आंकड़ों की खेती से नहीं निकलेंगे परिणाम

रांची : यह आयोजन समेकित व समावेशी विकास के लिए है. विकास कार्यक्रम
बनें व इनमें इनपुट ही सही न हो, तो काम ठीक नहीं हो सकता. दूसरी बात कि
आंकड़ों की खेती से परिणाम नहीं निकलेंगे. कृषि क्षेत्र पर सबने चिंता
जाहिर की है.

राज्य के अधिकतर लोगों के जीवनयापन से जुड़ा यह क्षेत्र है, लेकिन यहां
पलायन व अन्य समस्याएं हैं. अब लोगों के सुझाव से वास्तविकता के साथ हम आगे
बढ़ना चाहते हैं. मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने यह कहा. मुख्यमंत्री ने कहा
कि योजना बनाते वक्त हमें दो चीजों क लाभ लेना चाहिए. एक तो पंचायती राज
व्यवस्था व दूसरा हालिया जनगणना परिणाम.

– संसाधनों का लाभ नहीं : मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विडंबना ही है कि
झारखंड को अपने ही संसाधनों का लाभ नहीं मिलता. इसका लाभ दूसरे राज्यों को
मिल जाता है. होटल बीएनआर में आयोजित पंचवर्षीय योजना के तहत वित्त व
सांस्थिक वित्त पर परिचर्चा को सीएम संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि
राज्य में जितने भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं, उनका कॉरपोरेट ऑफिस
दूसरे राज्यों में है. जिसकी वजह से इनकम टैक्स में हिस्सेदारी झारखंड को
नहीं मिल पाती.

सीएम ने कहा कि झारखंड में जितनी भी नदी परियोजनाएं हैं, इसका पानी भी
दूसरे राज्यों को मिलता है.दामोदर, मयूराक्षी, बराकर, स्वर्णरेखा व खरकई से
पड़ोसी राज्यों को लाभ मिलता है. सतही दर के कारण कोयले के राजस्व का लाभ
भी 40 वर्षो तक झारखंड को नहीं मिला. कार्यक्रम का संचालन योजना व विकास
सचिव अविनाश कुमार ने किया. कार्यक्रम में राज्य सभा सांसद माबेल रिबेलो व
भाजपा नेता रवींद्र राय ने भी अपने विचार व्यक्त किये. इस अवसर पर विकास
आयुक्त देवाशीष गुप्ता, जल संसाधन सचिव संतोष कुमार सत्पथी, गैर सरकारी
संस्थाओं के प्रतिनिधि व विभिन्न विभागों के अधिकारियों सहित राज्य भर से
आये प्रगतिशील किसान उपस्थित थे.

– सुझाव –

– कृषि (समन्वयक : डॉ बीएन सिंह, बीएयू) :

*मनरेगा मजदूरों को कृषि कार्यो में भी लगाया जाये. ऐसे में 50 फीसदी खर्च संबंधित किसान वहन करेंगे
* पंचायत स्तर पर आवारा पशुओं के लिए कांजी हाउस बने.
* कृषि कार्यो के लिए अलग ट्रांसफारमर लगा कर विद्युत आपूर्ति हो.
* कृषि उपकरणों पर सब्सिडी बढ़े.
* प्रखंड स्तर पर कोल्ड स्टोरेज का निर्माण व बीज ग्राम का गठन स कृषि ण 1-3 फीसदी ब्याज दर पर उपलब्ध हो.

– पशुपालन (समन्वयक : बैफ के निदेशक शोध, एके गोखले):

* गाय, भैंस, बकरी व सूकर का झारखंडी नस्ल चिन्‍हित व विकसित हो.
* पशु प्रक्षेत्र का मूल्यांकन व पुनर्गठन हो.
* पशुपालकों के लिए प्रशिक्षण व पशुओं के लिए चारागाह की व्यवस्था हो.

– मत्स्य क्षेत्र (समन्वयक : डॉ एके सिंह, बीएयू) :

* राज्य के तालाब 10-15 फीट तक गहरे किये जायें.
* गुणवत्तापूर्ण मत्स्य बीज मिले व और हेचरी का विकास हो.
* झारखंड में मछलियों का आहार कारखाना कहीं नहीं, जिला स्तर पर प्रमोट किया जाये.
* सरकारी योजना के तहत 20-30 डिसमिल के बजाय एक से डेढ़ एकड़ जमीन पर तालाबबने.
* पानीवाले सीसीएल की बेकार खदानों का इस्तेमाल मत्स्य पालन के लिए हो.
* मत्स्य दवा प्रखंड में मिले.

– बाजार संबंधी (समन्वयक : एसके घोष, नाबार्ड) :

* किसानों को बाजार संबंधी जानकारी व सूचना आइटी के माध्यम से दी जाये.
* बाजार चिन्‍हित हों व इसके उतार-चढ़ाव संबंधी अध्ययन हो.
* मांग-आपूर्ति का गैप, मार्केटिंग कॉस्ट व लाभदायी मौसमी फसल की जानकारी किसानों के मिले.
* खेत से उपभोक्ता तक कृषि उत्पाद का वैल्यू ऐडशन हो, ताकि किसानों को अच्छी कीमत मिले.
* प्रखंड स्तर पर गोदाम व कोल्ड स्टोरेज की सुविधा मिले.
* पैक्स-लैंप्स को जीवित कर इनका प्रोक्योरमेंट सेंटर के रूप में इस्तेमाल हो.

– सिंचाई सुविधा (समन्वयक : आरके सिंह, निदेशक भूमि संरक्षण) :

* वन क्षेत्र में जल छाजन के कार्यक्रम बढ़ाये जायें.
* कुआं बने, लेकिन इसी अनुपात में तालाब भी बने स पुराने तालाबों को 15 फीट गहरा करें.
* माइक्रो इरिगेशन उपकरणों में 90 फीसदी सब्सिडी दी जाये.

– बागवानी क्षेत्र (समन्वयक : डॉ शिवेंद्र कुमार, मुख्य वैज्ञानिक पलांडू) :

* झारखंड को सब्जी राज्य घोषित कर किसानों को पूरी सुविधाएं मिले.
* कुछ सब्जियां भारतवर्ष के लिए अनूठी हो सकती हैं, पहल हो.
* सब्जियों के रसायन मुक्त होने संबंधी गुणवत्ता प्रमाणिकरण की सुविधा हो.
* बीज ग्राम का गठन हो व परिवहन सुविधा मिले.
* मंडियों में सुविधा व सुरक्षा बढ़े. खास कर पैसे लेकर लौटते वक्त.
* औषधीय व सुगंधित पौधों का बाजार उपलब्ध कराया जाये.

– वन व पर्यावरण (समन्वयक : एसएन त्रिवेदी, एपीसीसीएफ) :

* वनों का विकास हो, बंजर भूमि पर वृक्षारोपण हो.
* रैयती जमीन पर भी वृक्षारोपण हो.
* जल्दी तैयार होने वाले वृक्ष लगाये जायें.
* संयुक्त वन प्रबंधन समिति के का लाभ सुनिश्चित हो.
* इको टूरिज्म को बढ़ावा मिले.
* हाथियों से बचाव के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षण मिले.

– सहकारिता (समन्वयक : आरके चतुर्वेदी) :

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