किसानों के खाते में डाली जा रही चोरी की बिजली

चंडीगढ़।
पंजाब सरकार इस साल किसानों और अनुसूचित जातियों को दी जाने वाली नि:शुल्क
बिजली पर 4200 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में खर्च करेगी जो प्रदेश की
वार्षिक योजना का लगभग 35 फीसदी है। पिछले सप्ताह पंजाब स्टेट रेगुलेटरी
कमीशन ने जो नया टैरिफ ऑर्डर दिया है उसमें किसानों की बिजली का आकलन 1930
घंटे प्रति ट्यूबवेल किया गया है जो तर्कसंगत नहीं है।




कृषि विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि यदि फसलों व उनकी किस्मों को
आधार बनाकर आकलन किया जाए तो पूरे साल में 1200 घंटे से अधिक बिजली देना
संभव ही नहीं है और वह भी उस सूरत में जब पंजाब में एक भी बारिश न हो। इसका
मतलब यह है कि 730 घंटे की बिजली को कहां खपाया जा रहा है। पावरकॉम के
टी.एंड.डी लॉसेस 22 फीसदी दिखा रहा है तो क्या वे इससे कहीं अधिक हैं और
इसे कम करने का दावा करके अतिरिक्त बिजली को किसानों के खाते में मढ़ा जा
रहा है।




उधर, रेगुलेटरी कमीशन का भी मानना है किसानों को दी जाने वाली बिजली का
आकलन सही नहीं हो रहा है। कमीशन की चेयरपर्सन रोमिला दूबे का कहना है कि
पावरकॉम को कहा गया है कि कम से कम दस फीसदी एग्रीकल्चर ट्यूबवेलों की
मीटरिंग की जाए और ताकि उसके आधार पर सही आकलन हो सके। इस साल पावरकॉम को
एक लाख तक ट्यूबवेलों पर बिजली के मीटर लगाने को कहा है।

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