नहीं करेंगे माता-पिता की सेवा तो मिलेगी सजा

पटना.
एक ओर जहां लोग एकल परिवार के तानेबाने के बीच तथा रोजगार को लेकर अपने
वृद्ध माता-पिता की सेवा-भाव की अनदेखी कर रहे हैं, ऐसे में अब बिहार के
सरकारी कर्मचारियों को बिना ऑफिस के झंझटों के अपने माता-पिता की सेवा का
मौका मिलेगा। इसके लिए सरकार अब बकायदा कर्मचारियों को दो साल में एक बार
15 दिन का अवकाश देगी। यही नहीं, अब माता-पिता की सेवा नहीं करने वाले
लोगों को सरकार दंड भी देगी।




बिहार सरकार माता-पिता को नजरअंदाज करने वाले लोगों को सामने लाएगी। राज्य
सरकार केंद्र सरकार की ‘मेंटिनेंस ऑफ पैरेंटस एंड गाजिर्यन एक्ट’ के
मुताबिक अब राज्य में अलग पॉलिसी लाकर इसे कड़ाई से पालन करवाने जा रही है।




आयेगी जागरूकता, बदलेगी धारणा




सरकार का मानना है कि इससे जहां समाज में जागरुकता आएगी, वहीं टूट रहे
संयुक्त परिवारों की धारणा को बदलने में मदद मिलेगी। समाज कल्याण विभाग के
एक अधिकारी ने बताया कि सरकार वृद्धजनों की सहायता के लिए कई योजनाएं भी ला
रही है। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में इसके लिए एक
न्यायाधिकरण खोला जाएगा, जहां वृद्ध हो चुके माता-पिता अपने बच्चों की
शिकायत कर सकेंगे और इन शिकायतों पर सरकारी कारवाई की जाएगी। उन्होंने
बताया कि योजना के मुताबिक वृद्ध माता-पिता की सेवा नहीं करने वाली संतानों
को उनके गुजारे के लिए प्रति माह 10 हजार रुपए देने होंगे, ताकि बुजुर्ग
माता-पिता अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में अच्छे तरीके से गुजर-बसर कर सकें।




आ रही ‘स्टेट ओल्ड एज पॉलिसी’, बनेंगे ‘ओल्ड एज होम’




उन्होंने बताया कि इसी क्रम में सरकार ‘स्टेट ओल्ड एज पॉलिसी’ लाने जा रही
है। इसके तहत वृद्धजनों के लिए सरकार ‘ओल्ड एज होम’ बनवाएगी जिसमें एक ही
छत के नीचे उनके लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इसके लिए केयर
गवर्नेंस की बहाली भी की जाएगी। उन्होंने बताया कि पटना, गया, मुजफ्फरपुर,
भागलपुर और दरभंगा में ऐसे होम बनाए जाएंगे। समाज कल्याण विभाग के प्रधान
सचिव वी. के. वर्मा भी कहते हैं कि सरकार बुजुर्गों के प्रति संवेदनशील है।
उन्होंने कहा कि अब सरकारी कर्मचारियों को अपने माता-पिता की सेवा के लिए
अवकाश का बहाना नहीं चलने वाला है। चपरासी से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक को
अब प्रत्येक दो वर्ष में एक बार 15 दिनों का सवैतनिक अवकाश अपने माता-पिता
की सेवा के लिए दिया जाएगा। इस अवकाश को लेने के पूर्व चिकित्सीय प्रमाण
पत्र लाने की भी आवश्यकता नहीं होगी, सिर्फ अवकाश से लौटने के बाद ऐसे
प्रमाणपत्र लाना अनिवार्य होगा।




सरकार अवकाश के पूर्व कर्मचारियों से स्वप्रमाणित प्रमाणपत्र अवश्य लेगी,
तभी यह अवकाश मिल सकेगा। इस अवकाश के दौरान अन्य सरकारी उपार्जित अवकाश भी
नहीं मिलेगा। यही नहीं, इस अवकाश का गलत इस्तेमाल करने पर उस कर्मचारीके
खिलाफ सम्बंधित थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी और गलती पकड़े जाने पर
उसे नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है। वर्मा के मुताबिक यह अवकाश राज्य
सरकार के सभी विभागों में लागू करने का फैसला ले लिया गया है। उन्होंने
बताया कि राज्य में दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देने के लिए भी एजेंसी बनेगी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में अनाथ बच्चों के लिए बने घरों में से 17
बच्चों को दत्तक ग्रहण करवाया गया था, जबकि इस वर्ष 24 बच्चों का दत्तक
ग्रहण हो चुका है। सरकार का मानना है कि इसकी संख्या में और वृद्धि की जानी
चाहिए।

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