रायपुर/गरियाबंद.छत्तीसगढ़-ओडिशा
सीमा पर सोमवार शाम हुए नक्सली हमले में जवानों को जवाबी कार्रवाई का मौका
ही नहीं मिला। मंगलवार को मौके पर पहुंचे भास्कर संवाददाता के मुताबिक
चारों ओर से बरसाई गइं गोलियों से सूमो बिंधी पड़ी थीं और एडिशनल एसपी
राजेश पवार समेत नौ जवानों की लाशें बिखरीं।
वहीं दल में शामिल सिपाही होलीराम साहू अब तक लापता है। कच्ची सड़क की मोड़
पर घात लगाए नक्सलियों के पास लाइट मशीनगन, एसएलआर और एके-47 जैसे हथियार
थे।
बारूदी सुरंग विस्फोट के बाद ताबड़तोड़ गोलियों की बौछारों से पुलिस टीम
संभल ही नहीं पाई। ज्यादातर जवानों की मौत वाहन के अंदर ही हो गई। पुलिस के
रणनीतिकार ऐसे इलाके में सिर्फ दस लोगों की टीम के साथ जाने के फैसले से
हैरान हैं।
नहीं हुआ बारूदी सुरंग का इस्तेमाल
गरियाबंद, मैनपुर समेत आसपास के इलाकों से रवाना हुई पुलिस की सर्चिग
पार्टियां मंगलवार सुबह करीब छह बजे मौके पर पहुंचीं। सोमवार आधी रात तक
यही खबर थी कि नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर घटना को अंजाम
दिया। बिगड़ी सूमो को ट्रैक्टर से टोचन कर लाने की बात भी हो रही थी। लेकिन
मंगलवार को दोनों बातें गलत निकलीं।
मंगलवार सुबह करीब पौने छह बजे भास्कर संवाददाता दातूनूमा गांव पहुंचा। यह
इलाका राज्य के अंतिम छोर के गांव आमामोरा से करीब 15 किमी दूर ओडिशा में
है। सुनाबेड़ा सेंचुरी के इस इलाके में नक्सलियों की तलाश में राजेश पवार
कई बार सर्चिग में जा चुके थे। सोमवार को पवार के नेतृत्व में निकली टीम
में गौरव मरकाम भी था।
उड़ीसा के सीमाई गांव छुआपानी का निवासी गौरव (20) और उसके पिता दोनों ही
कभी नक्सली रहे थे। मुठभेड़ में पिता की मौत के बाद वह गांव आ गया था। पवार
ने उसे सरेंडर करवाकर एसपीओ बनवाया था। उसकी मदद से इलाके में पुलिस ने
लगातार कई सफल ऑपरेशन किए थे।
ग्रेनेड फटा ही नहीं
पुलिस की ओर से चलाई गई ज्यादातर गोलियां सूमो की बॉडी में ही फंस गईं।
जवानों ने हैंडग्रेनेड भी फेके, लेकिन वे फटे नहीं। ऐसे दो ग्रेनेड मैके से
बरामद किए गए। हमला करने के बाद नक्सलियों ने शवों को बाहर निकालकर फेंक
दिया। कुल्हाड़ी जैसे धारदार हथियारों से पवार और जवानों के शवों को
क्षत-विक्षत किए जाने की जानकारी पुलिस दे रही है।
कुछ अफसरों का कहना है कि जख्म गोलियों की वजह से आए हैं। सूमो से करीब सौ
मीटर की दूरी पर पुलिस को खून के निशान और बाल मिले हैं। इसके अंदाज है कि
कुछ नक्सली भी घायल हुए हैं।
class="introTxt" style="text-align: justify">
हथियार लूट ले गए
नक्सली जवानों के सभी नौ हथियार (दो एके 47, दो इंसास, पांच एसएलआर और १क्
ग्रेनेड), मोबाइल फोन, वायरलेस सेट लूट ले गए। घटनास्थल पर नक्सलियों के
मोर्चे के आसपास दो सौ से ज्यादा कारतूस के खोखे पड़े मिले।
हेलिकॉप्टर की मदद ली
पहले शवों को सड़क के रास्ते लाए जाने का प्लान था। इसी बीच फोर्स ने
घटनास्थल के पास के एक खेत में अस्थाई हेलिपैड बनाकर वहां हेलिकाप्टर
उतारने का इंतजाम किया। दोपहर को सभी नौ शव माना रायपुर में छत्तीसगढ़
आम्र्ड फोर्स की चौथी बटालियन के मुख्यालय में लाए गए।
यहां उनको अंतिम सलामी दी गई। राज्य के डीजीपी विश्वरंजन, आईजी आरके विज,
आईजी इंटेलिजेंस मुकेश गुप्ता के अलावा सीआरपीएफ के आईजी पंकज कुमार सिंह
ने भी घटनास्थल पहुंचकर वहां की स्थिति का मुआयना किया। आसपास के जंगल में
