चंडीगढ़. अकाली-भाजपा
सरकार की आटा-दाल योजना में इस महीने 15.56 लाख परिवारों को राशन नहीं
मिल पाएगा। क्योंकि वितरण के लिए केंद्रीय खरीद एजेंसियों द्वारा
ऑस्ट्रेलिया से मंगवाई गई दाल खराब है। लिहाजा यह अभी तक बंदरगाहों पर ही
पड़ी हुई है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव ने बताया कि दालें आयात करने
वाली एजेंसियों को लिख दिया गया है और यदि वे दाल का नया लॉट नहीं देंगी
तो पनसप को खुले बाजार से दाल लेने के लिए कह दिया गया है।
काबिले गौर है कि आटा-दाल योजना के लिए पंजाब को हर महीने 3000 मीट्रिक टन
दाल की आवश्यकता होती है, जिसे केंद्रीय एजेंसियों से लिया जाता है। चूंकि
देश में दालों की पैदावार खपत के मुकाबले काफी कम है, इसलिए अधिकतर दालों
को विदेशों से आयात किया जाता है। इस बार चने की ये दाल ऑस्ट्रेलिया से
मंगवाई गई थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार एक प्राइवेट कंपनी ने भी टेंडर
में कम रेट कोट किया था, लेकिन उनका माल भी खराब निकला। पनसप ने केंद्रीय
एजेंसी से पहले की तरह दाल मंगवाई, लेकिन यह भी खराब निकली है। पनसप के
अधिकारियों ने इसकी जांच कर ली है और पाया है कि यह खाने लायक नहीं है।
दालें मंगवाने का काम पनसप का है। ऑस्ट्रेलिया से खराब दाल आई है। हमने
केंद्रीय एजेंसियों से कहा है कि वह हमें यह दाल बदलकर दें। यदि वह कुछ
दिनों में बदल देते हैं तो ठीक है नहीं तो हम खुले बाजार से दाल खरीदने के
टेंडर लगाएंगे।""
डी.एस. ग्रेवाल, सचिव, खाद्य विभाग
सरकार की आटा-दाल योजना में इस महीने 15.56 लाख परिवारों को राशन नहीं
मिल पाएगा। क्योंकि वितरण के लिए केंद्रीय खरीद एजेंसियों द्वारा
ऑस्ट्रेलिया से मंगवाई गई दाल खराब है। लिहाजा यह अभी तक बंदरगाहों पर ही
पड़ी हुई है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव ने बताया कि दालें आयात करने
वाली एजेंसियों को लिख दिया गया है और यदि वे दाल का नया लॉट नहीं देंगी
तो पनसप को खुले बाजार से दाल लेने के लिए कह दिया गया है।
काबिले गौर है कि आटा-दाल योजना के लिए पंजाब को हर महीने 3000 मीट्रिक टन
दाल की आवश्यकता होती है, जिसे केंद्रीय एजेंसियों से लिया जाता है। चूंकि
देश में दालों की पैदावार खपत के मुकाबले काफी कम है, इसलिए अधिकतर दालों
को विदेशों से आयात किया जाता है। इस बार चने की ये दाल ऑस्ट्रेलिया से
मंगवाई गई थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार एक प्राइवेट कंपनी ने भी टेंडर
में कम रेट कोट किया था, लेकिन उनका माल भी खराब निकला। पनसप ने केंद्रीय
एजेंसी से पहले की तरह दाल मंगवाई, लेकिन यह भी खराब निकली है। पनसप के
अधिकारियों ने इसकी जांच कर ली है और पाया है कि यह खाने लायक नहीं है।
दालें मंगवाने का काम पनसप का है। ऑस्ट्रेलिया से खराब दाल आई है। हमने
केंद्रीय एजेंसियों से कहा है कि वह हमें यह दाल बदलकर दें। यदि वह कुछ
दिनों में बदल देते हैं तो ठीक है नहीं तो हम खुले बाजार से दाल खरीदने के
टेंडर लगाएंगे।""
डी.एस. ग्रेवाल, सचिव, खाद्य विभाग