नई दिल्ली.
वित्त मंत्रालय ने 1000 व 500 रुपए के नोटों को चलन से वापस लेने की मांग
पर असहमति जताई है। 4 जून से राजधानी दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन
करने जा रहे बाबा रामदेव ने सरकार से मांग की है कि भ्रष्टाचार और कालेधन
पर अंकुश लगाने के लिए 1000 व 500 रुपए के नोटों का चलन बंद किया जाए।
क्या वजह :
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि बड़े नोटों को बंद करने पर सरकार को बाजार
की मांग को पूरा करने के लिए कई गुना छोटे मूल्य के नोट बाजार में लाने
पड़ेंगे। सरकारी छापेखानों की क्षमता को देखते हुए सरकार बड़े नोटों के
स्थान पर छोटे नोट नहीं ला सकती है।
क्या हैं दिक्कतें :सूत्रों ने कहा कि बाबा रामदेव की मांग को तभी
माना जा सकता है जब देश में सभी नागरिकों के पा स बैंक खाते की सुविधा हो।
फिलहाल सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद देश में सिर्फ ४क्-45 फीसदी लोगों
के पास ही बैंक खाते की सुविधा है।
अन्य देशों में लोग सभी तरह के लेनदेन 100 फीसदी बैंकिंग सुविधा होने के
कारण डेबिट व क्रेडिट कार्डो के जरिए कर लेते हैं। लेकिन देश में सभी लोगों
के पास बैंकिंग सुविधा नहीं होने को देखते हुए बड़े मूल्य के नोटों का चलन
बंद नहीं किया जा सकता है।
वर्तमान में भारत जरूरी करेंसी पेपर विदेश से मंगवाता है। यदि १क्क्क् व
५क्क् रुपए के नोटों को बंद कर दिया गया, तो छोटे मूल्य के नोटों को छापने
के लिए आवश्यक करेंसी पेपर का इंतजाम करना मुश्किल हो जाएगा।
दरअसल, पूरी दुनिया में नोटों की छपाई के लिए कागज व मशीनों का निर्माण कुछ
गिनी-चुनी ही कंपनियों द्वारा किया जाता है। इनका उत्पादन लक्ष्य भी
दुनिया से आने वाली संभावित मांग को ध्यान में रखकर ही तय होता है।
वित्त मंत्रालय ने 1000 व 500 रुपए के नोटों को चलन से वापस लेने की मांग
पर असहमति जताई है। 4 जून से राजधानी दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन
करने जा रहे बाबा रामदेव ने सरकार से मांग की है कि भ्रष्टाचार और कालेधन
पर अंकुश लगाने के लिए 1000 व 500 रुपए के नोटों का चलन बंद किया जाए।
क्या वजह :
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि बड़े नोटों को बंद करने पर सरकार को बाजार
की मांग को पूरा करने के लिए कई गुना छोटे मूल्य के नोट बाजार में लाने
पड़ेंगे। सरकारी छापेखानों की क्षमता को देखते हुए सरकार बड़े नोटों के
स्थान पर छोटे नोट नहीं ला सकती है।
क्या हैं दिक्कतें :सूत्रों ने कहा कि बाबा रामदेव की मांग को तभी
माना जा सकता है जब देश में सभी नागरिकों के पा स बैंक खाते की सुविधा हो।
फिलहाल सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद देश में सिर्फ ४क्-45 फीसदी लोगों
के पास ही बैंक खाते की सुविधा है।
अन्य देशों में लोग सभी तरह के लेनदेन 100 फीसदी बैंकिंग सुविधा होने के
कारण डेबिट व क्रेडिट कार्डो के जरिए कर लेते हैं। लेकिन देश में सभी लोगों
के पास बैंकिंग सुविधा नहीं होने को देखते हुए बड़े मूल्य के नोटों का चलन
बंद नहीं किया जा सकता है।
वर्तमान में भारत जरूरी करेंसी पेपर विदेश से मंगवाता है। यदि १क्क्क् व
५क्क् रुपए के नोटों को बंद कर दिया गया, तो छोटे मूल्य के नोटों को छापने
के लिए आवश्यक करेंसी पेपर का इंतजाम करना मुश्किल हो जाएगा।
दरअसल, पूरी दुनिया में नोटों की छपाई के लिए कागज व मशीनों का निर्माण कुछ
गिनी-चुनी ही कंपनियों द्वारा किया जाता है। इनका उत्पादन लक्ष्य भी
दुनिया से आने वाली संभावित मांग को ध्यान में रखकर ही तय होता है।