अम्बाला सिटी. कांवला
गांव में रविवार को सेक्टर 22 के लिए एक्वायर जमीन का कब्जा लेने गए हुडा
के अधिकारियों और कर्मचारियों को किसानों ने खदेड़ दिया। सेक्टर 22 के लिए
इस गांव की 319 एकड़ जमीन एक्वायर की गई है। कार और तीन ट्रैक्टरों पर
सवार हुडा कर्मचारियों ने जैसे ही खेतों में खड़े पशुओं के चारे व धान की
पौध को उखाड़ना शुरू किया, किसान भड़क उठे। किसानों के गुस्से को देखकर
हुडा के अफसर और कर्मचारी अपने वाहन वहीं छोड़कर भाग खड़े हुए।
रविवार को हुडा अधिकारियों के गांव पहुंचने की खबर लगते ही सारे किसान
एकत्र हो गए। उन्होंने हुडा की कार्रवाई का विरोध किया। जब अधिकारियों ने
जमीन पर अपना दावा जताया तो किसान उखड़ गए। हुडा अधिकारी भी किसानों के
उग्र रुख को देखकर वहां से भाग खड़े हुए। इस दौरान उत्तेजित किसानों ने
हुडा के ट्रैक्टरों और अफसरों की कारों को आग लगाने की कोशिश भी की। इस
घटना में हुडा का चौकीदार विजय कुमार घायल हो गया।
कांवला गांव के सरपंच बलविंद्र सिंह ने कहा कि हुडा ने जमीन अधिग्रहण के
लिए किसानों को किसी प्रकार का कोई नोटिस नहीं दिया। अधिकारी अचानक आए और
किसानों के खेतों में ट्रैक्टर चला दिए जबकि गांव की जमीन के अधिग्रहण का
मामला पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट में विचाराधीन है और कोर्ट ने इस पर स्टे
दे रखा है।
उन्होंने कहा, सरकार ने जुलाई 2006 में यहां 319 एकड़ भूमि एक्वायर करने की
कार्रवाई शुरू की थी। सरकार ने किसानों को प्रति एकड़ आठ लाख रुपए मुआवजा
और 30 फीसदी ब्याज के हिसाब से 13 लाख 27 हजार रुपए देना तय किया जबकि इस
जमीन का बाजार मूल्य करोड़ों में है।
जेई ने लगाए आरोप
हुडा के जेई जितेंद्र ने किसानों पर हाथापाई और मारपीट के आरोप लगाए है।
जेई ने कहा कि यह जमीन हुडा ने अधिग्रहण कर ली है। विभाग के हेडक्वार्टर
स्थित लैंड अधिकारी उनको कब्जा दिलवाकर गए थे। रविवार को जब वे जमीन का
कब्जा लेने गए तो किसानों ने मारपीट और हाथापाई की। जितेन्द्र का कहना था
कि वह तो सरकारी काम से ही गया था, ऐसे में किसानो ने बदसलूकी की। वही
दूसरी ओर इस घटना में चौकीदार विजय कुमार घायल हो गए।
प्रशासन ने किया था वायदा
लोकसभा चुनाव में किसानों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ धरना प्रदर्शन किए थे
तो सरकार ने डीसी के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। वायदा किया गया
था कि किसानों को बाजार मूल्य के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा लेकिन सरकार
ने 13 लाख 27 हजार प्रति एकड़ का मुआवजा दिया, जो किसानों से धोखा है।
सरपंच बलविंद्र सिंह औरकिसानों का कहना है कि जब तक मामला हाईकोर्ट में
विचाराधीन है तब तक वे हुडा को जमीन का अधिग्रहण नहीं करने देंगे।
आईएमटी विरोधियों ने कदम को सराहा
अम्बाला सिटी. इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) के लिए उपजाऊ जमीन के
प्रस्तावित अधिग्रहण के विरोध में लघु सचिवालय में चल रहा किसानों का
क्रमिक अनशन रविवार को नौवें दिन में प्रवेश कर गया। इस मौके पर किसानों ने
गांव कांवला के किसानों द्वारा जमीन अधिग्रहण करने आए हुडा के अधिकारियों
को खदेड़ने की सराहना की।
जमीन बचाओ किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष बलवंत सिंह ने कहा कि जिस तरह से
हरियाणा सरकार किसानों की जमीनों के अधिग्रहण कर रही है अब ऐसी घटनाएं
होंगी ही। यह तो किसानों द्वारा दिखाया एक ट्रायल है सरकार फिर भी नींद से
नहीं जागी तो किसान अपनी जमीन को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता
है।न्यायपालिका ने भी आदेश दिए है कि सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि यह
सुनिश्चित करें कि जो भूमि उद्योगों के लिए अधिग्रहण की जा रही है वो
उपजाऊ तो नहीं हैं?