300 से ज्यादा जवानों की सर्चिग शाम तक चल रही थी। एंटी नक्सल ऑपरेशन के
हिसाब से ट्रेंड की गई एसटीएफ को भी ऑपरेशन में लगा दिया गया है।
गायब सिपाही है जबर्दस्त धावक
सर्चिग टीम में शामिल गरियाबंद के सिपाही होलीराम साहू का अब तक कुछ पता
नहीं चला है। मेराथन दौड़ का चैंपियन साहू एक बार में 15 किलोमीटर दौड़
सकता है। उसके साथी जवानों ने बताया कि अगर होलीराम नक्सलियों के चंगुल से
बच गया होगा, तो उसके जिंदा रहने की संभावना ज्यादा है।
शहीदों के नाम
एडिशनल एसपी राजेश पवार, ओमेश्वर ठाकुर छुरा, धनेश्वर फिंगेश्वर, किशन
यादव- देवभोग, भोलाराम साहू- धमतरी, संतोष ठाकुर-भाटापारा, ड्राइवर किशोर
पांडे गरियाबंद, एसपीओ गौरव मरकाम, एसपीओ देवलाल-गरियाबंद।
नक्सलियों की साजिश तो नहीं
पुलिस को खबर मिली थी कि सोनाबेड़ा गांव में दो नक्सली सरेंडर करने की नीयत
से आए हैं। टीम पहुंची तो नक्सली नहीं मिले। आधे घंटे इंतजार के बाद दल
साढ़े तीन बजे के करीब वापस होने लगा। गांव से पांच किमी दूर दातूनूमा गांव
के पास जंगल में नक्सली घात लगाकर बैठे थे।
मोड़ के आसपास की झाड़ियों और पेड़ों की आड़ में पत्थरों की मदद से
नक्सलियों ने आधा दर्जन से ज्यादा मोर्चे बना रखे थे। तीन तरफ से छिपे
नक्सलियों की संख्या सौ से 120 बताई जा रही है।
बस बैठे ही रह गए
सूमो चालक किशोर के साथ एएसपी पवार सामने की सीट पर थे। गोलीबारीकेपहले
ही बस्र्ट में वे छलनी हो गए। दोनों के सिर और शरीर के ऊपरी हिस्से में कई
गोलियां लगीं हैं। नक्सलियों ने एसएलआर, एके 47 राइफलों से भारी गोलीबारी
की। इसमें अंदर बैठे सभी जवानों की मौके पर ही मौत हो गई।
सीमा पर सोमवार शाम हुए नक्सली हमले में जवानों को जवाबी कार्रवाई का मौका
ही नहीं मिला। मंगलवार को मौके पर पहुंचे भास्कर संवाददाता के मुताबिक
चारों ओर से बरसाई गइं गोलियों से सूमो बिंधी पड़ी थीं और एडिशनल एसपी
राजेश पवार समेत नौ जवानों की लाशें बिखरीं।
वहीं दल में शामिल सिपाही होलीराम साहू अब तक लापता है। कच्ची सड़क की मोड़
पर घात लगाए नक्सलियों के पास लाइट मशीनगन, एसएलआर और एके-47 जैसे हथियार
थे।
बारूदी सुरंग विस्फोट के बाद ताबड़तोड़ गोलियों की बौछारों से पुलिस टीम
संभल ही नहीं पाई। ज्यादातर जवानों की मौत वाहन के अंदर ही हो गई। पुलिस के
रणनीतिकार ऐसे इलाके में सिर्फ दस लोगों की टीम के साथ जाने के फैसले से
हैरान हैं।
नहीं हुआ बारूदी सुरंग का इस्तेमाल
गरियाबंद, मैनपुर समेत आसपास के इलाकों से रवाना हुई पुलिस की सर्चिग
पार्टियां मंगलवार सुबह करीब छह बजे मौके पर पहुंचीं। सोमवार आधी रात तक
यही खबर थी कि नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर घटना को अंजाम
दिया। बिगड़ी सूमो को ट्रैक्टर से टोचन कर लाने की बात भी हो रही थी। लेकिन
मंगलवार को दोनों बातें गलत निकलीं।
मंगलवार सुबह करीब पौने छह बजे भास्कर संवाददाता दातूनूमा गांव पहुंचा। यह
इलाका राज्य के अंतिम छोर के गांव आमामोरा से करीब 15 किमी दूर ओडिशा में
है। सुनाबेड़ा सेंचुरी के इस इलाके में नक्सलियों की तलाश में राजेश पवार
कई बार सर्चिग में जा चुके थे। सोमवार को पवार के नेतृत्व में निकली टीम
में गौरव मरकाम भी था।
उड़ीसा के सीमाई गांव छुआपानी का निवासी गौरव (20) और उसके पिता दोनों ही
