नयी दिल्लीः लोकपाल विधेयक की संयुक्त प्रारूप समिति की आज होने वाली
बैठक में समाज के सदस्य उच्च अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों में
उम्रकैद समेत गंभीर दंड के प्रावधान की जोरदार वकालत कर सकते हैं. वे यह
भी मांग करेंगे कि भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को कम से कम एक साल की सश्रम कैद
और अधिक से अधिक उम्र कैद की सजा होनी चाहिए.
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की अगुवाई में समाज के सदस्यों की
सिफ़ारिश में कहा गया है, यदि आरोपी का दर्जा या रैंक उंचा है, तो उसे सजा
भी अधिक होगी. पिछले सप्ताह केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की
अध्यक्षता में समिति की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी.
हजारे की टीम चाहती है कि संसद के अंदर सांसद का आचरण यदि भ्रष्टाचार
रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत अपराध है, तो उसे भी लोकपाल के दायरे में लाया
जाना चाहिए. समिति की 23 मई की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव रखा गया था.
हजारे की टीम और सरकार सिद्धांतत इस प्रावधान पर सहमत हैं कि भ्रष्ट
अधिकारियों के खिलाफ़ जांच पूरी हो जाने के बाद उनकी संपत्ति कुर्क कर ली
जानी चाहिए.
वे इस बात पर भी सहमत हुए कि भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से जो नुकसान हुआ
हो उसकी भरपाई उनकी संपत्ति नीलाम कर की जानी चाहिए. हालांकि उनके बीच इस
बात पर असहमति थी कि किसी अधिकारी की संपत्ति की सूची के बारे में कब
अधिसूचना जारी की जाए. प्रस्ताव में कहा गया है कि अधिसूचना जारी होने के
बाद संपत्ति अन्य के नाम हस्तांतरित नहीं की जा सकती.
इसी बीच, ऐसा समझा जाता है कि समाज के प्रतिनिधियों ने लोकपाल विधेयक के
शीघ्र कानून बनाने का अभियान तेज कर दिया है. समाज के प्रतिनिधियों ने कहा
कि यदि विधेयक संसद से शीघ्र पारित नहीं हुआ तो वे 16 अगस्त को फ़िर से
जंतरमंतर पर लौट सकते हैं.