फेंके जूठन से आग बुझती पेट की

आसनसोल : विकासशील देशों के लिस्ट में लगातार आगे बढ़ रहे भारत में अब
भी लाखों बच्चे ऐसे हैं जो हर दिन लोगों द्वारा फ़ेके हुए कचरे से अपना पेट
भरते हैं. शनिवार को आसनसोल रेलवे स्टेशन के सात नंबर प्लेटफॉर्म पर कुछ
ऐसा ही दृश्य देखने को मिला. चार गरीब बच्चे कचरे के पास पहुंचे और एक
पॉलिथिन को उठा-उठा कर देखने और खोलने लगे.

एक पॉलिथिन में कुछ बचा हुआ पूड़ी और सब्जी था. उस पॉलिथिन पर नजर पड़ते
ही चारों बच्चे खुश हो गये और फिर उसमें से बचे खाने को निकाल कर बड़े ही
प्यार से चट कर गये. प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले रेल कर्मियों ने बताया कि
ये बच्चे स्टेशन के आसपास ही बने झोपड़ियों में रहते हैं और ये सब
गुलगुलिया समुदाय के बच्चे हैं. इनकी आबादी लगभग तीन सौ के करीब हैं. कुछ
गिने-चुने लोगों के पास बीपीएल कार्ड है. किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा
से ये लोग पूरी तरह वंचित हैं. फिर चाहे बात लाल कार्ड की हो, बीएसयूपी या
सर्व शिक्षा अभियान की. लोगों का यह भी कहना है कि इनकी ओर कोई नहीं देखता
है.

कारण यह बताया जाता है कि ज्यादातर लोगों के नाम मतदाता लिस्ट में है ही
नहीं. नेताओं को इन लोगों से कोई लाभ नहीं है. इसलिए इन पर ध्यान देना समय
बरबाद करना समझा जाता है. हालांकि मेयर परिषद के सदस्य गुलाम सरोवर से बात
करने पर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बन गयी है. अब इन गरीबों पर ध्यान
दिया जायेगा और सरकार की ओर से इन लोगों को जो भी सुविधा मिलनी चाहिए वह
मुहैया कराया जायेगा. वहीं आसनसोल नगर निगम के मेयर तापस बनर्जी ने कहा कि
ऐसा क्षेत्र है.

इन क्षेत्रों पर नयी सरकार विशेष ध्यान देने की योजना बनायी जायेगी और
इनका उत्थान किया जायेगा. जल्द ही इन लोगों के लिए स्थायी निवास की
व्यवस्था की जायेगी.

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