ग्रामीण और शहरी इलाकों में गरीबी रेखा से नीचे रहनेवालों की गणना को भी
मंजूरी मिल गयी.
गणना का काम जून से शुरू होगा. दिसंबर तक खत्म हो जायेगा. इस पर करीब
3500 करोड़ खर्च होंगे. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई
कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने यह जानकारी
दी.
– अपने कर्मियों से करायेंगी राज्य सरकारें : यह जनगणना राज्य सरकारें
अपने कर्मचारियों से करायेंगी. इसमें ग्राम पंचायतों को सहयोगी बनाया
जायेगा. ग्रामीण बीपीएल आबादी के आंकड़ों को अंतिम रूप देने से पहले ग्राम
सभाओं में लाया जायेगा. आपत्ति होने पर ग्राम सभा उसे दर्ज करा सकेगी. गणना
ग्रामीण विकास, आवास व शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय और भारत महापंजीकरण
संयुक्त रूप से करेंगे.
– तीन श्रेणियों में बांटा जायेगा –
नयी दिल्ली : अंबिका सोनी ने बताया बीपीएल आंकड़ों का उपयोग गरीब आबादी
की कल्याण योजनाएं, सब्सिडी और विशिष्ट पहचान पत्र बनाने में किया जायेगा.
जाति और धर्म आधारित आंकड़ों को गोपनीय रखा जायेगा. गणना में ग्रामीण आबादी
को तीन श्रेणियों में बांटा जायेगा. जो बीपीएल से ऊपर आ गये हैं, उन्हें
इस श्रेणी से बाहर निकाला जायेगा और बीपीएल श्रेणी में आनेवाले उसमें स्वत:
आ जायेंगे.
* जून से शुरू होगा, दिसंबर तक पूरा होगा कार्य.
* दूसरी बार जाति गणना, इससे पहले 1931 में हुई थी.
* पहली बार : शहरी बीपीएल आबादी की गणना होगी.
* कागज का इस्तेमाल नहीं.
* भारत इलेक्ट्रॉनिक की ओर से तैयार कम लागतवाले छोटे उपकरण के जरिये गणना की जायेगी.
– कैसे होगी बीपीएल की पहचान –
* सात मापदंड से की जायेगी.
* इनमें सात घर, टीवी, फ्रीज, गाड़ी, लैंड लाइन फ़ोन भी शामिल हैं.
* एक कमरे के मकान में रहनेवाले परिवार.
* 16 से 59 साल के सदस्य से वंचित परिवार.
* 25 साल की उम्र से अधिक के शिक्षित व्यक्ति से विहीन परिवार.
– होंगे कई फायदे –
* ग्रामीण व शहरी इलाकों में बीपीएल परिवारों की संख्या का पता चलेगा.
* किस जाति, धर्म में गरीबों का क्या अनुपात है पता चलेगा.
* विभिन्न धर्मो में कितने फीसदी लोग बीपीएल श्रेणी में आते हैं, जानकारी मिलेगी.
* कल्याण की योजनाएं बनाने में आसानी होगी.