जयपुर.
जिस विभाग पर भ्रष्टाचार को रोकने की जिम्मेदारी है, वहीं के अफसर और बाबू
सीना ठोंककर रिश्वत मांगते हैं। पिछले बुधवार को रिश्वत लेते पकड़े गए गृह
विभाग के उप सचिव अनिल पालीवाल और बाबू गौरीशंकर सोलंकी से भ्रष्टाचार
निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को ऐसे तथ्य मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि राज्य
का चीफ विजिलेंस कमिश्नर सिस्टम फ्लॉप हो गया है।
भास्कर को
हैरानीजनक जानकारी मिली है कि इस महकमे में सिर्फ पैसा देने पर ही काम होता
है। मंत्रियों तक के सिफारिशी पत्र भी फेंक दिए जाते हैं। अफसरों के
भ्रष्टाचार संबंधी प्रकरणों को सीवीसी नहीं, उनके अधीन आरएएस अधिकारी और
बाबू देखते हैं। अधिकारी हैरान हैं कि सचिवालय जैसी जगह में भ्रष्टाचार का
ऐसा आलम है। सरकारी अधिकारी धड़ल्ले से बातचीत में रिश्वत मांगते हैं और वे
खुले आम कहते हैं कि उनको एसीडी वाले भी नहीं पकड़ सकते, क्योंकि वे पैसे
को हाथ से छूते भी नहीं हैं। गृह विभाग के अफसर और बाबू ने ऐसे खोली सरकारी
प्रक्रिया की पोल
सीवीसी न मेरी रिपोर्ट पढ़ता है, न सोलंकी की
पालीवाल
: एसीएस होम (सीवीसी) ना मेरी रिपोर्ट पढ़ता है और ना सोलंकी की। ये
नोटशीट यहीं पड़ी रहती है। वो लेने-देने की बात से ही होता है..
पालीवाल
: सुभाषसिंह (नागौर जिले का एक इंस्पेक्टर, जिसका प्रकरण गृह विभाग में
पेंडिंग है) को तो इसीलिए अपन ने लटका दिया है। साहब पूछ रहे थे मामला क्या
है? एक बार समझाओ तो! मैंने तो साहब को टरका दिया..!
मंत्री तो ठेंगे पर, पैसा दो काम कराओ!
पालीवाल
: उसके तो कुछ समझ ही नहीं आता। वो सिर्फ मंत्री का लेटर लेकर आता है।
उसको मैंने ज्यादा भाव ही नहीं दिए..! इन पुलिस वालों में ज्यादा अकल नहीं
होती। ये बेवकूफ हैं। सिफारिशें करवाते हैं! ये भी देखो सिफारिशें करवाता
रहता है!
मैं पैसे टच नहीं करूंगा तो हाथ क्या धुलवाओगे
गौरीशंकर
सोलंकी : (एसीडी की टीम ने जब गौरीशंकर के चारों तरफ जाल बिछा रखा था।)
मैं पैसे के हाथ ही नहीं लगाऊंगा। आप एसीडी का आदमी बाहर खड़ा कर दो। मैं
टच ही नहीं करूंगा तो हाथ कहां से धुलवाओगे?
गौरीशंकर सोलंकी:
अरे भई, मैं ना तो एक भी पैसा लेता हूं। ना ही पैसे के हाथ लगाता हूं। ना
ही आपसे पैसा लूंगा। मैं तो बिलकुल ही नहीं लेता.. कब से होम (गृह विभाग)
में हूं। पूरे होम को मालूम है, मैं पैसे के हाथ भी नहीं लगाता। आप पूछ के
देख लो.. ये आदमी पैसे खाता है क्या?