नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को विश्वास जताया कि अगले दो साल में देश
के पांच लाख गांवों को इंटरनेट ब्राडबैंड सेवाओं के लिए राष्ट्रीय आप्टिकल
फाइबर केबल नेटवर्क [एओएफएन] से जोड़ दिया जाएगा। इसके लिए ग्रामीण विकास और
दूरसंचार विभाग की योजनाओं से पैसे की मदद करने का विचार है।
दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने आज यहां कि इस संबंध में गठित पित्रोदा
समिति का मानना है कि इस कार्यक्रम को दो साल में पूरा कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस बारे में गठित उच्चस्तरीय के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने
बताया कि वे इस नीति को दो साल में [2013 तक] लागू करने की कोशिश करेंगे।
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू में पंचायतों मुख्यालयों को
ब्राडबैंड सेवा उपलबध कराने के लिए एनओएफएन गठित करने का प्रस्ताव किया था।
दूरसंचार नियामक ट्राई ने पिछले साल जारी परामर्श पत्र में सुझाव दिया था
कि 500 से अधिक जनसंख्या वाले 3.75 लाख गांवों के लिए आप्टिकल फाइबर बिछाई
जानी चाहिए। प्रस्तावित परियोजना में अकुशल कर्मचारियों के खर्च के लिए
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यकम [नरेगा] से तथा
सामग्री व उपकरणों के लिए पैसा समान सेवा दायित्व कोष से दिया जा सकता है।
राष्ट्रीय ब्राडबैंड योजना [एनबीपी] के कार्यान्वयन का अधिकारी
बीएसएनएल को दिए जाने के सवाल पर सिब्बल ने यहां एक संगोष्ठी के अवसर पर
संवाददाताओं से कहा कि यह नीतिगत मुद्दा है और ऐसा नहीं है कि निजी क्षेत्र
को इससे बाहर कर दिया गया है। निजी क्षेत्र इस नेटवर्क का उपयोग कर सकता
है। भारत में ब्राडबैंड ग्राहकों की संख्या अप्रैल 2010 में 90 लाख थी
जिसमें से केवल पांच प्रतिशत ही ग्रामीण क्षेत्र में हैं।