नई दिल्ली.
काले धन के मामले पर विपक्षी दलों के दबाव और योग गुरू बाबा रामदेव के
सत्याग्रह को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी अब तेजी दिखानी शुरू कर दी है।
देश में कितना काला धन है, इसका पता लगाने के लिए सरकार ने एक स्टडी
कराने का फैसला किया है। यह काम देश के तीन संस्थानों को संयुक्त तौर पर
सौंपा गया है। इसके तहत न सिर्फ देश में बल्कि देश से बाहर भेजे गए काले धन
का भी पता लगाया जाएगा। शनिवार को ही सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के
कानूनी उपाय करने पर सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया था।
काला
धन और भ्रष्टाचार के लिए जंग का ऐलान करने वाले बाबा रामदेव ने 4 जून से
दिल्ली में आंदोलन करने का फैसला किया है। बाबा रामदेव की प्रमुख मांग है
कि विदेशी बैंकों में अवैध तरीके से जमा करीब 400 लाख करोड़ रुपए का काला
धन भारत लाया जाए और इसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाए।
हालांकि
सरकार ने राष्ट्रीय लोक वित्त और नीति संस्थान (एनआइपीएपी), नेशनल
इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआइएफएम) और नेशनल काउंसिल ऑफ
अप्लाइड इकॉनामिक रिसर्च (एनसीएईआर) को काले धन के बारे में स्टडी की
जिम्मेदारी सौंप दी है। इन तीनों संस्थानों को यह कहा गया है कि वे पता
लगाएं कि काले धन की कमाई का मुख्य जरिया क्या है? इसे देश में या विदेश
में किस तरह से भेजा जा रहा है?
क्या काले धन को सफेद में बदलने का
काम भी होता है और अगर होता है तो यह किस तरह से अंजाम दिया जा रहा है? ये
संस्थान यह पता लगाने का एक और अहम काम करेंगे कि कॉरपोरेट सेक्टर कितनी कर
चोरी करता है? ये संस्थान यह सिफारिश करेंगे कि काले धन पर रोक लगाने के
लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए और विदेश से काले धन को किस तरह से वापस
लाया जा सकता है। ये संस्थान सरकार को यह भी सुझाएंगे कि इस पैसे पर भारत
सरकार कैसे टैक्स वसूल सकती है और अब तक इस वजह में कितने कर का नुकसान
हुआ है।
‘काला धन 500 से 1400 अरब डॉलर’
वित्त
मंत्रालय ने अपने एक बयान में माना है कि काले धन के बारे में कोई संतोषजनक
अनुमान नहीं हैं। कुछ हलकों में ये अनुमान लगाया जाता है कि काले धन की
तादाद 500 अरब डॉलर से लेकर 1400 अरब डॉलर तक हो सकती है।
ग्लोबल
फाइनेंशियल इंटेग्रिटी संस्था ने अनुमान लगाया है कि अवैध तरीके भारत से
बाहर जाने वाला पैसा 462 अरब डॉलर तक हो सकता है। लेकिन इन अनुमानों की
पुष्टि कर पाना बहुत मुश्किल है।
डेढ़ साल में आएगी रिपोर्ट
काला
धन का अनुमान लगाने वाली संस्थाएं इस साल मार्च में ही अध्ययन शुरूकर
चुकी हैं और डेढ़ साल के भीतर इन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
राष्ट्रीय संपदा घोषित करने की कवायद:
सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति भी बनाई है, जो इस तरह के धन को जब्त करने
उसे राष्ट्रीय संपदा घोषित करने का कानूनी ढांचा सुझाएगी। इस समिति का
प्रमुख केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन को बनाया गया
है।
रामदेव 4 जून से अनशन पर: सामाजिक कार्यकर्ता
अन्ना हजारे की मौजूदगी वाली सिविल सोसाइटी और मंत्रियों की संयुक्त समिति
लोक विधेयक के मसौदे पर काम कर रही है। वहीं योग गुरु रामदेव ने कालेधन के
मसले पर 4 जून से भूख हड़ताल करने की धमकी दी है। माना जा रहा है कि रामदेव
हरियाणा के नारनौल में अपने पैतृक घर में काले धन को लेकर आयकर के छापे से
निराश हैं। सीबीडीटी के चेयरमैन सुधीर चंद्रा ने योगगुरू से इसके लिए माफी
भी मांग ली है।
भ्रष्टाचार के कई आरोप झेल रही केंद्र में कांग्रेस
की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने जानबूझकर काले धन को लेकर तेजी दिखानी शुरू
की है ताकि आम जनता के बीच यह संदेश दिया जा सके कि वह अपने स्तर पर काले
धन पर रोक लगाने के प्रति गंभीर है। काले धन को लेकर सरकार के रवैये को
विपक्षी दल लगातार कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भी
भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया था। यूपीए-2 की सरकार के सत्ता में आने के बाद
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने काले धन पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने का
ऐलान किया था। इस सिलसिले में सरकार ने 12 विदेशी सरकारों से बातचीत का
सिलसिला भी शुरू किया है। जर्मनी सहित अन्य देशों के साथ इस बारे में
सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए समझौता भी किया गया है।
