा रामदेव को अवसरवादी
करार दिया। उन्होंने भी कहा कि प्रधानमंत्री को लोकपाल बिल के दायरे में
रखना चाहिए। भोपाल के विजय कुमार शर्मा ने कहा कि बाबा कभी अन्ना की भाषा
बोलते हैं और कभी वे कांग्रेस के साथ दिखाई देते हैं। ऑस्ट्रेलिया के
मेलबॉर्न से मनदीप ने कहा कि बाबा इतिहास देखें तो उन्हें पता चलेगा कि कई
प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के आरोप से घिरे हुए हैं। यदि लोकपाल बिल से
प्रधानमंत्री को बाहर रखेंगे तो भ्रष्टाचार कम नहीं होगा बल्कि और बढ़ेगा।
रांची
के दीपू मिश्रा ने कहा कि बाबा केवल अपना प्रचार करना चाहते हैं। वे काफी
महत्वाकांक्षी हैं और लोकपाल बिल पर उन्होंने अन्ना का विरोध कर, असली मंशा
दिखा दी है। ब्रिटेन के अनिल मौर्य ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को
लोकपाल बिल के दायरे में लाए जाने का समर्थन किया है। मेलबॉर्न,
ऑस्ट्रेलिया से मनदीप ने कहा कि बाबा इस मुद्दे पर इतिहास देखें तो उन्हें
पता चलेगा कि कई प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के आरोप से घिरे हुए हैं। यदि
लोकपाल बिल से प्रधानमंत्री को बाहर रखेंगे तो भ्रष्टाचार कम नहीं होगा
बल्कि और बढ़ेगा।
रांची के दीपू मिश्रा ने कहा कि बाबा केवल
अपना प्रचार करना चाहते हैं। वे काफी महत्वाकांक्षी हैं और लोकपाल बिल पर
उन्होंने अन्ना का विरोध कर, असली मंशा जाहिर कर दी है। ब्रिटेन के अनिल
मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री लोकपाल बिल के दायरे में लाए
जाने चाहिए। रमेश कुमार ने कहा कि बाबा ने अपने बयान में सुधार कर लिया है
और अब सभी को उनके आंदोलन का समर्थन करना चाहिए।
दिल्ली के
धर्म ने भी इस मुद्दे पर बाबा की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कुछ
तो राजनेता देश को खा गए और अब बची खुची कसर बाबा पूरी करेंगे। मुंदड़ा से
अमित पाठक ने कहा कि वे बाबा की काफी इज्जत करते हैं, लेकिन यहां पर बाबा
गलत हैं। दिल्ली के लोकेश ने आशंका जताई है कि कहीं बाबा की भ्रष्टाचारियों
से सांठगांठ तो नहीं हो गई है। बिहार के मधुबनी से भारत ने कहा कि भारत के
किसी भी नागरिक को लोकपाल बिल के दायरे से बाहर नहीं रखना चाहिए।
पुणे
के दीपक अग्रवाल ने कहा किजब अन्ना हजारे जन लोकपाल बिल के लिए लड़ रहे
हैं, तो बाबा ने भ्रष्टाचार का यह मुद्दा क्यों छेड़ दिया। जयपुर के डीएन
शास्त्री ने भी कहा कि कानून सभी के लिए समान होना चाहिए फिर वह कोई भी
क्यों न हो। हिसार से कुलदीप जांगड़ा ने भी कहा कि बाबा को अन्ना हजारे के
आंदोलन को कमजोर नहीं करना चाहिए। नीमच के चंद्रशेखर गौड़ ने कहा कि आखिर
प्रधानमंत्री को लोकपाल बिल के दायरे में रखे जाने से कौन डर रहा है। यदि
वे पाकसाफ हैं तो खुद प्रस्ताव रखें कि उन्हें इसके दायरे में रखा जाए।
एक
अन्य पाठक रमेश कुमार ने कहा कि बाबा ने अपने बयान में सुधार कर लिया है
और अब सभी को उनके आंदोलन का समर्थन करना चाहिए। मुंबई के शाहरुख ने पूरे
मुद्दे पर मीडिया को लताड़ा है और कहा है कि बाबा साफ कर चुके हैं कि
उन्होंने अन्ना का विरोध नहीं किया बल्कि यह कहा है कि मुद्दे पर विस्तार
से विचार विमर्श होना चाहिए। जयपुर के विकास के अनुसार यह केंद्र सरकार की
साजिश है, जो यह जताने की कोशिश कर रही है कि सिविल सोसायटी और बाबा इस
मुद्दे पर एकमत नहीं हैं।