पाकुड़।
शिक्षा के क्षेत्र में सूबे का सर्वाधिक पिछड़ा जिला पाकुड़ का
लिट्टीपाड़ा प्रखण्ड वास्तव में शिक्षक व अधिकारियों के कारण पिछड़ा है।
आदिवासी व पहाड़िया बहुल यह क्षेत्र दुर्गम पहाड़ी इलाका होने के कारण
सरकार की नजरों से भी दूर है।
ऐसे में अधिकारियों की मिलीभगत से यहां मैनेज करने का धंधा बदस्तूर जारी
रहता है। इसी क्रम में शिक्षा के क्षेत्र में हो रही गड़बड़ियों के विरूद्ध
जिले में भास्कर द्वारा चलाए गए अभियान के तहत प्रखण्ड़ के सूरजबेड़ा
पंचायत के बैजनाथपुर प्रा. विद्यालय का दौरा करने पर पाया गया कि विद्यालय
के प्रधान शिक्षक केवल झंड़ोत्तोलन के दिन आते हैं। ग्रामीण जोहन हांसदा,
बानेश्वर सोरेन सहित अन्य ने बताया कि प्रधानाध्यापक अब्दुल आहे कॉफी बीते
कई महिनों से नहीं आए हैं।
उन्होनें बताया कि विद्यालय में मध्यान भोजन के बंद होने व शिक्षक के नहीं
आने से ग्रामीण बच्चों का अधिकत्तर समय मवेशियों को चराने तथा खेलने में
बीत जाता है। वहीं विद्यालय में उपस्थित पारा शिक्षक सीदो हांसदा कुल
नामांकित 85 बच्चों के अलावे कुछ भी बताने में असमर्थ दिखे। बहरहाल, वेतन
वृद्धि के अलावे शिक्षकों को जनगणना सहित असैनिक कार्यो में लगाए जाने के
कारण हाय-तौबा मचाने वाले शिक्षक यदि वास्तव में अपने कत्र्तव्य का निर्वाह
करने में कोताही नहीं बरतें तो शायद नौनिहालों का बर्बाद होता जीवन में
संवर सकता है।
विद्यालय का अनुश्रवण कर उसकी जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने वाले शिक्षक के
विरूद्ध विभागीय कार्रवाई किया जाएगा। मध्यान भोजन बंद होने पर शिक्षक का
वेतन बंद कर दिया जाएगा।
रविशंकर झा, बीईईओ, लिट्टीपाड़ा।
शिक्षा के क्षेत्र में सूबे का सर्वाधिक पिछड़ा जिला पाकुड़ का
लिट्टीपाड़ा प्रखण्ड वास्तव में शिक्षक व अधिकारियों के कारण पिछड़ा है।
आदिवासी व पहाड़िया बहुल यह क्षेत्र दुर्गम पहाड़ी इलाका होने के कारण
सरकार की नजरों से भी दूर है।
ऐसे में अधिकारियों की मिलीभगत से यहां मैनेज करने का धंधा बदस्तूर जारी
रहता है। इसी क्रम में शिक्षा के क्षेत्र में हो रही गड़बड़ियों के विरूद्ध
जिले में भास्कर द्वारा चलाए गए अभियान के तहत प्रखण्ड़ के सूरजबेड़ा
पंचायत के बैजनाथपुर प्रा. विद्यालय का दौरा करने पर पाया गया कि विद्यालय
के प्रधान शिक्षक केवल झंड़ोत्तोलन के दिन आते हैं। ग्रामीण जोहन हांसदा,
बानेश्वर सोरेन सहित अन्य ने बताया कि प्रधानाध्यापक अब्दुल आहे कॉफी बीते
कई महिनों से नहीं आए हैं।
उन्होनें बताया कि विद्यालय में मध्यान भोजन के बंद होने व शिक्षक के नहीं
आने से ग्रामीण बच्चों का अधिकत्तर समय मवेशियों को चराने तथा खेलने में
बीत जाता है। वहीं विद्यालय में उपस्थित पारा शिक्षक सीदो हांसदा कुल
नामांकित 85 बच्चों के अलावे कुछ भी बताने में असमर्थ दिखे। बहरहाल, वेतन
वृद्धि के अलावे शिक्षकों को जनगणना सहित असैनिक कार्यो में लगाए जाने के
कारण हाय-तौबा मचाने वाले शिक्षक यदि वास्तव में अपने कत्र्तव्य का निर्वाह
करने में कोताही नहीं बरतें तो शायद नौनिहालों का बर्बाद होता जीवन में
संवर सकता है।
विद्यालय का अनुश्रवण कर उसकी जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने वाले शिक्षक के
विरूद्ध विभागीय कार्रवाई किया जाएगा। मध्यान भोजन बंद होने पर शिक्षक का
वेतन बंद कर दिया जाएगा।
रविशंकर झा, बीईईओ, लिट्टीपाड़ा।