कभी नक्सली रहे थे। मुठभेड़ में पिता की मौत के बाद वह गांव आ गया था। पवार
ने उसे सरेंडर करवाकर एसपीओ बनवाया था। उसकी मदद से इलाके में पुलिस ने
लगातार कई सफल ऑपरेशन किए थे।
ग्रेनेड फटा ही नहीं
पुलिस की ओर से चलाई गई ज्यादातर गोलियां सूमो की बॉडी में ही फंस गईं।
जवानों ने हैंडग्रेनेड भी फेके, लेकिन वे फटे नहीं। ऐसे दो ग्रेनेड मैके से
बरामद किए गए। हमला करने के बाद नक्सलियों ने शवों को बाहर निकालकर फेंक
दिया। कुल्हाड़ी जैसे धारदार हथियारों से पवार और जवानों के शवों को
क्षत-विक्षत किए जाने की जानकारी पुलिस दे रही है।
कुछ अफसरों का कहना है कि जख्म गोलियों की वजह से आए हैं। सूमो से करीब सौ
मीटर की दूरी पर पुलिस को खून के निशान और बाल मिले हैं। इसके अंदाज है कि
कुछ नक्सली भी घायल हुए हैं।
class="introTxt" style="text-align: justify">
हथियार लूट ले गए
नक्सली जवानों के सभी नौ हथियार (दो एके 47, दो इंसास, पांच एसएलआर और १क्
ग्रेनेड), मोबाइल फोन, वायरलेस सेट लूट ले गए। घटनास्थल पर नक्सलियों के
मोर्चे के आसपास दो सौ से ज्यादा कारतूस के खोखे पड़े मिले।
हेलिकॉप्टर की मदद ली
पहले शवों को सड़क के रास्ते लाए जाने का प्लान था। इसी बीच फोर्स ने
घटनास्थल के पास के एक खेत में अस्थाई हेलिपैड बनाकर वहां हेलिकाप्टर
उतारने का इंतजाम किया। दोपहर को सभी नौ शव माना रायपुर में छत्तीसगढ़
आम्र्ड फोर्स की चौथी बटालियन के मुख्यालय में लाए गए।
यहां उनको अंतिम सलामी दी गई। राज्य के डीजीपी विश्वरंजन, आईजी आरके विज,
आईजी इंटेलिजेंस मुकेश गुप्ता के अलावा सीआरपीएफ के आईजी पंकज कुमार सिंह
ने भी घटनास्थल पहुंचकर वहां की स्थिति का मुआयना किया। आसपास के जंगल में
300 से ज्यादा जवानों की सर्चिग शाम तक चल रही थी। एंटी नक्सल ऑपरेशन के
हिसाब से ट्रेंड की गई एसटीएफ को भी ऑपरेशन में लगा दिया गया है।
गायब सिपाही है जबर्दस्त धावक
सर्चिग टीम में शामिल गरियाबंद के सिपाही होलीराम साहू का अब तक कुछ पता
नहीं चला है। मेराथन दौड़ का चैंपियन साहू एक बार में 15 किलोमीटर दौड़
सकता है। उसके साथी जवानों ने बताया कि अगर होलीराम नक्सलियों के चंगुल से
बच गया होगा, तो उसके जिंदा रहने की संभावना ज्यादा है।
शहीदों के नाम
एडिशनल एसपी राजेश पवार, ओमेश्वर ठाकुर छुरा, धनेश्वर फिंगेश्वर, किशन
यादव- देवभोग, भोलाराम साहू- धमतरी, संतोष ठाकुर-भाटापारा, ड्राइवर किशोर
पांडे गरियाबंद, एसपीओ गौरव मरकाम, एसपीओ देवलाल-गरियाबंद।
नक्सलियों की साजिश तो नहीं
पुलिस को खबर मिली थी कि सोनाबेड़ा गांव में दो नक्सली सरेंडर करने की नीयत
से आए हैं। टीम पहुंची तो नक्सली नहीं मिले। आधे घंटे इंतजार के बाद दल
साढ़े तीन बजे के करीब वापस होने लगा। गांव से पांच किमी दूर दातूनूमा गांव
के पास जंगल में नक्सली घात लगाकर बैठे थे।
मोड़ के आसपास की झाड़ियों और पेड़ों की आड़ में पत्थरों की मदद से
नक्सलियों ने आधा दर्जन से ज्यादा मोर्चे बना रखे थे। तीन तरफ से छिपे
नक्सलियों की संख्या सौ से 120 बताई जा रही है।
बस बैठे ही रह गए
सूमो चालक किशोर के साथ एएसपी पवार सामने की सीट पर थे। गोलीबारीकेपहले
ही बस्र्ट में वे छलनी हो गए। दोनों के सिर और शरीर के ऊपरी हिस्से में कई
गोलियां लगीं हैं। नक्सलियों ने एसएलआर, एके 47 राइफलों से भारी गोलीबारी
की। इसमें अंदर बैठे सभी जवानों की मौके पर ही मौत हो गई।