काले धन के मामले पर विपक्षी दलों के दबाव और योग गुरू बाबा रामदेव के
सत्याग्रह को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी अब तेजी दिखानी शुरू कर दी है।
देश में कितना काला धन है, इसका पता लगाने के लिए सरकार ने एक स्टडी
कराने का फैसला किया है। यह काम देश के तीन संस्थानों को संयुक्त तौर पर
सौंपा गया है। इसके तहत न सिर्फ देश में बल्कि देश से बाहर भेजे गए काले धन
का भी पता लगाया जाएगा। शनिवार को ही सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के
कानूनी उपाय करने पर सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया था।
काला
धन और भ्रष्टाचार के लिए जंग का ऐलान करने वाले बाबा रामदेव ने 4 जून से
दिल्ली में आंदोलन करने का फैसला किया है। बाबा रामदेव की प्रमुख मांग है
कि विदेशी बैंकों में अवैध तरीके से जमा करीब 400 लाख करोड़ रुपए का काला
धन भारत लाया जाए और इसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाए।
हालांकि
सरकार ने राष्ट्रीय लोक वित्त और नीति संस्थान (एनआइपीएपी), नेशनल
इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआइएफएम) और नेशनल काउंसिल ऑफ
अप्लाइड इकॉनामिक रिसर्च (एनसीएईआर) को काले धन के बारे में स्टडी की
जिम्मेदारी सौंप दी है। इन तीनों संस्थानों को यह कहा गया है कि वे पता
लगाएं कि काले धन की कमाई का मुख्य जरिया क्या है? इसे देश में या विदेश
में किस तरह से भेजा जा रहा है?
क्या काले धन को सफेद में बदलने का
काम भी होता है और अगर होता है तो यह किस तरह से अंजाम दिया जा रहा है? ये
संस्थान यह पता लगाने का एक और अहम काम करेंगे कि कॉरपोरेट सेक्टर कितनी कर
चोरी करता है? ये संस्थान यह सिफारिश करेंगे कि काले धन पर रोक लगाने के
लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए और विदेश से काले धन को किस तरह से वापस
लाया जा सकता है। ये संस्थान सरकार को यह भी सुझाएंगे कि इस पैसे पर भारत
सरकार कैसे टैक्स वसूल सकती है और अब तक इस वजह में कितने कर का नुकसान
हुआ है।
‘काला धन 500 से 1400 अरब डॉलर’
वित्त
मंत्रालय ने अपने एक बयान में माना है कि काले धन के बारे में कोई संतोषजनक
अनुमान नहीं हैं। कुछ हलकों में ये अनुमान लगाया जाता है कि काले धन की
तादाद 500 अरब डॉलर से लेकर 1400 अरब डॉलर तक हो सकती है।
ग्लोबल
फाइनेंशियल इंटेग्रिटी संस्था ने अनुमान लगाया है कि अवैध तरीके भारत से
बाहर जाने वाला पैसा 462 अरब डॉलर तक हो सकता है। लेकिन इन अनुमानों की
पुष्टि कर पाना बहुत मुश्किल है।
डेढ़ साल में आएगी रिपोर्ट
काला
धन का अनुमान लगाने वाली संस्थाएं इस साल मार्च में ही अध्ययन शुरूकर
चुकी हैं और डेढ़ साल के भीतर इन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
राष्ट्रीय संपदा घोषित करने की कवायद:
सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति भी बनाई है, जो इस तरह के धन को जब्त करने
उसे राष्ट्रीय संपदा घोषित करने का कानूनी ढांचा सुझाएगी। इस समिति का
प्रमुख केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन को बनाया गया
है।
रामदेव 4 जून से अनशन पर: सामाजिक कार्यकर्ता
अन्ना हजारे की मौजूदगी वाली सिविल सोसाइटी और मंत्रियों की संयुक्त समिति
लोक विधेयक के मसौदे पर काम कर रही है। वहीं योग गुरु रामदेव ने कालेधन के
मसले पर 4 जून से भूख हड़ताल करने की धमकी दी है। माना जा रहा है कि रामदेव
हरियाणा के नारनौल में अपने पैतृक घर में काले धन को लेकर आयकर के छापे से
निराश हैं। सीबीडीटी के चेयरमैन सुधीर चंद्रा ने योगगुरू से इसके लिए माफी
भी मांग ली है।
भ्रष्टाचार के कई आरोप झेल रही केंद्र में कांग्रेस
की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने जानबूझकर काले धन को लेकर तेजी दिखानी शुरू
की है ताकि आम जनता के बीच यह संदेश दिया जा सके कि वह अपने स्तर पर काले
धन पर रोक लगाने के प्रति गंभीर है। काले धन को लेकर सरकार के रवैये को
विपक्षी दल लगातार कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भी
भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया था। यूपीए-2 की सरकार के सत्ता में आने के बाद
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने काले धन पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने का
ऐलान किया था। इस सिलसिले में सरकार ने 12 विदेशी सरकारों से बातचीत का
सिलसिला भी शुरू किया है। जर्मनी सहित अन्य देशों के साथ इस बारे में
सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए समझौता भी किया गया है।