गांव में रविवार को सेक्टर 22 के लिए एक्वायर जमीन का कब्जा लेने गए हुडा
के अधिकारियों और कर्मचारियों को किसानों ने खदेड़ दिया। सेक्टर 22 के लिए
इस गांव की 319 एकड़ जमीन एक्वायर की गई है। कार और तीन ट्रैक्टरों पर
सवार हुडा कर्मचारियों ने जैसे ही खेतों में खड़े पशुओं के चारे व धान की
पौध को उखाड़ना शुरू किया, किसान भड़क उठे। किसानों के गुस्से को देखकर
हुडा के अफसर और कर्मचारी अपने वाहन वहीं छोड़कर भाग खड़े हुए।
रविवार को हुडा अधिकारियों के गांव पहुंचने की खबर लगते ही सारे किसान
एकत्र हो गए। उन्होंने हुडा की कार्रवाई का विरोध किया। जब अधिकारियों ने
जमीन पर अपना दावा जताया तो किसान उखड़ गए। हुडा अधिकारी भी किसानों के
उग्र रुख को देखकर वहां से भाग खड़े हुए। इस दौरान उत्तेजित किसानों ने
हुडा के ट्रैक्टरों और अफसरों की कारों को आग लगाने की कोशिश भी की। इस
घटना में हुडा का चौकीदार विजय कुमार घायल हो गया।
कांवला गांव के सरपंच बलविंद्र सिंह ने कहा कि हुडा ने जमीन अधिग्रहण के
लिए किसानों को किसी प्रकार का कोई नोटिस नहीं दिया। अधिकारी अचानक आए और
किसानों के खेतों में ट्रैक्टर चला दिए जबकि गांव की जमीन के अधिग्रहण का
मामला पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट में विचाराधीन है और कोर्ट ने इस पर स्टे
दे रखा है।
उन्होंने कहा, सरकार ने जुलाई 2006 में यहां 319 एकड़ भूमि एक्वायर करने की
कार्रवाई शुरू की थी। सरकार ने किसानों को प्रति एकड़ आठ लाख रुपए मुआवजा
और 30 फीसदी ब्याज के हिसाब से 13 लाख 27 हजार रुपए देना तय किया जबकि इस
जमीन का बाजार मूल्य करोड़ों में है।
जेई ने लगाए आरोप
हुडा के जेई जितेंद्र ने किसानों पर हाथापाई और मारपीट के आरोप लगाए है।
जेई ने कहा कि यह जमीन हुडा ने अधिग्रहण कर ली है। विभाग के हेडक्वार्टर
स्थित लैंड अधिकारी उनको कब्जा दिलवाकर गए थे। रविवार को जब वे जमीन का
कब्जा लेने गए तो किसानों ने मारपीट और हाथापाई की। जितेन्द्र का कहना था
कि वह तो सरकारी काम से ही गया था, ऐसे में किसानो ने बदसलूकी की। वही
दूसरी ओर इस घटना में चौकीदार विजय कुमार घायल हो गए।
प्रशासन ने किया था वायदा
लोकसभा चुनाव में किसानों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ धरना प्रदर्शन किए थे
तो सरकार ने डीसी के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। वायदा किया गया
था कि किसानों को बाजार मूल्य के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा लेकिन सरकार
ने 13 लाख 27 हजार प्रति एकड़ का मुआवजा दिया, जो किसानों से धोखा है।
सरपंच बलविंद्र सिंह औरकिसानों का कहना है कि जब तक मामला हाईकोर्ट में
विचाराधीन है तब तक वे हुडा को जमीन का अधिग्रहण नहीं करने देंगे।
आईएमटी विरोधियों ने कदम को सराहा
अम्बाला सिटी. इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) के लिए उपजाऊ जमीन के
प्रस्तावित अधिग्रहण के विरोध में लघु सचिवालय में चल रहा किसानों का
क्रमिक अनशन रविवार को नौवें दिन में प्रवेश कर गया। इस मौके पर किसानों ने
गांव कांवला के किसानों द्वारा जमीन अधिग्रहण करने आए हुडा के अधिकारियों
को खदेड़ने की सराहना की।
जमीन बचाओ किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष बलवंत सिंह ने कहा कि जिस तरह से
हरियाणा सरकार किसानों की जमीनों के अधिग्रहण कर रही है अब ऐसी घटनाएं
होंगी ही। यह तो किसानों द्वारा दिखाया एक ट्रायल है सरकार फिर भी नींद से
नहीं जागी तो किसान अपनी जमीन को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता
है।न्यायपालिका ने भी आदेश दिए है कि सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि यह
सुनिश्चित करें कि जो भूमि उद्योगों के लिए अधिग्रहण की जा रही है वो
उपजाऊ तो नहीं हैं?