इंसानियत हुई शर्मसार, मां की कोख से फर्श पर गिरा बच्चा

हजारीबाग।
हजारीबाग के सदर अस्पताल की संवेदनहीनता और लापरवाही के कारण रविवार को एक
मां की गोद सूनी हो गई। उसका जिस्म प्रसव वेदना से तड़पता रहा। वह चीखती
चिल्लाती रही। परिजन उसे एडमिट करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे। डॉक्टरों का
दिल जरा भी नहीं पसीजा। आखिर जब गर्भवती की पीड़ा आंखों से बहने को हुई तो
उसने दीवार का सहारा ले लिया। उसके बाद धड़ाम की आवाज हुई। उसके पैर के
नीचे ही उसका जन्मा शिशु पड़ा था। लेकिन शिशु ने अभी पहली सांस भी न ली थी
कि अस्पताल की चिकित्सा सेवा के साथ उसने भी दम तोड़ दिया। बरकट्ठा के
सलैया गांव के पूना साव की पत्नी उर्मिला देवी के साथ जब यह घटना हुई, तब
वहां डॉक्टर, नर्स व अन्य मरीज भी मौजूद थे।


पूना साव ने बताया कि
सुबह 8:30 बजे वह उर्मिला को सदर अस्पताल लाया था। तीन घंटे तक लाख
मिन्नतों के बाद भी उर्मिला को भर्ती नहीं किया गया। तभी उसे प्रसव पीड़ा
शुरू हो गई। लगभग 11 बजे एक नर्स ने उसे लेबर रूम चलने को कहा। दर्द से
छटपटाती उर्मिला को नर्स ने सहारा तक नहीं दिया। वह दीवार पकड़ कर खड़ी हो
गई। उसी जगह उसने बच्चे को जन्म दे दिया। फर्श पर गिरने से शिशु की मौत हो
गई।


चार बेटियों के बाद पैदा हुआ था बेटा

उर्मिला
देवी की चार बेटियां हैं। पर वह बेटे की मां नहीं बन सकी थी। पूना साव का
कहना है कि लाखों खर्च करने के बाद उसके घर में बेटे की किलकारियां गूंजने
वाली थीं। लेकिन सदर अस्पताल के कर्मियों की लापरवाही से उसके अरमान अधूरे
रह गए।


डॉक्टर ने ढूंढ़ा बचाव का बहाना

शिशु जब गर्भ
में था, तब उसका इलाज नहीं कराया गया। केयर नहीं होने के कारण बच्चा
एबनॉर्मल होने के साथ उल्टा भी था, जिससे जन्म के तुरंत बाद उसकी मौत हो
गई। महिला को एडमिट करने में देर नहीं की गई है। गिरने से शिशु की मौत का
आरोप गलत है। बच्चे के शरीर में कहीं भी चोट का निशान नहीं है।"" डॉ विनय
कुमार, डीएस, सदर अस्पताल हजारीबाग


लोगों ने किया जमकर हंगामा

इस
हृदयविदारक दृश्य को देखकर परिजनों व अस्पताल में मौजूद अन्य लोग आपे से
बाहर हो गए और डॉक्टरों व नर्सो पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा
किया। पुलिस व सीएस डॉ. बी नारायण को घटना की जानकारी दी गई। जब सीएस नहीं
पहुंचे तो भीड़ और भड़क गई। साढ़े ग्यारह बजे से लेकर ढाई बजे तक अस्पताल
में हंगामा होता रहा। बाद में डीएस डॉ. विनय कुमार और पुलिस मौके पर
पहुंची। स्वास्थ्यकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई का आश्वासन देने पर लोगों
का गुस्सा शांत हुआ।


जल्दबाजी मेंभरा फॉर्म

महिला
वार्ड में ड्यूटी पर तैनात नर्स कमला व जुलीता का कहना था कि हमने मरीज को
एडमिट किया था। उसका फार्म नंबर 2182 है। जबकि परिजनों का कहना है कि शिशु
की मौत के बाद फॉर्म भरा गया है।


डॉक्टर-नर्सें आरोपी

पूना
साव ने सदर थाने में आवेदन देकर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर विजया भेंगरा व
नर्स कमला एवं जुलीता को आरोपी बनाया है। उसका कहना है कि इन्हीं लोगों की
लापरवाही से उसके बच्चे की मौत हुई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *