चंडीगढ़. एक
ओर जहां भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भाजपा के दो मंत्रियों को पद छोड़ना
पड़ा है, वहीं दूसरी कृषि विभाग गेहूं बीज घोटाले के आरोपियों को बचा रहा
है। वित्तायुक्त नवरीत सिंह कंग की रिपोर्ट में गेहूं बीज सब्सिडी घोटाले
में पनसीड के एमडी डॉ. रंजीत सिंह और पंजाब सीड सर्टिफिकेशन अथॉरिटी के
डायरेक्टर डॉ. मंगल सिंह को आरोपी पाया गया है। इन दोनों अफसरों से गहन
पूछताछ की सिफारिश की गई है।
इसी रिपोर्ट के आधार पर चार महीने पहले मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने
पनसीड के एमडी को तुरंत बदलने और उन पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए,
लेकिन जैसे ही यह फाइल कृषि विभाग में पहुंची, वहीं अटक कर रह गई। चार
महीने बाद भी दोनों अफसर न केवल अपने पदों पर काम कर रहे हैं, बल्कि उनके
द्वारा इस मामले के अगले साल फिर किए गए उसी काम पर विधानसभा में अंगुली
उठी और सरकार को रक्षात्मक होना पड़ा।
विधानसभा स्पीकर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विरसा सिंह वल्टोहा और
दोनों बार मामला उठाने वाले कांग्रेसी विधायक सुनील जाखड़ की एक कमेटी बना
दी, जो इन दिनों पंजाब में बंटने वाले बीज की जांच कर रही है।
साल 2009-10 में नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन के तहत सब्सिडी पर मिले बीज के
वितरण में घोटाले का मामला विधानसभा में कांग्रेसी विधायक सुनील जाखड़ ने
उठाया। उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत सरकार से सात सौ रुपए प्रति क्विंटल
सब्सिडी मिली, लेकिन सरकार ने किसानों को केवल पांच सौ रुपए ही दिए।
इसके अलावा उन्होंने फाउंडेशन बीज की कमी और सर्टिफाइड बीज को जूट के बजाय
प्लास्टिक बैग में सप्लाई करने के आदेश देकर सप्लायर्स को नाजायज फायदा
पहुंचाने का आरोप लगाया। इस संबंध में जब वित्तायुक्त एनएस कंग से बात की
गई तो उन्होंने कहा कि उनका काम जांच करके रिपोर्ट सबमिट करना था, जो
उन्होंने कर दी। अधिकारियों पर कार्रवाई का अधिकार मंत्री स्तर पर होना है।
85 लाख का चूना
मुख्यमंत्री ने जांच वित्तायुक्त एनएस कंग को सौंपी। कंग ने रिपोर्ट में
पनसीड के एमडी और पंजाब बीज सर्टिफिकेशन के डायरेक्टर को आरोपी बताया और
कहा कि इनके कारण 85 लाख रुपए का नुकसान हुआ। इस संबंधी कृषि मंत्री से
संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके विदेश में होने के कारण बात नहीं
हो पाई।