मुम्बई।
राज्य सरकार द्वारा मांगें मान लिए जाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा
पाटकर ने अपनी नौ दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त कर दी है। पाटकर मुम्बई के
उपनगरीय इलाके खार की झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों को वहां से हटाए जाने
के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही थीं।
‘नेशनल एलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट’ (एनएपीएम) के सदस्य मधुरेश कुमार ने
शनिवार को बताया, "जिलाधिकारी निर्मल देशमुख एक अधिसूचना लेकर आए थे,
जिसमें राज्य सरकार द्वारा मांगें मानने की बात कही गई थी। इसके बाद पाटकर
ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी।"
पाटकर ने 20 मई को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी। उनके द्वारा कमजोरी और
निम्न र?तचाप की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा था।
खार में 46 हाउसिंग सोसायटी हैं। इनमें से एक गोलिबर हाउसिंग सोसायटी को
झुग्गी-बस्ती पुनर्विकास योजना के तहत हटाया जाना था। महाराष्ट्र आवास एवं
क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएचएडीए) द्वारा यहां के 7,350 में से 5,360
परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था की जानी थी।
पाटकर ने बस्ती को नष्ट न किए जाने की मांग रखी थी। उन्होंने महाराष्ट्र
स्लम एरियाज ए?ट, 1971 का एक अधिनियम भी समाप्त करने की मांग की थी। यह
अधिनियम राज्य सरकार को झुग्गी-बस्ती में रहने वालों को वहां से बिना उनकी
इच्छा के हटाने की इजाजत देता है।
उन्होंने शहर की अन्य सभी पुनर्वास योजनाओं की जांच की भी मांग की थी।
कुमार ने बताया, "सरकार झुग्गी-बस्ती न हटाए जाने पर राजी हो गई है और उसने
ऐसी बस्तियों से जुड़ी अनियमितताओं के 15 अन्य मामलों की जांच के लिए एक
समिति गठित करने पर भी सहमति जताई है।"
राज्य सरकार द्वारा मांगें मान लिए जाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा
पाटकर ने अपनी नौ दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त कर दी है। पाटकर मुम्बई के
उपनगरीय इलाके खार की झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों को वहां से हटाए जाने
के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही थीं।
‘नेशनल एलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट’ (एनएपीएम) के सदस्य मधुरेश कुमार ने
शनिवार को बताया, "जिलाधिकारी निर्मल देशमुख एक अधिसूचना लेकर आए थे,
जिसमें राज्य सरकार द्वारा मांगें मानने की बात कही गई थी। इसके बाद पाटकर
ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी।"
पाटकर ने 20 मई को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी। उनके द्वारा कमजोरी और
निम्न र?तचाप की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा था।
खार में 46 हाउसिंग सोसायटी हैं। इनमें से एक गोलिबर हाउसिंग सोसायटी को
झुग्गी-बस्ती पुनर्विकास योजना के तहत हटाया जाना था। महाराष्ट्र आवास एवं
क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएचएडीए) द्वारा यहां के 7,350 में से 5,360
परिवारों के पुनर्वास की व्यवस्था की जानी थी।
पाटकर ने बस्ती को नष्ट न किए जाने की मांग रखी थी। उन्होंने महाराष्ट्र
स्लम एरियाज ए?ट, 1971 का एक अधिनियम भी समाप्त करने की मांग की थी। यह
अधिनियम राज्य सरकार को झुग्गी-बस्ती में रहने वालों को वहां से बिना उनकी
इच्छा के हटाने की इजाजत देता है।
उन्होंने शहर की अन्य सभी पुनर्वास योजनाओं की जांच की भी मांग की थी।
कुमार ने बताया, "सरकार झुग्गी-बस्ती न हटाए जाने पर राजी हो गई है और उसने
ऐसी बस्तियों से जुड़ी अनियमितताओं के 15 अन्य मामलों की जांच के लिए एक
समिति गठित करने पर भी सहमति जताई है।"